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  • Raajdhani News
  • 2022-02-27
  • 235
अमरकंटक में पांच दिवसीय महाशिवरात्रि मेला
शिवरात्रि मेलाअमरकंटकनर्मदा नदी5 दिवसीय आयोजन
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Описание к видео अमरकंटक में पांच दिवसीय महाशिवरात्रि मेला

अनूपपुर। पवित्र नगरी अमरकंटक में वर्षों से परंपरागत रूप से महाशिवरात्रि पर्व संपूर्ण भव्यता के साथ आयोजित किया जाता रहा है। अमरकंटक में आयोजित महाशिवरात्रि के दो दिवस पूर्व व पश्चात कुल 5 दिवस का मेला 27 फरवरी से प्रारंभ होकर 3 मार्च 2022 तक आयोजित होगा 1 मार्च को अमरकंटक में महाशिवरात्रि का पर्व संपूर्ण भव्यता के साथ मनाया जाएगा। मां नर्मदा उद्गम मंदिर में जन आस्था का सैलाब उड़ेगा श्रद्धालु नर्मदा नदी में स्नान के साथ ही पूजा-अर्चना करेंगे श्रद्धालुओं के बड़ी संख्या में पहुंचने की संभावना को दृष्टिगत रख कलेक्टर सोनिया मीना के मार्गदर्शन में अमरकंटक में आयोजित पांच दिवसीय मेले की आवश्यक तैयारियां की जा रही है।
पौराणिक कथा - नर्मदा नदी को भगवान शिव की पुत्री कहते हैं इस वजह से वह शांकरी कहलाती हैं. लोक कल्याण के लिए भगवान शंकर तपस्या करने के लिए मैकाले पर्वत पर गए थे. उस समय उनकी पसीनों की बूंदों से इस पर्वत पर एक कुंड का निर्माण हुआ. कहा जाता है इसी कुंड में एक बालिका उत्पन्न हुई और उसका नाम पड़ा शांकरी अर्थात नर्मदा. जी दरअसल शिव ने आदेश दिया कि वह एक नदी के रूप में देश के एक बड़े भूभाग में रव (आवाज) करती हुई प्रवाहित होंगी. वहीं रव करने के कारण उनका एक नाम रेवा भी कहा जाता है. जी दरअसल मैकाले पर्वत पर उत्पन्न होने के कारण वह मैकलसुता के नाम से भी मशहूर हैं.
भगवान शिव की उपासना का पर्व महाशिवरात्रि इस साल 1 मार्च दिन मंगलवार को मनाई जाएगी। इस मौके पर लाखों श्रद्धालु शिव मंदिरों में जाकर रुद्राभिषे क करते हैं। बहुत से लोग शिवरात्रि का व्रत करते हैँ और रात्रि जागरण भी करते हैं। भगवान शिव में आस्था रखने वाले और महाशिवरात्रि का व्रत करने वाले लोग शिवरात्रि कथा जरूर पढ़ते/सुनते हैं। मान्यता है कि इससे भक्त की आस्था और ज्यादा मजबूत होती है। तो आए पढ़ते हैं
शिव पुराण के अनुसार, प्राचीन काल में चित्रभानु नामक एक शिकारी था। जानवरों की हत्या करके वह अपने परिवार को पालता था। वह एक साहूकार का कर्जदार था, लेकिन उसका ऋण समय पर न चुका सका। क्रोधित साहूकार ने शिकारी को शिवमठ में बंदी बना लिया। संयोग से उस दिन शिवरात्रि थी। साहूकार के घर पूजा हो रही थी तो शिकारी ध्यानमग्न होकर शिव-संबंधी धार्मिक कार्य नजर आया वहां से साहू खुस होकर शिकारी को छोड़ देता है ।
लेकिन महाशिवरात्रि सालभर में एक बार आती है। फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है। इस बार साल 2022 में यह पर्व 1 मार्च मंगलवार को है। महाशिवरात्रि का महत्व इसलिए है क्योंकि यह शिव और शक्ति की मिलन की रात है। शिवभक्त इस दिन व्रत रखकर अपने आराध्य का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। मंदिरों में जलाभिषेक का कार्यक्रम दिन भर चलता है। लेकिन क्या आपको पता है कि महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन शिवजी पहली बार प्रकट हुए थे। शिव का प्राकट्य ज्योतिर्लिंग यानी अग्नि के शिवलिंग के रूप में था। ऐसा शिवलिंग जिसका ना तो आदि हैं और न अंत। बताया जाता है कि शिवलिंग का पता लगाने के लिए ब्रह्माजी हंस के रूप में शिवलिंग के सबसे ऊपरी भाग को देखने की कोशिश कर रहे थे लेकिन वह सफल नहीं हो पाए। वह शिवलिंग के सबसे ऊपरी भाग तक पहुंच ही नहीं पाए। दूसरी ओर भगवान विष्णु भी वराह का रूप लेकर शिवलिंग के आधार ढूंढ रहे थे लेकिन उन्हें भी आधार नहीं मिला।
एक और कथा यह भी है कि महाशिवरात्रि के दिन ही शिवलिंग विभिन्न 64 जगहों पर प्रकट हुए थे। उनमें से हमें केवल 12 जगह का नाम पता है। इन्हें हम 12 ज्योतिर्लिंग के नाम से जानते हैं। महाशिवरात्रि के दिन उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में लोग दीपस्तंभ लगाते हैं। दीपस्तंभ इसलिए लगाते हैं ताकि लोग शिवजी के अग्नि वाले अनंत लिंग का अनुभव कर सकें।
महाशिवरात्रि को पूरी रात शिवभक्त अपने आराध्य जागरण करते हैं। शिवभक्त इस दिन शिवजी की शादी का उत्सव मनाते हैं। मान्यता है कि महाशिवरात्रि को शिवजी के साथ शक्ति की शादी हुई थी। इसी दिन शिवजी ने वैराग्य जीवन छोड़कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था। शिव जो वैरागी थी, वह गृहस्थ बन गए। माना जाता है कि शिवरात्रि के 15 दिन पश्चात होली का त्योहार मनाने के पीछे एक कारण यह भी है।
एक अन्य कथा और भी है।
चंद्रवंश के राजा हिरण्यतेजा को पितरों को तर्पण करते हुए यह अहसास हुआ कि उनके पितृ अतृप्त हैं. उन्होंने भगवान शिव की तपस्या की तथा उनसे वरदान स्वरूप नर्मदा को पृथ्वी पर अवतरित करवाया. भगवान शिव ने माघ शुक्ल सप्तमी पर नर्मदा को लोक कल्याणर्थ पृथ्वी पर जल स्वरूप होकर प्रवाहीत रहने का आदेश दिया. नर्मदा द्वारा वर मांगने पर भगवान शिव ने नर्मदा के हर पत्थर को शिवलिंग सदृश्य पूजने का आशीर्वाद दिया तथा यह वर भी दिया कि तुम्हारे दर्शन से ही मनुष्य पुण्य को प्राप्त करेगा. इसी दिन को हम नर्मदा जयंती के रूप में मनाते है. आप जानते ही होंगे नर्मदा जयंती पर जबलपुर के अतिरिक्त नर्मदा तटों में भक्तों की भीड़ लगी रहती है. इसी के साथ अमरकंटक, मण्डला ,होशंगाबाद , नेमावर और ओंकारेश्‍वर में भी नर्मदा नदी के घाटों पर श्रद्धालुओं को भारी संख्या में देखा जाता है जो वहां आकर नर्मदा नदी का दर्शन करते हैं।

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