⚔️आज राजनांदगांव रियासत(राजमहल) घूमने वाले हैं। rajnandgaon riyasat story'🗡️.

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⚔️आज राजनांदगांव रियासत(राजमहल) घूमने वाले हैं। rajnandgaon riyasat story'🗡️.



नंदगाँव राज्य ब्रितानी काल में भारत की एक देशी रियासत थी। इसे राजनांदगांव भी कहते हैं। भारत की स्वतन्त्रता के बाद इसे मध्य प्रदेश में सम्मिलित किया गया था मध्यप्रदेश के विभाजन के बाद अब यह छत्तीसगढ़ में है। नंदगांव राज्य की स्थापना सन् 1766 में महन्त प्रह्लाद दास बैरागी ने की थी नांदगांव राज्य बैरागी शासकों द्वारा शासित था[1]

यह राज्य 905 वर्ग मील में फैला था सन् 1881 में इस राज्य में 540 गांव थे सन् 1881 में नंदगाँव राज्य की कुल जनसंख्या 1,64,339 थी।

नांदगांव रियासत, जिसकी राजधानी राजनांदगांव में थी। इस रियासत की स्थापना महन्त प्रह्लाद दास बैरागी ने वर्ष 1765 में की ‌थी। प्रह्लाद दास बैरागी, अपने साथियों के साथ सनातन धर्म का प्रचार करने के लिए पंजाब से छत्तीसगढ़ आए थे। अपनी यात्रा का खर्च निकालने के लिए ये बैरागी साधु, पंजाब से कुछ शाल भी अपने साथ ले आते और उन्हें छत्तीसगढ़ में बेचकर अपनी यात्रा का खर्च चलाते।[2]

बिलासपुर के पास रतनपुर में मराठा राजाओं के प्रतिनिधिप्रतिनिधि बिंबाजी का महल था। स्थानीय लोग बिंबाजी को भी राजा के नाम से ही जानते थे। बिंबाजी, महन्त प्रह्लाद दास बैरागी के शिष्य बन गए और उन्हें अपनी पूरीरियासत में 2 रुपए प्रति गांव के हिसाब से धर्म चंदा लेने की इजाजत दे दी। धीरे-धीरे ये बैरागी अमीर हो गए और उन्होंने आसपास के कई जमींदारों को ऋण देना आरंभ कर दिया। जो जमींदार ऋण नहीं चुका पाए उनकी जमींदारी इन बैरागियों ने जब्त कर ली और धीरे-धीरे चार जमींदारी उनके पास आ गई जिनको मिलाकर नांदगांव रियासत की स्थापना हुई।

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