राजर्षि तुल्य कुल राजवंश /नल वंश –

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राजर्षि तुल्य कुल राजवंश
दक्षिण कोशल पर राज करने वाले राजर्षि तुल्य वंश के बारे में आरंग के ताम्र पत्र से जानकारी मिलती है रायपुर से लगभग 30 किमी दूर आरंग से जो ताम्र पत्र प्राप्त हुआ है उसमे इस वंश के 6 शासको के बारे में जानकारी मिली है और यह जानकारी नामोउल्लेख तक ही सिमित है राजर्षि कुल के अंतिम शासक (भीमसेन द्वितीय ) ने यह ताम्रपत्र सुवर्ण नदी के किनारे से जारी किया था ।

ताम्र पत्र में जानकारी के अनुसार इस वंश का पहला शासक शूरा था , जिसके नाम पर इस राजवंश को शूरा राजवंश भी कहाँ जाता है ।

सुवर्ण नदी के बारे में इतिहासकारो के मध्य मतभेद है डॉ मिराशि के अनुसार यह जांजगीर जिले में बहने वाला सोन नाला है।
लेकिन डॉ हीरालाल काव्योपाध्याय इसे अमरकंटक से निकलने वाली सोन नदी मानते है, और यह अनुमान सही प्रतीत होता है, क्योकि अमरकण्टक पुण्य छेत्र माना जाता है, और पुण्य छेत्र या उसके आस पास के नदी से ताम्र पत्र जारी करने की प्रथा रही है।

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