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Скачать или смотреть पितरों को प्रसन्न करने की पूजा विधि, सामग्री, तैयारियां आदि जानिए विस्तार से . . .

  • SAI NEWS
  • 2025-09-18
  • 17
पितरों को प्रसन्न करने की पूजा विधि, सामग्री, तैयारियां आदि जानिए विस्तार से . . .
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Описание к видео पितरों को प्रसन्न करने की पूजा विधि, सामग्री, तैयारियां आदि जानिए विस्तार से . . .

घर पर भी किया जा सकता है पितरों का तर्पण, जानिए इसकी विधि . . .
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पितृ पक्ष आरंभ हो चुका है। सभी अपने अपने पितरों को प्रसन्न करने के लिए तरह तरह के प्रयासों में जुट चुके हैं। पितर कैसे प्रसन्न होकर धरती लोक से वापस जाएं, पितर कैसे नाखुश न हो पाएं, पितर कैसे आशीष प्रदान करें आदि सवालों के सबंध में अलग अलग विद्वान जानकारों का मत भिन्न हो सकता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर पितरों को प्रसन्न कैसे किया जाए, इसके लिए पूजा विधि, पूजन सामग्री, तैयारियों आदि के संबंध में एवं घर पर तर्पण किस तरह किया जा सकता है।
पितृ पक्ष में अगर आप भगवान विष्णु जी की अराधना करते हैं और अगर आप विष्णु जी के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में जय विष्णु देवा अथवा हरिओम तत सत लिखना न भूलिए।
अश्विन महीने में कृष्ण पक्ष प्रतिपदा से लेकर के अमावस्या के बीच में 15 तिथियां होती हैं और जिनका स्वर्गवास पूर्णमासी को हुआ है, तो पूर्णमासी से लेकर के अमावस्या के बीच में 16 तिथियां होती हैं। जिन्हें 16 श्राद्ध तिथियां प्रसस्त की गई है। इस बार पित्र पक्ष 18 सितंबर से आरंभ हुआ है और यह 2 अक्टूबर तक रहेगा।
जानकार विद्वानों के मतानुसार जिन लोगों के घरों में किसी का निधन हुआ है और अगर वे लोग अपने पितृ को गया धाम लेकर नहीं गए हैं। ऐसे पितर पितृ पक्ष में अपने अपने घरों में याद करके आते हैं, ऐसे लोगों के लिए जो विधि बताई गई है उस विधि के अनुसार आप अपने घर के सामने एक छोटा सा चबूतरा बना ले, उस चबूतरे को गाय के गोबर से लीप लें, वहां तिल, उड़द की दाल और चावल और पीला फूल चढ़ाकर उस पर पितरों को बैठाएं और घर के जो सयाने अर्थात बड़े बुजुर्ग पुरुष हैं, वो स्नान करके तिल से पितरों का तर्पण करें। जौ से ऋषियों का तर्पण करें और चावल से देवताओं का तर्पण करें, यानी तीन तीन अंजुली कुल नौ अंजुली तर्पण प्रतिदिन करते रहें।
विद्वानों के अनुसार जिस दिन जातक की जो तिथि पड़े उस तिथि को विशेष रूप से तर्पण करें, हवन करें और भोजन बनवा करके पूरा भोजन उस चबूतरा के पास निकाल करके जल घुमा दे और ब्राम्हण भोजन कराएं। अपने हिसाब से जो यथाशक्ति दान पुण्य हो सकता है, वो करें तो पितरों को मिलता है, इससे पितर प्रसन्न होते हैं।
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पितरों का इस तरह से तर्पण करने से वो बहुत प्रसन्न होते हैं और वो घर के सभी को आशीर्वाद देते हैं। जिन घरों में पितृ आते हैं, जिनका तर्पण नहीं होता है, वहां पर अशुभ होता है। वो श्राप भी दे सकते हैं। घर में नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश होती है, इसलिए ध्यान रखें कि पितरों का 16 दिन तक तर्पण जरूर करें। जिस तिथि को प्राणी का देहांत हुआ है, उस तिथि को तर्पण करके विशेष रूप से उड़द की दाल का पकवान और चावल दाल पूड़ी सब्जी जो घर में बनाएं और इस सबका भोग लगाएं, तो पितर बहुत प्रसन्न होते हैं। उस घर को आशीर्वाद देते हैं, इस तरह से पितरों की पूजा होती है।
आईए अब बताते हैं कि किस तरह किया जाए तर्पण . . .
जानकार विद्वानों का कहना है कि तर्पण करने के लिए अगर नदी तालाब हो तो स्नान करना श्रेष्यसकर होता है, नहीं हो तो किसी कुंए में स्नान कर लें, अगर कुंआं भी नहीं है तो घर पर ही स्नान कर तर्पण करें। वैसे नदी तालाब के पास तर्पण करने से इसका फल एक हजार गुना मिलता है।
अगर नदी तालाब या कुंआ नहीं है या आप नहीं जा सकते हैं तो, तो घर में एक परात रखें। दक्षिण दिशा में फिर कर बैठ जाएं और सामग्री तिल, जौ, चावल, सफेद फूल सामने रख लें और दक्षिण की ओर घूम कर के तिल से तीन बार पितरों का तर्पण करें, फिर पूर्व की ओर घूम करके चावल से देवताओं का तर्पण करें। फिर उत्तर दिशा की ओर घूम कर के जौ लेकर के ऋषियों का तर्पण करें, तीन तीन अंजुली लेकर तर्पण करें। पितरों का जिनका नाम याद है, उनका नाम लेकर उनके गोत्र का नाम और उस जातक का नाम लेकर के तर्पण करें, जिनका नाम नहीं मालूम है बस याद कर करके सबको याद करके तर्पण करें, तो पितृ बहुत प्रसन्न होते हैं, घर में शुभ आशीर्वाद देते हैं।
अब जानिए पितृपक्ष में किनके लिए भोजन निकालना जरूरी है,
विद्वानों के अनुसार पितृपक्ष में पांच ग्रास निकाले जाते हैं। पहला ग्रास ब्राम्हण भोजन कराना पड़ता है, दूसरा गाय को भोजन देना पड़ता है, तीसरा ग्रास श्वान अर्थात कुत्ता को देना पड़ता है, चौथा कौवा को देना पड़ता है। पांचवा जीव जंतु के लिए सड़क के किनारे रख करके जल घुमा करके प्रणाम करें, तो उससे भी पितृ लोग बहुत प्रसन्न होते हैं। पांच ग्रास निकालने के लिए नियम है कि पूजन करने के बाद जब भोजन बन जाता है तो पहले गाय के लिए निकालें, फिर ब्राम्हण को खिलाओ, फिर कुत्ता के लिए, कौवा के लिए, जीव जंतु के लिए निकाल दें। कुछ जगह एक साथ ही गाय के साथ ही सबके लिए भोजन निकाल दिया जाता है।
वैसे सनातन धर्म में पितृ पक्ष का हमेशा से ही खास महत्व रहा है। कहा जाता है कि इस दौरान पितरों की शांति के लिए किए गए उपाय बेहद लाभकारी साबित होते हैं। इसलिए हर कोई पितृ पक्ष में अपने पितरों का श्राद्ध तर्पण जरूर करता है। जिससे उनकी विशेष कृपा प्राप्त की जा सके। कहा जाता है कि जिस किसी पर उसके पूर्वजों की शुभ दृष्टि रहती है ...
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