बायोचार बनाने की विधि || पुआल से नवाचार ||

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पुआल से नवाचार : बायोचार

फसल अवशेष किसानों के लिए एक बड़ी समस्या रही है लेकिन अब यह समस्या खेती किसानी के लिए वरदान बनेगा इसके लिए सरकार ने ठोस योजना बनाई है जिस पर किसानो को जागरूक करने का अभियान शुरू हो गया है .....अक्सर ऐसा देखा जा रहा है की धान की फसल कटनी के बाद फसल अवशेष जिसे हम पराली भी कहते हैं... इसे कई किसान खेतों में ही जला देते हैं.... यह समस्या देश के कई राज्यों में देखी गयी है जिससे मिटटी में मौजूद आवश्यक शुक्ष्म पोषक तत्व ख़त्म हो जाते है और इस कारण मिटटी की उर्वरा शक्ति नष्ट हो जाती है... कई ऐसे मित्र किट जो की अगली फसल के लिए मददगार होती वो मर जाती हैं.... नतीजतन अच्छी उत्पादन के लिए किसान और ज्यादा मात्रा में रासायनिक खादों का प्रयोग करते हैं.. जिसका हमारे स्वस्थ पर प्रतिकूल प्रभाव परता है . साथ ही पराली जलाने से वातावरण में जहरीली गैस फैलती है जिससे प्रदुषण चरम पर पहुँच जाता है जो की हमारे स्वस्थ के लिए ठीक नहीं है इस कारण हमें कई गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है....
बिहार सरकार इस खतरे को समझते हुए अग्रणी भूमिका निभा रही है.....किसानो को पराली न जलाने के लिए इन्हें जागरूक कर रही है साथ ही कई ऐसे योजनाओं का क्रियान्वन भी किया जा रहा है जिससे किसान पराली न जलाकर इसका प्रबंधन करना सिख सके..... इस कार्य में बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है..... बीएयू के अधिन सभी कृषि विज्ञान केन्द्रों में चल रहे जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के अंतर्गत फसल अवशेष प्रबंधन पर किसानो को जागरूक किया जा रहा है और उन्हें कई तकनीक बताई जा रही है.... इन तकनीको में एक है बायोचार का निर्माण भी है |

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