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Скачать или смотреть क्या है शरद पूर्णिमा/कोजागर पूजा? जानें महत्व?

  • Sanatan Dharm Seva
  • 2022-10-08
  • 63
क्या है शरद पूर्णिमा/कोजागर पूजा? जानें महत्व?
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Описание к видео क्या है शरद पूर्णिमा/कोजागर पूजा? जानें महत्व?

क्या है शरद पूर्णिमा/कोजागर पूजा? जानें महत्व?



शरद पूर्णिमा वर्ष में एकमात्र ऐसा दिन होता है, जब चन्द्रमा अपनी सभी सोलह कलाओं के साथ निकलता है एवं पृथ्वी के सबसे निकट होता है। धार्मिक एवं वैज्ञानिक दोनों ही दृष्टि से यह दिन बेहद लाभदायक माना गया है। हिंदू धर्म में, मानव का प्रत्येक गुण किसी न किसी कला से जुड़ा होता है, और यह माना जाता है कि सोलह विभिन्न कलाओं का संयोजन एक आदर्श व्यक्तित्व का निर्माण करता है।

शरद पूर्णिमा हिन्दू पंचांग में सर्वाधिक महत्व रखती है। शरद पूर्णिमा के दिन चन्द्रदेव की पूजा करना अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। यह शरद ऋतु में आती है तथा इसे अश्विन मास (सितंबर-अक्टूबर) की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस उत्सव को कौमुदी अर्थात चन्द्र प्रकाश अथवा कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। भारत के कई राज्यों में शरद पूर्णिमा को फसल कटाई के उत्सव के रूप में मनाते हैं, तथा इस दिवस से वर्षाकाल ऋतु की समाप्ति तथा शीतकाल ऋतु की शुरुआत होती है। गुजरात में शरद पूर्णिमा को शरद पूनम के नाम से भी मान्यता प्राप्त है।

शरद पूर्णिमा (कोजागरी पूर्णिमा) का महत्व।



इस दिन है खीर का विशेष धार्मिक एवं वैज्ञानिक महत्व - शरद पूर्णिमा 2022 के दिन चन्द्रमा से उत्पन्न होने वाली रश्मियाँ (किरणें) अद्भुत स्वास्थ्प्रद तथा पुष्टिवर्धक गुणों से भरपूर होती है, जो शरीर और आत्मा को सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती हैं। साथ ही यह मान्यता भी है कि इस दिन चंद्र प्रकाश से अमृत की वर्षा होती है। श्रद्धालु इस दिन खीर बनाते हैं, और इसे चन्द्रमा के सभी सकारात्मक एवं दिव्य गुणों से परिपूर्ण करने के लिए इस खीर को चन्द्र प्रकाश के सीधे संपर्क में रखते हैं। इस खीर को प्रसाद के रूप में अगली सुबह वितरित किया जाता है।

इसके साथ ही यह भी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के चन्द्रमा की किरणें अमृतमयी होती हैं। इसीलिये इस दिव्य संयोग का लाभ उठाने के लिये, पारम्परिक रूप से शरद पूर्णिमा के दिन, गाय के दूध से बनी खीर और नेत्रों की ज्योति में वृद्धि करने वाली एक विशेष मिठाई जिसे ब्रज भाषा में इसे पाग कहते हैं- को बनाया जाता है, और पूरी रात चन्द्रमा की किरणों के नीचे रखा जाता है। ऐसी मान्यता है कि चन्द्रमा की किरणों से इस मिठाई में अमृत जैसे औषधीय गुण आ जाते हैं। प्रातःकाल, इस खीर का सेवन किया जाता है, और परिवार के सदस्यों में प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। तथा नेत्रों की ज्योति के लिये लाभदायक मिठाई का कई दिनों तक औषधि की भाँति सेवन किया जाता है।

शरद पूर्णिमा के दिन ही भगवान श्रीकृष्ण ने किया था महारास नृत्य।



बृज क्षेत्र में शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात्रि को भगवान श्री कृष्ण ने दिव्य प्रेम का नृत्य महा-रास (आध्यात्मिक/अलौकिक प्रेम का नृत्य) किया था। प्राचीन कथाओं के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात्रि में, श्री कृष्ण की बाँसुरी का दिव्य संगीत सुनकर, वृन्दावन की गोपियाँ श्री कृष्ण के साथ नृत्य करने के लिये वन में चली गयीं। यह वह रात्रि थी जब योगीराज श्री कृष्ण ने प्रत्येक गोपी के साथ पृथक कृष्ण बनकर पृथक-पृथक नृत्य किया। ऐसा माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने अलौकिक रूप से इस रात्रि के समय को भगवान ब्रह्मा की एक रात्रि के बराबर कर दिया और ब्रह्मा की एक रात्रि मनुष्य के अरबों वर्षों के बराबर मानी जाती है। बृज तथा वृन्दावन में रास पूर्णिमा को वृहद स्तर पर मनाया जाता है।

शरद पूर्णिमा व्रत का महत्व।



नवविवाहित सौभाग्यवती स्त्रियाँ, जो वर्ष की प्रत्येक पूर्णिमासी को उपवास करने का संकल्प लेती हैं, वे शरद पूर्णिमा के दिन से उपवास प्रारम्भ करती हैं। यह दिवस धन की देवी, माता लक्ष्मी से भी सम्बंधित है। ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा को व्रत रख कर पूर्ण रात्रि माता लक्ष्मी का पूजन करने से व्यक्ति की कुण्डली में लक्ष्मी योग नहीं होने के उपरांत भी अथाह धन तथा वैभव की प्राप्ति होती है।

स्नान एवं दान का विशेष महत्व।



शरद पूर्णिमा के अवसर पर ब्रजघाट गंगानगरी में लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ आस्था की डुबकी लगाकर पुण्य का लाभ अर्जित करती है। श्रद्धालु इस पूर्णिमा पर निष्ठा के साथ गंगा मैया में डुबकी लगाकर पापों से मुक्त होकर मनोवांछित फल प्राप्त करते हैं। इस पावन अवसर पर गरीब-निराश्रितों को भोजन-वस्त्र का दान करने का भी विशेष महत्व है।

इस प्रकार इस लेख में आपने शरद पूर्णिमा पर्व से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों के साथ ही इस पर्व का महत्व जाना भी। हमें उम्मीद है कि आज का यह लेख आपके लिए जानकारी से पूर्ण रहा होगा। यदि यह लेख आपको अच्छा लगा हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें, ताकि वह भी शरद पूर्णिमा से जुड़ी तमाम बातें जान सकें और इस पर्व के महत्व से अवगत हो सकें।



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