शेरगढ़ किला बारां || कोशवर्धन दुर्ग का इतिहास || पूरी जानकारी || Shergarh Fort Baran ||

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कोशवर्द्धनगढ़, शेरगढ़ का किला (गिरि एवं जल दुर्ग), बारां

वर्तमान बारां जिले के अन्तर्गत शेरगढ़ का किला कोशवर्द्धन पर्वत शिखर पर निर्मित है। इस पर्वत शिखर के नाम पर ही इसका नाम कोशवर्द्धन था। शेरशाह सूरी ने अपने मालवा अभियान (1542 ई.) के समय इस किले पर अधिकार कर इसका नाम 'शेरगढ़' रखा।यह किला कोटा से लगभग 145 कि.मी. दक्षिण पूर्व में परवन नदी के किनारे स्थित है। राजकोश में निरंतर वृद्धि करने वाला होने के कारण कदाचित इसका यह नाम पड़ा हो। यहां अनेक राजवंशों ने शासन किया जिनमें नागवंशीय क्षत्रिय, डोड परमार, खींची चौहान, मालवा (मांडू) के सुल्तान, अफगान शासक शेरशाह सूरी, मुगल बादशाह तथा कोटा के हाड़ा शासक प्रमुख और उल्लेखनीय हैं। दोहरे परकोटे से सुरक्षित तथा जलावेष्ठित यह किला शत्रु के लिए दुर्भेद्य था। फर्रुखसियर ने इसे कोटा महाराव भीमसिंह को पुरस्कार स्वरूप प्रदान किया। झाला जालिमसिंह (1758-1824 ई.) ने शेरगढ़ का जीर्णोद्धार करवाया तथा किले के भीतर महल एवं अन्य भवन बनवाये। उसने अपने रहने के लिए जो भवन बनवाया, वह 'झालाओं की हवेली' के नाम से प्रसिद्ध है।

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