क्या सिर्फ़ लड़की ही घर छोड़ती है?  
क्या लड़का घर नहीं छोड़ता…?  
इस वीडियो में शेखावत लेकर आए हैं एक **प्रवासी मजदूर की दर्द भरी कहानी**।  
वो लड़का जिसने 15 साल की उम्र में घर छोड़ा… माँ-बाप, पत्नी और पूरे परिवार के लिए शहर में पसीना बहाया।  
पर आज उसकी मेहनत की पूरी कमाई कुछ नशे में डूबे चोर छीनकर ले गए।  
👉 ये वीडियो सिर्फ़ एक कहानी नहीं है, बल्कि हर उस प्रवासी की आवाज़ है जो अपने घर से दूर रहकर सिर्फ़ अपने परिवार के लिए जीता है।  
👉 ये वीडियो हर उस इंसान तक पहुँचाना ज़रूरी है जो सोचता है कि सिर्फ़ लड़की ही घर छोड़ती है।  
👉 ये वीडियो नशे की लत से बर्बाद हो रहे समाज के लिए एक आईना है।  
💔 एक पिता की मजबूरी, एक पत्नी का इंतज़ार, और एक अजन्मे बच्चे की साँसें — सब कुछ इस वीडियो में।  
🙏 हमारी रिक्वेस्ट है — अगर आप नशे से समाज को बाहर निकालने की कोशिश कर सकते हैं, तो ज़रूर करें।  
क्योंकि भारत को मेहनत गरीबी से निकाल सकती है, लेकिन नशा हमें और गहराई में धकेल देगा।  
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#Chapters
0:00 — सवाल: क्या सिर्फ़ लड़की घर छोड़ती है?  
0:25 — प्रवासी मजदूर का दर्द  
0:55 — घर छोड़ने की मजबूरी  
1:20 — मेहनत की कमाई और चोरी  
1:50 — पिता का रोना  
2:15 — पत्नी और बच्चे की चिंता  
2:45 — समाज से अपील: नशे से दूर रहें  
3:10 — आख़िरी संदेश  
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क्या सिर्फ़ लड़की घर छोड़ती है…?
लड़का घर नहीं छोड़ता…?
अगर ऐसा है तो एक बार पूछो उन प्रवासी भाइयों से,
जो अपने परिवार… अपनी माँ को छोड़कर शहर में कमा रहे हैं।
एक बार पूछो उसकी पत्नी से…
जो अपने पति को देखे बिना 2-2 साल निकाल देती है,
जिसके पास सुहाग बस कमाने के लिए है।
एक बार पूछो उस माँ से…
जिसने अपने बेटे को कभी लकड़ी नहीं उठाने दिया,
पर आज उसका बेटा कहीं लोहे की बोरी उठा रहा है।
एक प्रवासी का दुःख बस वही समझ सकता है।
नमस्कार, मैं हूँ शेखावत…
और मैं कहानी नहीं, इमोशन लिखता हूँ।
आज एक प्रवासी भाई मेरे पास बैठा,
अपनी कहानी सुना रहा था…
रो रहा था…
क्योंकि किसी ने उसकी मेहनत की कमाई रास्ते में छीन ली थी।
वो बता रहा था कि कैसे वो 15 की उम्र में
घर छोड़कर कमाने निकल गया था।
उसका घर से निकलना उतना ही दुःख भरा था…
जितना एक लड़की की विदाई होती है।
फर्क बस इतना है कि
लड़की एक परिवार छोड़ती है तो उसे दूसरा परिवार मिल जाता है,
पर लड़के को नहीं मिलता।
मैंने उसका हाथ देखा…
उसका हाथ पूरा कटा हुआ था।
उसने बताया –
“भैया, पैसा कमाने के लिए ये सब करना पड़ता है।
घर में भाई-बहन, माँ-पापा सब हैं,
उनका घर चलाने के लिए पैसा भेजना पड़ता है।”
पर आज उसका रोना…
उसके लिए बिल्कुल नहीं था।
उसकी पत्नी पेट से थी…
और आख़िरी महीना चल रहा था।
कभी भी डिलिवरी हो सकती थी।
उसने बहुत मेहनत से ओवरटाइम करके
डिलिवरी जितना पैसा इकट्ठा किया था।
आज ही कंपनी से पैसे मिलने वाले थे।
वो कंपनी से सैलरी लेकर आ रहा था…
पर रास्ते में कुछ नशे में डूबे चोरों ने
उसके पैसे छीन लिए।
वो रोता रहा…
गिड़गिड़ाता रहा…
पर उसकी सुनने वाला वहाँ कोई नहीं था।
कुछ ही देर में चोर गायब हो गए…
और वो भी रोते-रोते वहाँ से चला आया।
उसके दिमाग़ में बस एक ही बात थी –
“मैं अपनी पत्नी को क्या बताऊँ…?
मैं कैसे बताऊँ कि उसके बच्चे का सपना
कोई रास्ते में चुरा ले गया?”
अगर आख़िरी समय कोई अनहोनी हो गई…
तो मैं क्या करूँगा…?
उस चोरी में तीन जिंदगियाँ दाँव पर थीं –
पहली उस चोर की, जो नशे में डूबा था,
दूसरी वो माँ और
तीसरी वो बच्चा, जो कुछ ही देर में मौत से लड़ने वाला था।
वो पिता बस मेरे पास बैठा रोता रहा।
मैंने बहुत कोशिश की उसकी मदद करने की…
जितनी मुझसे हो सकी।
पर मेहनत के पैसों के आगे
मदद के पैसे हमेशा कम ही होते हैं।
🙏 मेरे हाथ जोड़कर आप सबसे एक रिक्वेस्ट है –
अगर आप किसी भी तरीके से हमारे समाज को
नशे से बाहर निकालने में मदद कर सकते हैं…
तो एक कोशिश ज़रूर कीजिए।
क्योंकि हम अपने भारत को ग़रीबी से मेहनत करके निकाल सकते हैं,
पर अगर एक बार नशे में पड़ गए…
तो बाहर निकलना बहुत मुश्किल हो जाएगा।
                         
                    
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