रहस्यों से भरपूर ऋषि पराशर मंदिर दर्शन यात्रा| दर्शन 🙏

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भक्तों नमस्कार! प्रणाम! सादर नमन, वंदन और अभिनन्दन ।।। भक्तों हमारा देश भारत ऋषियों मुनियों की भूमि है, साधू संतों की भूमि है ।।। ज्ञानियों विज्ञानियों और तत्वदर्शी महापुरुषों की भूमि है।।। इस भारतभूमि पर, अनेकानेक विभूतियाँ हुई हैं, अनेकानेक संत और अनेकानेक महापुरुष हुए हैं जिन्होंने, अपनी बुद्धि, विवेक, ज्ञान साधना विज्ञान, तपोबल और दूरदर्शिता के द्वारा समूची मानवता का कल्याण किया है,।। महर्षि पाराशर ऐसे ही कल्याणकारी ऋषि थे जिन्होंने अपने योग साधना और तपोबल से मानवता का उत्थान किया।
भक्तों आज हम आपको इन्हीं महर्षि पाराशर के मंदिर की यात्रा करवाने जा रहे हैं, जो ऋषि मुनियों की शाश्वत तपस्थली हिमाचल प्रदेश के मंडी में हैं।
पाराशर झील उत्पत्ति कथा:
भक्तों एक कथा के अनुसार “एक बार ऋषि पराशर अपने आध्यात्मिक तपस्या के लिए उचित स्थान तलाश कर रहे थे, वो जहां जाते वहाँ पहले पानी निकालते, लेकिन पानी निकलता तो वहाँ से आगे बढ़ जाते। ऐसा करते करते वो व्यास नदी के तट पर भ्यूली और नसलोह आदि स्थानों पर गए। और तपस्या के लिए जो जगह चुनी तो वहां भी पानी को लेकर उनके हाथ निराशा ही लगी। तब नसलोह गांव से निकलकर महर्षि पाराशर वाहन पंहुचे , जिसे अब पाराशर कहते हैं। जहां ऋषि ने एक स्थान पर बैठ कर अपना चिमटा मारा, वहां जमीन से पानी निकला, धीरे धीरे वह पानी बढ़ता गया और झील का रूप धारण कर लिया।
प्रभु की नांव;
भक्तों पाराशर झील में प्राकृतिक सौंदर्य के अतिरिक्त आश्चर्यजनक रूप से एक तैरता भूखंड है। झील में तैर रही पृथ्वी के इस बेड़े को स्थानीय भाषा में टाहला यानी प्रभु की नांव कहते हैं। बच्चों से बूढ़ों तक के लिए यह आश्चर्य है क्योंकि यह झील में इधर उधर टहलता है। ऐसी मान्यता है की इस भूखंड पर बैठ कर प्रभु झील की परिक्रमा करते हैं इस झील की गहराई कितनी है इसका पता आज तक नहीं चल पाया है। आज सड़क सुविधा से जुड़ जाने के बाद पाराशर ऋषि की यह तपोस्थली धार्मिक ही नहीं पर्यटन स्थली भी बन गई है। प्रकृति के इस सुन्दर स्थान पंहुचकर लोग अपनी सारी थकान भूल जाते हैं। पाराशर ऋषि मंदिर और झील के प्रति लोगों की गहरी आस्थ है।
मंदिर में मूर्तियां:
भक्तों पाराशर मंदिर गर्भगृह में ऋषि पत्थरों से बानी महर्षि पाराशर की मूर्ति, भगवन विष्णु , भगवन शिव व देवी महिषासुर मर्दिनी की मूर्तियां हैं। पाराशर ऋषि वशिष्ठ के पौत्र और मुनि शक्ति के पुत्र थे। महर्षि पाराशर की मूर्ति में गजब का आकर्षण है। महर्षि पाराशर की मूर्ति के अतिरिक्त भीतर एक फ्रेम में चार भुजाओं वाली किसी देवी की प्रतिमा है। विद्वानों का यह मत है की यह मूर्ति गंगा की है।
लोक कथा:
भक्तों देवता की शक्ति की एक घटना अति प्रचलित है, कहा जाता है की एक बार गिद्धों ने इस झील में मरी हुई भैंस का सिर फेंक दिया था इससे झील अपवित्र हो गई थी। मंदिर दूर होने के कारण उस समय मंदिर में कोई पुजारी अथवा कारदार नहीं रहता था इससे झील का पानी काफी बढ़ गया था और उसमें आधा मंदिर डूब गया उस वक्त देवता का गुरु खेतों में काम कर रहा था, काम करते हुए उसे पहाड़ी के ऊपर से जोर की आवाज सुनाई दी जिसमें कहा गया था कि "ऋषि पाराशर का मंदिर डूब रहा है"। गुरु ने जैसे ही यह सुना वह काम छोड़कर गाँव जाकर इस घटना को गाँव वालों को बताया,सभी ग्रामीण वहां पंहुचे तो देखा कि मंदिर डूब रहा था। तत्काल गुरु को दैवी शक्ति प्राप्त हो गई हुए उसने झील में छलांग लगा दी लोग दिन भर उसका इन्तजार करते रहे लेकिन न पानी काम हुआ और न ही वह बाहर निकला। हार कर लोग वापिस आ गए और उस गुरु को मृत समझ लिया, लेकिन चार पांच दिनों के बाद गुरु बाहर आया जिसके एक हाथ में भैंस का सिर था बाहर आकर उसने वह सिर फेंक दिया झील का पानी काम हो गया। लोगों को जब इस घटना का पता चला तो हैरान हो गए। उसके बाद से नियमित पुजारी मंदिर की पूजा करता है तथा यही रहता है।
मंदिर का पुजारी क्षत्रिय
भक्तों पाराशर मंदिर का पुजारी कोई ब्राह्मण नहीं अपितु क्षत्रिय होते हैं, इसके पीछे दो मत हैं, पहला मत यह है कि मंडी के तात्कालीन राजा ब्राह्मणों से नाराज थे इसीलिए उन्होंने मंदिर का पुजारी क्षत्रिय को बनाया। कुछ एक का मानना है कि जब पांडव महाभारत के बाद देव कमरुनग लेकर जा रहे थे तो यहाँ से हो कर जाते हुए इस झील का निर्माण किया उस समय वहां कोई ब्राह्मण न होने के कारण उन्होंने स्वयं ही पूजा किया था। इसलिए इस घाटी को कमरू घाटी भी कहा जाता है और पांडवों से चली आ रही प्रथा स्वरूप यहाँ के पुजारी होते हैं।
भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद। दर्शन ! 🙏
इस कार्यक्रम के प्रत्येक एपिसोड में हम भक्तों को भारत के प्रसिद्ध एवं प्राचीन मंदिर, धाम या देवी-देवता के दर्शन तो करायेंगे ही, साथ ही उस मंदिर की महिमा उसके इतिहास और उसकी मान्यताओं से भी सन्मुख करायेंगे। तो देखना ना भूलें ज्ञान और भक्ति का अनोखा दिव्य दर्शन।🙏

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि तिलक किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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