झारखंड रत्न सेवा एवार्ड से अलंकृत गायक, वादक, और संगीतकार श्री रविकांत भगत जी का खास कार्यक्रम।

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सरल व्यक्तित्व, मृदुभाषी, मिलनसार, संस्कृति और कला प्रेमी श्री रविकांत भगत जी इंजिनियरिंग की शिक्षा ग्रहण की है। परंतु आदिवासी संस्कृति, भाषा, गायिकी और संगीत में बचपन से अत्यंत लगाव के कारण उन्होंने कला को आत्मसात कर लिया। उनकी मेहनत, लगन और दृढ़ईच्छा शक्ति ने उन्हें बहुत ऊँचे पायदान पर पहुँचा दिया। उनकी पहली गीत "ओहरे एंग्हय जिया चींख़ी" एक सरना भजन था, जो बहुत प्रसिद्ध हुआ। उसके बाद उन्होंने अनेक हिट गीत कुँड़ुख़, सादरी और अन्य भाषाओं में गाते चले गए। उन्होंने चाला राजी, टोरी केर सेलेम गोरी, निंग्हय रिंग, झिलमिल सेलेम, मोर दिल, खेओन कालोन, अयंग राजी मेख़ा ली, मोर दिल, सरना केर छांव में, आदि शक्ति सरना, ख़ेंख़ेल राजी, झारखंडी पेल्लो, गुचा भाई बहिन नौर पूँप पंडरू पुइंदा जैसे हिट गानें गाये। अब तक वे 50 से ऊपर गीत गा चुके हैं जिसे स्वय़ रचित कर संगीत और स्वर दिये हैं।

श्री रविकांत भगत जी को राज्य स्तरीय, राष्ट्रीय, और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। उन्हें झारखंड रत्न सेवा एवार्ड से 2019 में नवाजा गया है। वे बहुत कम उम्र में अपनी मेहनत और लगन से इस मुकाम तक पहुंचे हैं। आज उनके पास राँची, लोहरदगा, और लातेहार मिलाकर कुल 4 निजी स्टूडियो हैं, जिनके निर्देशक वे स्वयं हैं।

ऐसे प्रतिभावन और चहुंमुखी विकास करने वाले, आदिवासियों के गौरव व्यकित्व श्री रविकांत भगत जी के साथ KurukhWorld! चैनल के संचालक श्री नेम्हस एक्का ने लम्बी बातचीत की है, जिसमें उनकी अनेक गुणों का खुलासा हुआ है। गायन, वादन और संगीत प्रेमियों के लिए यह विडियो बहुत लाभदायक सिद्ध होगा, क्योंकि उन्होंने संगीत के अनेक राज खोल दिये हैं।

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