BIHAR: SASARAM के इस मंदिर में होती है भगवान शिव के बूढ़े रूप की पूजा

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वैसे तो सावन मे हर शिव मंदिर तथा शिवालय का अपना अलग महत्व होता है। लेकिन सासाराम का प्राचीण बुढवाँ महादेव की बात ही निराली है। सासाराम के सोनमागढ मे स्थित प्राचीन बुढवाँ महादेव की पुजा भगवान परसुराम ने की थी। किदवंतिया है कि सहस्त्रवाहू से युद्द के लिय जाने से पुर्व परसुराम ने इसी शिवलिंग की पूजा अर्चना की थी। इसकी पैराणिकता से लोग इसे बुढवा महादेव कहते है। कहा तो ये भी जाता है कि इसके आसपास सोने का आपार खजाना था। इसी लिय लोग इसे सोनमा-गढ कहते है। इस मंदिर मे दूर-दूर से शिवभक्त सालो भर पुजा अर्चना करने आते है। लेकिन श्रावण मास मे यहाँ की पुजा का विशेष महत्व है। यहाँ अवस्थित शिवलिंग को भक्त परसुराम पुजित शिललिंग भी कहते है।

सासाराम के सोनमा-गढ को शिवभक्त शिव सर्किल से जुडा मानते है। देवघर के रावणेश्वर महादेव से वाराणसी के विश्वनाथ मंदिर जाने के क्रम मे लोग बुढवाँ महादेव का भी दर्शन करते है। अति प्राचीण तथा दुर्लभ शिवलिंग यहाँ की विशेषता है। लगातार जलाभिषेक तथा पुजा अर्चना के बाद भी यहाँ स्थापित शिललिंग के बनाबट मे जरा भी लेस नही आया है। लोग यहाँ शिव-आराधना तथा रूद्राभिषेक के लिय भी आते है। पुजारी कहते है की इस शिव मंदिर मे जो भी मनोकामना मांगे जाते है, उसे महादेव पुर्ण करते है। कैमूर पहाडी के तलहटी मे बसे इस मंदिर के प्रति लोगो मे गजब की श्रद्धा है।

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