गीता सार, गीता के 51 अनमोल उपदेश आपकी ज़िन्दगी में चमत्कार कर देंगे Shri Bhagvad Geeta Saar New Life
51 TEACHINGS FROM SHRI MAD BHAGWAD GEETA
1. श्री मद भगवद्गीता का सबसे पहला उपदेश का ये है कि कोई अगर आपका अपना है या कोई अपना आपसे बड़ा है तो उसका अपने प्रति गलत व्यवहार कभी भी सहन नहीं करना चाहिए ।
2. जो चला गया है कभी उसका दुख मत करो और जो आने वाला है उसकी बिल्कुल भी चिंता मत करो
3. मौत से डरना बिल्कुल व्यर्थ है। श्री कृष्ण ने गीता में कहा है
4. मन और विचारों को कंट्रोल किए बिना ज़िन्दगी में कभी शांति और सुकून नहीं मिलने वाला।
5. वासना क्रोध और लालच सर्वनाश का कारण है, नर्क का द्वार है।
6. सब भगवान एक ही है कोई छोटा बड़ा नहीं है सब एक परब्रह्म परमात्मा के अलग अलग रूप और नाम हैं।
7. सुख की इच्छा ही अखिर मे हमारे दुखों का कारण बनती है.
8. जो भी मनुष्य दुनिया के सारे सहारे छोड़ कर सिर्फ भगवान को ही अपना सहारा मान लेता है उसकी हर जरूरत वो परमात्मा पूरी करता है
9. इस संसार में हमारा कुछ भी नहीं है।
10. किसी में भी हद से ज़्यादा मोह कभी मत करना।
11. इस दुनिया में अगर आए हो दुख तो मिलेगा ही मिलेगा क्यूँकी श्री कृष्ण ने गीता में कहा है कि ये संसार " दुखालयम अशाशवतम" है।
12. कर्म करते रहो, फल की चिंता मत करो यही गीता का मूल मंत्र है।
13. आत्मा अजर-अमर है, न ये जल सकती है, न कट सकती है, न मर सकती है।
14. जो जैसा सोचता है, वैसा ही बन जाता है।
15. मनुष्य अपने कर्मों से ही महान या तुच्छ बनता है।
16. जो अपने मन को जीत लेता है, वही सच्चा विजेता होता है।
17. मोह, माया और अहंकार इंसान को पतन की ओर ले जाते हैं।
18. अपने धर्म का पालन करना ही सबसे बड़ा धर्म है।
19. ज्ञान ही अंधकार को दूर करता है, और अज्ञानता सबसे बड़ा शत्रु है।
20. जब-जब अधर्म बढ़ेगा, मैं धर्म की स्थापना के लिए अवतार लूंगा।
21. सच्चा भक्त वो है जो हर स्थिति में भगवान को याद करता है।
22. जो भी होता है, अच्छे के लिए होता है — इसे समझो और स्वीकार करो।
23. जो स्थिर बुद्धि वाला है, वही जीवन के उतार-चढ़ाव में भी शांत रहता है।
24. ईर्ष्या, द्वेष और घमंड का त्याग करो।
25. संसार में हर चीज़ क्षणिक है, इसलिए उसमें मोह नहीं करना चाहिए।
26. अपने कर्तव्यों से कभी भागना नहीं चाहिए।
27. मन को बार-बार भगवान में लगाओ, यही सबसे सच्ची साधना है।
28. ज्ञानी और भक्त दोनों ही मुझे प्रिय हैं, परन्तु भक्त मुझे सबसे प्रिय होता है।
29. जो सच्चे मन से मेरा स्मरण करता है, मैं सदा उसके साथ रहता हूँ।
30. जो अपने दोषों को पहचान कर उन्हें सुधारता है, वही वास्तव में ज्ञानी है।
31. हर जीव में ईश्वर का अंश है, इसलिए सबका सम्मान करो।
32. जीवन का उद्देश्य केवल सांस लेना नहीं, आत्मा की उन्नति है।
33. जिस कार्य में भक्ति और सेवा हो, वही श्रेष्ठ कर्म है।
34. अपने कर्मों का फल तुम्हें इस जन्म या अगले में अवश्य मिलेगा।
35. जो इच्छा रहित होकर कर्म करता है, वह बंधन से मुक्त हो जाता है।
36. अहंकार ही अज्ञान का सबसे बड़ा लक्षण है।
37. भगवान को पाने के लिए किसी विशेष स्थान या वस्त्र की ज़रूरत नहीं, सिर्फ सच्ची भावना चाहिए।
38. जो दूसरों के दुख में दुखी हो, वही सच्चा मनुष्य है।
39. सबसे बड़ी विजय अपने आप पर नियंत्रण पाने की होती है।
40. जो ब्रह्म को जानता है, वह मृत्यु से नहीं डरता।
41. भगवान का नाम स्मरण सबसे सरल और प्रभावशाली साधना है।
42. ध्यान और योग के द्वारा आत्मा से संपर्क हो सकता है।
43. जो सच्चा योगी है, वह सब जीवों को समान दृष्टि से देखता है।
44. पराई स्त्री को माँ के समान और पराए धन को मिट्टी समझो।
45. जिसके पास क्षमा, दया और संयम है, वह सच्चा साधक है।
46. जो हर परिस्थिति में भगवान का धन्यवाद करता है, वही सच्चा भक्त है।
47. गीता का ज्ञान केवल पढ़ने के लिए नहीं, जीवन में अपनाने के लिए है।
48. विश्वास, श्रद्धा और धैर्य – ये तीनों आध्यात्मिक मार्ग के स्तंभ हैं।
49. अज्ञान का अंधकार केवल ज्ञान के दीप से दूर हो सकता है।
50. भगवान की इच्छा सर्वोपरि है, उसे समझना और स्वीकार करना ही भक्ति है।
51. अंत समय में जो मनुष्य मेरा नाम स्मरण करता है, वह मुझे ही प्राप्त होता है।
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