चमत्कारी आवड़ माता | आवड़ माता के चमत्कार से जुड़ी कथा | राजस्थान | 4K | दर्शन 🙏

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भक्तों नमस्कार! प्रणाम! और अभिनन्दन..भक्तों! हमारे देश के सिरमौर राजस्थान के चारणकुल में जन्मी अनेक देवियाँ हैं जिन्होंने अपने जीवनकाल में ही प्रत्यक्ष चमत्कारों के बलबूते राजस्थान के आम जन मानस और शासकों को भी प्रभावित किया है। यही कारण है कि इन देवियों को इनके जीवनकाल में ही जहाँ आम जनता ने ईष्टदेवी के रूप में पूजा, तो वहीं राजाओं ने अपनी कुलदेवी के रूप प्रतिष्ठित किया और मंदिर बनवाया। ऐसा ही मंदिर है स्वांगिया माता और आवड़ माता के नाम से प्रसिद्ध भादरिया राय माता का...

देवी के प्रतीक त्रिशूल की पूजा:
भक्तों भारत के वंश के भाटी राजपूत आवड बहनों को अपनी कुलदेवी मानते हैं वे आज भी इस कुलदेवी के प्रति पूर्ण आस्था रखते है तथा देवी के प्रतीक के रूप में त्रिशूल का अंकन कर षोडशोपचार पूजा-अर्चना करते है।

तनोट मे भादरिया माता:
भक्तों माता स्वांगियां का एक मंदिर भारत-पाक सीमा पर तनोट गांव में भी है। भाटी राजपूत नरेश तणुराव ने वि.सं. 828 में भादरिया का मंदिर बनवाकर मूर्ति को स्थापित की थी। तणुराव भाटी द्वारा निर्मित होने के कारण ये मंदिर “तनुटिया तनोट मंदिर” के नाम से प्रसिद्ध है। भाटी तणुराव द्वारा निर्मित इस मंदिर में सैकड़ों वर्षों से अखण्ड ज्योति आज तक प्रज्वलित है।

भारतीय सैनिकों पर आवड माता की कृपा:
भक्तों कहा जाता है कि भारत-पाक युद्ध के समय आवड़ माता ने वहाँ तैनात तत्कालीन सैन्य अधिकारी के स्वप्न में आकर कहा था कि जब तक तुमलोग मेरी छत्रछाया में हो, तबतक मैं तुम सबकी रक्षा करूँगी। सैन्य अधिकारी ने माता को सैनिकों के साथ मानकर पूरे आत्मविश्वास के साथ युद्ध प्रारम्भ किया। माता की कृपा से संख्या में कम होने के बावजूद भारतीय सैनिक पाक सैनिकों पर कहर बनकर टूटे और सैकड़ों सैनिकों को मार गिराया। इससे पाकिस्तनी सेना भागने को मजबूर हो गई।

पाक सैनिकों पर आवड़ माता का कहर:
भक्तों 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान आवड़ माता के घंटियाली राय मंदिर में पाक सैनिक देवी की मूर्तियों को खंडित करने का दुस्साहस कर माता के कोप भाजन बने। कहा जाता है कि मंदिर में विराजमान प्रतिमाओं को खंडित करने वाले पाक सैनिक, मुंह से खून वमन करते हुये मृत्यु को प्राप्त हुए।

भादरिया में आवड माता की झांकी:
भक्तों भादरिया मंदिर में आवड़ माता की झांकी बड़ी आकर्षक और मनमोहक है माता अपनी छहों बहनों और इकलौते भाई के मध्य कमलासन पर विराजमान हैं। माता की मूर्ति चार भुजाओं वाली है। वो चारों हाथों में चूड़ा धारण किए हुए हैं। दायीं ओर एक हाथ में त्रिशूल, दूसरे में माला, बाईं ओर एक हाथ में खड्ग (तलवार), दूसरे में कमल का फूल है। माता के गले में मुक्ताहार है। छहों सभी बहनों के हाथों में चूड़ा और गले में मुक्ताहार है। सभी बहनों का हाथ एक दूसरी भादरिया राय मंदिर जैसलमेर राजस्थान शोध आलेख
बहिन के कन्धे पर है। छहों बहनों के एक हाथ में महिष का सिर विच्छेदन करता हुआ त्रिशूल है। बाईं छोर पर देवियों के भाई महिरक्ख (महिरक्ष) खड़े हैं, वो अपने बाएँ हाथ त्रिशूल धारण किए हुए हैं और दाहिने हाथ में आवड देवी पर चँवर डुला रहे हैं। आठों मूर्तियों पर छत्र हैं। यहाँ पर माता के पुजारी शाकल द्विपीय ब्राह्मण हैं।

भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद। दर्शन ! 🙏

इस कार्यक्रम के प्रत्येक एपिसोड में हम भक्तों को भारत के प्रसिद्ध एवं प्राचीन मंदिर, धाम या देवी-देवता के दर्शन तो करायेंगे ही, साथ ही उस मंदिर की महिमा उसके इतिहास और उसकी मान्यताओं से भी सन्मुख करायेंगे। तो देखना ना भूलें ज्ञान और भक्ति का अनोखा दिव्य दर्शन। 🙏

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि तिलक किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

श्रेय:
संगीत एवम रिकॉर्डिंग - सूर्य राजकमल
लेखक - रमन द्विवेदी

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