श्री विजयादशमी महोत्सव बाय (सीकर) 12 Oct.2024

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।। राजस्थान का एक ऐसा गांव जिसकी "दशहरे मेले"से बनी अपनी अलग पहचान। ।
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बाय गांव जहां राम - रावण युद्ध होता हैं।
राम जीतते भी है, पर रावण जलाया नहीं जाता ।।

आज मैं आपको राजस्थान के सीकर जिले की दांता रामगढ़ तहसील के कस्बे बाय के सुप्रसिद्ध ऐतिहासिक श्री विजयादशमी महोत्सव के आश्चर्यजनक पहलू के बारे में बता रहा हूं जो कि अन्य जगहों के दशहरा पर्व से अलग हैं ।
मित्रों,
बाय गांव के दशहरे में प्रति - वर्ष राम - रावण युद्ध दशहरा मैदान में हजारों लोगों की भीड़ के हुजूम के बीच धनुष और तलवार जैसे अनेकों शस्त्रों के द्वारा लड़ा जाता हैं। जो काफी रोमांचित करने वाला होता है। रावण की लंका में मनायी जाने वाली रंगरेलियां भी देखने को मिलती हैं। भंयकर युद्ध होता है। युद्ध के मैदान में अंहकारी रावण परास्त होता हैं। रावण मारा जाता हैं, परन्तु रावण का पुतला नहीं जलाया जाता । वास्तविक चित्रण देखने को मिलता हैं। रावण की मृत्यु के पश्चात् मंदोदरी विलाप होता हैं जो काफी अच्छे तरीके के दिखाया।
हिन्दुस्तान के हर हिस्से में आप रावण का पुतला जलते देखते होंगे लेकिन बाय कस्बे में प्रति वर्ष रावण मरता।
दशहरा मैदान में और भी बहुत मन को आनन्द देने वाले एक से बढ़कर एक कार्यक्रम होते हैं।
मित्रों पात्र परिचय में आज राम - रावण के पात्रों के बारे में जानकारी दें रहा हूं।
राम के पात्र का नाम हैं पंडित श्री गोपाल लाल जी शर्मा बाय। गोपाल लाल जी शर्मा श्री जानकीनाथ मंदिर के महंत हैं। इनके दादाजी का नाम स्वर्गीय पंडित जीवण राम जी शर्मा है। पंडित जीवण राम जी भी दशहरे में राम की भूमिका निभाते थे उनका नाचना बेहद ही खूबसूरत और आकर्षक था। पंडित गोपाल लाल ने यह कला अपने दादा जी से ही सीखी हैं और बहुत ही सुन्दर कला का प्रदर्शन करते हैं।
मित्रों रावण का किरदार निभाने वाले पात्र का नाम पंडित सुरेश मिश्रा हैं। सुरेश मिश्रा स्वर्गीय श्री फूलचंद जी मिश्रा मास्टर जी के सबसे छोटे पुत्र हैं। स्वर्गीय श्री फूलचंद जी मिश्रा भी बाय दशहरे में रावण का किरदार निभाते थे। उनके बाद उनका पुत्र अब यह किरदार निभा रहे हैं। आदरणीय मास्टर जी का रावण का अभिनय और कला आज भी बाय के लोग नहीं भूल पाये। पंडित सुरेश मिश्रा अपने पिताजी की तरह ही रावण के किरदार को भली-भांति निभा रहे।
राम - रावण युद्ध बाय दशहरे को ऐतिहासिक बनाता है।
मित्रों पात्र परिचय में बस आज इतना ही आगे की पोस्ट में फिर मिलेंगे एक नये कलाकार के साथ।

मित्रों सबसे खास बात इस मेले की यह है कि इस पूरे मेले के प्रत्येक पहलू और प्रदर्शन का "श्री मातादीन जी मिश्रा (गुरूजी) अपनी मधुर, ओजस्वी, मंत्रमुग्ध, आकर्षित वाणी से अपने सहयोगी साथी पंडित श्री सुरेश जी आसलपुर, श्री योगेश शर्मा (अध्यापक)और श्री मनीष शर्मा (लेखाकार) के सहयोग से इस प्रकार व्याख्यान करते हुए मेले का रसपान करवाते है कि उपस्थित जनसमूह को "त्रैता युग " में हुए प्रत्येक घटनाक्रम की याद दिला देता है। जनसमूह को पूरे 24 घंटो तक मंत्रमुग्ध बनाए रखने में "श्री मातादीन जी मिश्रा " अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निर्वहन करते है।
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।। जय बाबा लक्ष्मीनाथ की ।।

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