समझ मन मायला रे|| Samj Man Mayla Re || Gulab Nathji || भैरव भवानी चॉक जागरण

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बिन धोया रंग ना चढ़े रै,
तिरणों किण बिध होय,
समझ मन मायला (अंदर के मन ) रै,
थारी मैलोड़ी चादर धोय,
बिन धोया रंग ना चढ़े रै,
तिरणों (मुक्ति) किण बिध (कैसे ) होय,
समझ मन मांयला रै,
थारी मैलोड़ी चादर (आत्मा ) धोय,

 गुरां सा खुदाया कुँवा बावड़ी रे,
ज्यारों नीर गंगा ज़ळ होय,
कई तो नर न्हाय गया रे,
कई नर गया मुख धोय,
समझ मन मांयला रै,
थारीं मैलोड़ी चादर धोय,

तन की कुंडी (बावड़ी ) बणायले रे,
ज्यारें मनसा साबण (मन की साबुन ) होय,
प्रेम शिला पर देह फटकारों,
दाग रहे ना कोय,
समझ मन मांयला रै,
थारीं मैलोड़ी चादर धोय,

रोहिड़ो ( राजस्थानी वृक्ष) रंग को फ़ूटरों रै,
ज्यारां फ़ूल अजब रंग होय,
वा फुलां की शोभा न्यारी,
बीणज (बेच ) सके ना कोय,
समझ मन मांयला रै,
थारीं मैलोड़ी चादर धोय,
लिखमा जी ऊबा बीच भौम में रै,
ज्यारे दाग़ (आत्मा शुद्ध हो गई ) रह्यो ना कोय,
तीजी पेड़ी (तीसरी सीढ़ी ) लाँघ गया रे,
चौथी में रह्या रै सोय,
समझ मन मांयला रै,
थारीं मैलोड़ी चादर धोय,
जय श्री नाथ जी
जय श्री विकाश नाथजी

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