Panchmukhi Hanuman Kavach एक अत्यंत शक्तिशाली स्तोत्र है जो जीवन में भय, नकारात्मकता और संकटों से रक्षा करने वाला माना जाता है। भगवान हनुमान के पाँच मुख — हनुमान, नरसिंह, गरुड़, वराह, और हयग्रीव — से युक्त यह रूप असाधारण शक्ति, ज्ञान और साहस का प्रतीक है।
इस वीडियो में सुनिए पूर्ण Panchmukhi Hanuman Kavach जो आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, आत्म-विश्वास और दिव्य सुरक्षा लाएगा।
भक्तजन मानते हैं कि इस कवच के नियमित पाठ से बुरी शक्तियाँ दूर रहती हैं, मन में स्थिरता आती है और कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
🙏 कवच सुनने के लाभ:
भय और बुरी शक्तियों से सुरक्षा
साहस, ऊर्जा और आत्मविश्वास में वृद्धि
घर-परिवार में शांति और समृद्धि
मानसिक एकाग्रता और अध्यात्मिक उन्नति
📿 कैसे करें श्रवण:
सुबह या शाम हनुमानजी के सामने दीपक बुझाकर यह स्तोत्र सुनें। हनुमान चालीसा या सुंदरकांड के साथ इसका श्रवण करने पर यह और अधिक प्रभावी होता
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/ @aarushimusicword88
जय बजरंगबली 🔥
पंचमुखी हनुमान आपको हर कष्ट और भय से रक्षा करें।
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पंचमुखी हनुमान कवच हिन्दू धर्म में उपलब्ध सबसे अद्भुत और दिव्य कवचों में से एक है। इसे अपूर्व शक्ति, अजेयता और सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है। हिन्दू ग्रंथों में बताया गया है कि यह कवच न केवल शारीरिक, मानसिक और आत्मिक संकटों से रक्षा करता है, बल्कि साधक को जीवन में अपार सफलता, सामर्थ्य, धन, समृद्धि और सकारात्मकता भी प्रदान करता है।
रामायण के अनुसार, लंका युद्ध के दौरान रावण ने अपने भाई अहिरावण (महीरावण) को बुलाया, जो पाताल लोक का राजा था, और भगवान राम व लक्ष्मण को हराकर ले गया। जब भगवान हनुमान पाताल लोक पहुंचे, उन्होंने जाना कि अहिरावण की मृत्यु पांच दीपकों को एक साथ बुझाने से संभव है जो पाँच दिशाओं में रखे थे। हनुमानजी ने तब पंचमुखी (पाँच मुख) रूप लिया और साथ-साथ पाँचों दीपकों को बुझाया, जिससे अहिरावण का वध हुआ और श्रीराम-लक्ष्मण की रक्षा हुई। इससे उनकी पंचमुखी शक्ति का प्राकट्य हुआ, जिसमें
पूर्व: हनुमान मुख
दक्षिण: नरसिंह मुख
पश्चिम: गरुड़ मुख
उत्तर: वराह मुख
ऊपर: हयग्रीव मुख
शामिल हैं, ये पांचों स्वरूप अत्यंत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये सभी दिशाओं से सुरक्षा प्रदान करते हैं।
पंचमुखी हनुमान कवच का उल्लेख मुख्यतः नृसिंह पुराण, देवीभागवत, तांत्रिक ग्रंथों व कई पुराणों में किया गया है। माघ, चैत्र, और भाद्रपद पूर्णिमा जैसी तिथियाँ इसके पाठ के लिए विशेष मानी जाती हैं। ब्रह्मा जी को इसका ऋषि और गायत्री को इसका छंद बताया गया है। इसमें बीज मंत्र ‘ह्रीं’ और ‘श्रीं’ के साथ-साथ पवित्र विनियोग और कवच मंत्र आते हैं।
4. कवच का पाठ विधि
प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें
हनुमानजी की प्रतिमा या चित्र के समक्ष दीपक, पुष्प, रोली, अक्षत, और चंदन अर्पित करें
ध्यानपूर्वक इस कवच का पाठ करें
मंगलवार, शनिवार, अमावस या चतुर्दशी को पाठ करना विशेष फलदायी है
शुद्ध मन, श्रद्धा और विश्वास के साथ पाठ करना सर्वश्रेष्ठ माना गया है
5. पंचमुखी हनुमान कवच का पूर्ण पाठ
(संक्षिप्त और प्रमुख श्लोक, अर्थ सहित)
श्रीगणेशाय नमः।
ॐ अस्य श्रीपञ्चमुखहनुमत्कवचस्य ब्रह्मा ऋषिः।
गायत्री छन्दः। पञ्चमुखी श्रीहनुमान देवता।
हं बीजं। हं शक्तिः। हुं कीलकम्।
श्री गरुड़ उवाच -
अथ ध्यानं प्रवक्ष्यामि, शृणु सर्वांगसुंदर इति।
पञ्चवक्त्रं महाभीमं त्रिपञ्चनयनैः युतम्।
बाहुभिः दशभिः युक्तं सर्वकामार्थ सिद्धिदम्॥
(भावार्थ: पंचमुखी हनुमान 5 मुख, 10 भुजाओं और 15 नेत्रों वाले हैं, जो सभी इच्छाओं की पूर्ति करते हैं)
पूर्वं तु वानरं वक्त्रं कोटिसूर्य समप्रभम्।
दंष्ट्राकरालवदनं भृकुटिकुटिलेक्षणम्॥
(भावार्थ: पूर्व दिशा के हनुमानमुख से असुर रक्तबीज के संहारक रूप का दर्शन मिलता है)
दक्षिणं वक्त्रं नारसिंहं महाद्भुतम्।
पश्चिमं गारुड़ं वक्त्रं वक्रतुण्डं महाबलम्॥
उत्तरं वराहं वक्त्रं शाश्वतम्।
ऊर्ध्वं हयग्रीवं श्मशानवेश्म स्थितम्।।
(अर्थ: दक्षिण का नरसिंह, पश्चिम का गरुड़, उत्तर वराह और ऊपर हयग्रीव मुख दर्शाते हैं)
6. पंचमुखी हनुमान कवच के शक्तिशाली लाभ
शत्रुओं, भूत-प्रेत, बुरी शक्तियों, नज़र दोष, शनि-साढ़ेसाती, मंगल दोष, ग्रह बाधा, अपयश आदि से सुरक्षा
अचानक आये संकट, दुर्घटना, खोई हुई शांति, रोग एवं मृत्युभय का नाश करना
घर, दफ्तर, व्यवसाय स्थल पर सकारात्मक ऊर्जा का संचार और वास्तु दोष का निवारण
धन, सुख, वैभव, यश, पराक्रम, और शौर्य प्राप्त करना
सभी प्रकार की मनोकामनाओं एवं कार्यों में सिद्धि प्राप्ति
बार-बार असफलता, मानसिक तनाव, भय के समय इसका पाठ अत्यंत लाभकारी
7. पंचमुखी हनुमान कवच का वैज्ञानिक पक्ष
पौराणिकता के साथ-साथ, इसके पाठ से मन-संयोग, आत्मबल, सकारात्मक सोच तथा आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। लगातार दोहराए जाने वाले मंत्र उच्चारण से शारीरिक ऊर्जा शांति, ध्यान और मानसिक संतुलन प्राप्त होता है।
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