लोहियाण गढ़ दुर्ग ll Unexplored fort Lohiyana Garh ll EP : 1

Описание к видео लोहियाण गढ़ दुर्ग ll Unexplored fort Lohiyana Garh ll EP : 1

नमस्कार दर्शकों....
खम्मा घणी.....
आज हम आपको बताते है एक Unexplored fort के बारे में....जो किवदंतियों में तो अमर है पर ज़्यादातर लोग इसे नही जानते....यह स्थान पड़ता है जालोर जिले के जसवंतपुरा तहसील में.….


संक्षिप्त में इतना ही बताना चाहूंगा कि यह फोर्ट छोटी सी रियासत देवल प्रतिहारो के अधीन थी...फिर जोधपुर दरबार इसको अपने अधीन ले लिया गया...उसके बाद उस पर रॉयल गेस्ट हाउस बनाया गया.....इसकी सुंदरता देखते हुए इसे माउंट आबू की तर्ज पर विकसित करने की भी योजना थी लेकिन राजतंत्र जाने से यह योजना ठंडे बस्ते में चली गई...
ध्यान रहे इसकी चढ़ाई 21 किमी वनवे है और आना जाना 50 किमी के आसपास पड़ता है तो फिर चलिए हमारे साथ Breathtaking trip पर करिए एक्सप्लोर करिए एक Unexplored site.....



लोहयानागढ़ एक ऐसा किला है जिसके साथ राजा चंदन व मणियागर रानी की कथा जुड़ी है....लोहयानागढ किला है सबसे शालीन सिरदारो देवल प्रतिहारो का....

तो चलिए हमारे साथ उसके बनने बिगड़ने की कहानी तक...सत्ता के सङ्घर्ष की कहानी तक....

राजा जसवंत सिंह द्वितीय के समयकाल में यह किला मारवाड के राठोड़ो के अधीन गया फिर महाराजा ने यहां रॉयल गेस्ट हाउस बनाए!

हुआ यूं ही मेरे एक मित्र महेंद्र सिंह भीनमाल का जन्मदिन था और हमारी लोहयानागढ़ जाने व रात रुकने की योजना बहुप्रतीक्षित थी....उनका कॉल आया तो मैं निकल पड़ा जसवंतपुरा जहां यह भुला बिसरा स्वर्ग बसा है....

ज्ञात हो कि कि इसकी चढ़ाई अति दुर्गम है..यहां पर वन वे चढ़ने की चढ़ाई 21 किमी है...21 जाना और 21 आना वो भी पहाडो में...कितना दुष्कर होगा आप समझ सकते हो.....

मैं अपने दोनों मित्रो के साथ जरूरी सामान लेकर रवाना होता हूं... दिन को 11 बजे के करीब तलहटी पर पहुँचकर हम हमारे परिचित राणा के बेरे पर पहुंचता हूँ.... फिर वहां मूसलाधार बारिश हो रही थी ...हमारी योजना भी हिचकोले खाने लगी क्योंकि हम रेनकोट या छतरी लेकर नही आए थे फिर मित्र मेन्सा जसवंतपुरा के मार्किट से 3 रेनकोट लेकर आए और हमारी योजना वापस हुई शुरू.....

शुरू होते ही बारिश धीरे धीरे बंद हो गई और हम पहाड़ो के पथरीलो रास्तों पर चलने लगे...दोपहर को हम 12 बजे रवाना हुए थे...
बीच मे तलहटी के पास कुछ आदमी लकड़ी काटते नजर आए....राम राम हुआ...परिचय चेकला का बताया उन्होंने..फिर कह दिया कि अभी तो 4 5 बजे तक आप पहुँचोगे वहां...फिर 3 बजे आते आते पैर मुंह बोलने लगे...
4 बजे तक बीच का तालाब आया ....जहां एक शानदार आश्रम बनने की बहुत बड़ी गुंजाइश है...

पास में तालाब...एक बरगद का वृक्ष....एक खजूर का वॄक्ष...और कुछ जामुन के पेड़.... मारवाड़ में दृश्य कितने सुंदर लगते है न....
फिर हम धीरे धीरे वापस चलने लगे वहां से गंतव्य स्थल 25-30% रह जाता है!

फिर 5 बजे के करीबन हम रॉयल गेस्ट हाउस तक पहुंच चुके थे...फिर सबसे पहले घोड़ो का अस्तबल दिखा और फिर हमने वहां का रॉयल कॉटेज देखा जहाँ राजा रानी ठहरते थे....

फिर वहां मनोहर दृश्य को जी भर निहाकर नेत्रों को तो तृप्त कर दिया..फिर हमारे जठराग्नि को कौन तृप्त करे...तो मित्र मेन्सा ने वहां मैग्गी बनाई...बुभुक्षा शांत हुई थोड़ी...फिर वहां ड्रोन्स के कुछ शॉट्स लिए.....
आगे हम कैसे रुके....कैसे भालू का सामना हुआ....
उसके किए इंतजार करिए हमारे दूसरे वीडियो का....

तब तक देखिए हमारा यह लोहयानागढ़ की unexplored कीर्ति को समर्पित वीडियो....


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