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Скачать или смотреть क्या मासिक धर्म की वजह इंद्रदेव हैं || कैसे हुई इसकी शुरुआत || How did it start?

  • Artha
  • 2024-05-24
  • 222
क्या मासिक धर्म की वजह इंद्रदेव हैं || कैसे हुई इसकी शुरुआत ||  How did it start?
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Описание к видео क्या मासिक धर्म की वजह इंद्रदेव हैं || कैसे हुई इसकी शुरुआत || How did it start?

#Artha
नमस्कार दोस्तों.. क्या आप जानते हैं कि महिलाओं को होने वाले मासिक धर्म का पुराणों में उल्लेख शामिल है? जी हाँ दोस्तों महिलाओं को हर महीने मासिक धर्म क्यों होता है इस पर एक पौराणिक कथा भी मौजूद है जो इन्द्र देव से सम्बन्धित है। भागवत पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार एक बार ‘बृहस्पति देव’ जो देवताओं के गुरु हैं, वे इन्द्र देव से काफी नाराज़ हो गए थे। जिसके चलते उन्होंने देवलोक का त्याग कर दिया था। और इसी बात का फायदा उठाकर असुरों ने देवलोक पर आक्रमण कर दिया और इन्द्र को अपनी गद्दी छोड़ कर भागना पड़ा।
फिर असुरों से खुद को बचाते हुए इन्द्र देव सृष्टि के रचनाकार भगवान ब्रह्मा के पास पहुंचे और उनसे मदद मांगने लगे। तब ब्रह्मा जी ने उन्हें बताया कि उन्हें एक ब्रह्म-ज्ञानी की सेवा करनी चाहिए, यदि वह प्रसन्न हो जाएंगे तभी ब्रहस्पति देव की नाराज़गी दूर होंगी और उन्हें उनकी गद्दी व स्वर्गलोक वापस प्राप्त होगा। फिर ब्रह्मदेव के बताये अनुसार इन्द्र देव एक ब्रह्म-ज्ञानी की सेवा में लग गए। लेकिन वे इस बात से अनजान थे कि उस ब्रह्मज्ञानी की माता एक असुर थी इसलिए उस ब्रह्मज्ञानी के मन में असुरों के लिए एक विशेष स्थान था।
इन्द्र देव द्वारा अर्पित की गई सारी हवन सामग्री जो देवताओं को चढ़ाई जा रही थी, उसे वह ब्रह्मज्ञानी असुरों को चढ़ा रहा था। इस वजह से इन्द्र की सारी सेवा भंग हो रही थी। जिसके बारे में पहले इंद्र कुछ भी जान ना सका। लेकिन जब इन्द्र देव को सब पता लगा तो वे क्रोध से आग बबुला हो उठे और बिना कुछ सोचे समझे उन्होंने उसी समय उस ब्रह्म-ज्ञानी की हत्या कर डाली।
उस ब्रह्म-ज्ञानी को इन्द्र ने पहले अपना गुरु स्वीकार् किया था। फिर उनकी हत्त्या कर दी। और शास्त्रों के अनुसार एक गुरु की हत्या करना घोर पाप था, जिस कारण इन्द्र पर ब्रह्म-हत्या का पाप भी आ गाया। ये पाप एक भयानक राक्षस के रूप में इन्द्र का पीछा करने लगा। जिससे बचने के लिए किसी तरह इन्द्र ने खुद को एक फूल के अंदर छुपाया और एक लाख साल तक भगवान विष्णु की तपस्या की।
तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने इन्द्र देव को उनके ऊपर लगे पाप की मुक्ति के लिए एक सुझाव दिया। इसके लिए इन्द्र को पेड़, जल, भूमि और स्त्री को अपने पाप का थोड़ा-थोड़ा अंश देना था। जिसके लिए इन्द्र ने पेड़, जल, भूमि और स्त्री आदि से विशेष निवेदन किया। फिर उनके आग्रह पर सब राज़ी तो हो गए लेकिन उन्होंने बदले में इन्द्र देव से उन्हें एक वरदान देने को कहा।
सबसे पहले पेड़ ने उस पाप का एक-चौथाई हिस्सा ले लिया जिसके बदले में इन्द्र ने उसे एक वरदान दिया। वरदान के अनुसार पेड़ चाहे तो स्वयं ही अपने आप को जीवित कर सकता है।
इसके बाद जल को अपने पाप का हिस्सा देने पर इन्द्र देव ने उसे दूसरों को पवित्र करने की शक्ति प्रदान की। यही कारण है कि हिन्दू धर्म में आज भी जल को पवित्र मानते हुए पूजा-पाठ में इस्तेमाल किया जाता है।
इसके बाद अपने पाप का तीसरा अंश इन्द्र देव ने भूमि को दिया। इस वरदान स्वरूप उन्होंने भूमि से कहा कि मनुष्यों द्वारा भूमि की हानि करने पर, भूमि को आंतरिक रूप से कभी कोई क्षति नहीं पहुंचेगी बल्कि उसका परिणाम स्वयम मनुष्य भोगेंगे।
अब आखिरी बारी स्त्री की थी। इस कथा के अनुसार स्त्री को अपने पाप का हिस्सा देने के फलस्वरूप हर महिला को हर महीने मासिक धर्म होता है। लेकिन इसके बदले इन्द्र देव ने महिलाओं को वरदान देते हुए कहा की “महिलाएं, सहंशाक्ति की मूरत होंगी। उनके अंदर पुरुषों से कई गुना ज्यादा दर्द व कठोर बातों को सहने की क्षमता होगी। व वे काम का आनंद भी अधिक उठाएंगी”।
तो दोस्तों इसीलिए महिलाओं को हर महीने मासिक धर्म होता है क्योंकि इस दौरान वे इन्द्र देव से लिए उनके ब्रह्म-हत्या पाप का अंश यानी कि अपने गुरु की हत्या का पाप ढो रही होती हैं, इसलिए उन्हें इस समय काल के दौरान अपने गुरु तथा भगवान से दूर रहने को कहा जाता है। और यही कारण है कि प्राचीन समय से ही मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को मंदिर जाने की मनाही है। और साथ ही उन्हें इस दौरान किसी भी पूजा अनुष्ठान में शामिल होने नहीं दिया जाता है। और कुछ रिवाजों के मुताबिक तो इस समय महिलाओं को रसोई घर में जाने की भी अनुमति नही दी जाती है।
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