Aryan Invasion Theoryआर्यन,द्रविडियन को लेकर इतिहासकारों में मतभेद क्यों है(B.B.lALBook)द्रविड़ जाती

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Aryan Invasion Theoryआर्यन,द्रविडियन को लेकर इतिहासकारों में मतभेद क्यों है(B.B.lALBook)द्रविड़ जाती


आर्य बाहर से आए थे लेकिन कहां से आए हैं उसका कोई सटीक जवाब किसी इतिहासकार के पास नहीं है। कोई सेंट्रल एशिया कहता है, तो कोई साइबेरिया, तो कोई मंगोलिया, तो कोई ट्रांस कोकेशिया, तो कुछ ने आर्यों को स्कैंडेनेविया का बताया। मतलब यह कि किसी के पास आर्यों का सुबूत नहीं है, फिर भी साइबेरिया से लेकर स्कैंडेनेविया तक, हर कोई अपने-अपने हिसाब से आर्यों का पता बता देता है। अधिकतर मानते हैं कि वे मध्य एशिया के थे। किताबों में आर्यों को घुमकड या कबीलाई बताया जाता है। यह ऐसे खानाबदोश लोग थे जिनके पास वेद थे, रथ थे, खुद की भाषा थी और उस भाषा की लिपि भी थी। मतलब यह कि वे पढ़े-लिखे, सभ्य और सुसंस्कृत खानाबदोश लोग थे। यह दुनिया का सबसे अनोखा उदाहरण है कि खानोबदोश लोग नगर सभ्यता से ज्यादा सभ्य थे। आर्य बाहर से आए थे या यहीं के थे इस बाबत लंबे समय से बहस और अलग- अलग दावे किए जा रहे हैं।

कुछ इतिहासकारों ने जानने की कोशिश की कि आखिर उनकी क्या राय है। दिल्ली के दयाल सिंह कॉलेज के इतिहासकार डॉ. हेमंत मिश्रा से लेकर दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर नरोत्तम नवीन तक का दावा है कि हड़प्पा और वैदिक काल एक नहीं हो सकते हैं। हड़प्पा शहरी सभ्यता थी और वैदिक काल कृषि आधारित. भाषा और लिपि के आधार पर पता चलता है कि आर्य बाहर से आए थे।

इतिहासकारों का मानना है कि द्रविड़ जाती प्राचीन विश्व की अत्यन्त सुसभ्य जाती थी और भारत में भी सभ्यता का वास्तविक प्रारम्भ इसी जाति ने किया था। जब द्रविड़ यहाँ आये तब यहाँ आग्नेय जाति की प्रधानता थी व कुछ नीग्रो जाति के लोग भी थे। इन लोगो की बहुत सी बातें पहले द्रविड़ सभ्यता में आयी और फिर आर्य द्रविड़ मिलन होने पर आर्य सभ्यता में भी आ गयी। द्रविड़ों ने इस देश में कृषि का विकास किया, समुन्द्र यात्रा की परंपरा प्रारम्भ की, सिंचाई के लिए नदियों को बांधने की प्रथा चलाई, बड़े मंदिरों और भवनों का निर्माण किया तथा नगर सभ्यता की नींव डाली। शैव तथा शाक्त धर्म तथा भक्तिवाद का भी इन्होने ही विकास किया।

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