सूरदास के पद "जसोदा हरि पालनैं झुलावै.... सो नँद भामिनि पावै ।।" - शब्दार्थ साहित सप्रसंग भावार्थ

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इस वीडियो के माध्यम से मैंने सूरदास कृत "जसोदा हरि पालनैं झुलावै.... जो सुख सूर अमर-मुनि दुरलभ, सो नँद भामिनि पावै ।।"
पद का शब्दार्थ साहित सप्रसंग भावार्थ बड़े ही सुन्दर ढंग से बतलाने का प्रयास किया है ।

जसोदा हरि पालनैं झुलावै ।
हलरावै, दुलराइ मल्हावे, जोइ सोइ कछु गावै ।
मेरे लाल कौं आउ निर्देरिया, काहैं न आनि सुवावै ।
तू काहैं नहिं बेगहिं आवै, तोकौं कान्ह बुलावै |
कबहुँक पलक हरि मूँदि लेत हैं, कबहुँ अधर फरकावै ।
सोवत जानि मौन है कै रहि, करि करि सैन बतावै ।
इहिं अन्तर अकुलाइ उठे हरि, जसुमति मधुरैं गावै ।
जो सुख सूर अमर-मुनि दुरलभ, सो नँद भामिनि पावै ।।

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