महाभारत एक रहस्य। महाभारत की रहस्यमयी घटनाएं। Gehre Shabd।

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महाभारत एक रहस्य। महाभारत की रहस्यमयी घटनाएं। Gehre Shabd। #krishna #mahabharat #facts

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जय श्री राधे कृष्णा ।।

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महाभारत युद्ध में भोजन बनाने का रहस्य। महाभारत युद्ध की शुरुआत में जीतने वाले लोगों के लिए खाना बनता था। उसके अगले दिन सैनिकों की मृत्यु होती थी, लेकिन खाना बनाने वाले को कैसे पता चलता था कि आज कितने लोगों का खाना बनाना है। तथा इसके साथ ही एक रोचक तथ्य यह भी है कि सैनिकों के लिए बना हुआ खाना कभी भी व्यर्थ नहीं जाता था, और ना ही कभी कम पडता था। चलिए जानते हैं कि इसके पीछे का रहस्य क्या था । महाभारत के युद्ध के दौरान प्रतिदिन लाखों लोगों के लिए युद्ध भूमि के पास ही लगे एक शिविर में भोजन बनता था । ऐसा माना जाता है कि युद्ध की शुरुआत के पूर्व संध्या पर लगभग पैंतालीस लाख से अधिक लोगों का भोजन बनता था, लेकिन इसके बाद प्रतिदिन जितने योद्धा मर जाते थे, उतना खाना कम बनता था।
युद्ध के दौरान सैनिकों के लिए खाना बनाने की व्यवस्था की जिम्मेदारी उडुपी के राजा को मिली थी। वो हर दिन शाम को श्री कृष्ण भगवान को भोजन कराते थे। तब श्री कृष्ण को भोजन कराते वक्त उन्हें पता चल जाता था कि कल कितने लोग मरने वाले हैं और कितने बचेंगे। ऐसा माना जाता है कि श्री कृष्ण प्रतिदिन उबली हुई मूंगफली या चावल खाते थे। उसी के आधार पर उडुपी के राजा को ये आभास हो जाता था कि कल कितने सैनिक युद्ध भूमि में मरेंगे तथा शाम को कितने लोगों के लिए खाना तैयार करना है।
श्री कृष्ण जितनी मूंगफली खाते थे उससे ठीक हजार गुणा ज्यादा सैनिक अगले दिन युद्ध में मारे जाते थे. जैसे कि अगर वे पचास मूंगफली खाते थे तो राजा को अंदाजा हो जाता कि अगले दिन पचास हजार योद्धा मारे जाएंगे. उसी हिसाब से उडुपी नरेश अगले दिन का भोजन तैयार करते थे.
यही कारण था कि युद्ध के दौरान उतने ही लोगों का खाना बनता था जितने जिंदा बचे होते थे, तथा अन्न का एक भी दाना व्यर्थ नहीं जाता था ।
दूसरा- अठारह का रहस्य- कहते हैं कि महाभारत युद्ध में अठारह संख्या का बहुत महत्व है। महाभारत की पुस्तक में अठारह अध्याय हैं। कृष्ण ने कुल अठारह दिन तक अर्जुन को ज्ञान दिया था। अठारह दिन तक ही महाभारत का युद्ध चला। गीता में भी अठारह अध्याय हैं। कौरवों और पांडवों की सेना भी कुल अठारह अक्षौहिणी थी।भीष्म द्रोण कृपाचार्य अश्वत्थामा कृतवर्मा श्री कृष्ण युधिष्ठिर भीम अर्जुन नकुल सहदेव द्रौपदी एवं विदुर, इस युद्ध में अठारह योद्धा ही जीवित बचे थे।
महाभारत ग्रंथ में कुल यह अठारह पर्व हैं। ऋषि वेदव्यास ने भी अठारह पुराणों की रचना की है।
यहां सवाल ये उठता है कि सब कुछ अठारह की संख्या में ही क्यों होता गया। क्या ये संयोग है या इसमें कोई रहस्य छुपा है।

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