भारत का एकलौता कलश मंदिर धमधा छत्तीसगढ़ 🛕

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भारत में बहुत से धार्मिक स्थान हैं, जो बेहद अनोखे हैं। अगर आप घूमने के शौकीन हैं, तो आपने दुनिया भर में कई प्राचीन मंदिर देखे होंगे, किन्तु इस बात की संभावना कम है कि आपने कहीं मिट्टी के ज्योति कलश से बना मंदिर देखा हो। अगर नहीं देखा है, तो आज हम आपको ऐसे ही एक मंदिर के बारे में बताएंगे। छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर धमधा क्षेत्र में मिट्टी के ज्योति कलश से निर्मित मंदिर है। मंदिर का पूरा निर्माण ज्योति कलश और दीपों से किया गया है। मंदिर के भीतर भगवान हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित की गई है।
देखकर होता है अचरज, मंदिर के भीतर विराजे हैं बजरंगबली
आज लोग जिसे धमधा के कलश मंदिर के नाम से जानने लगे हैं,दरअसल वह हनुमान जी का मंदिर है। जो भी इस मंदिर को पहली बार देखता है ,अचरज में पड़ जाता है। स्थानीय ग्रामीण बताते हैं कि इस हनुमान मंदिर को बनाने के पीछे एक विशेष सोच थी। हमेशा देखा जाता है कि नवरात्रि और दीपावली के वक़्त 9 दिन मां दुर्गा की पूजा करने के साथ कलश में दीप जलाते हैं और 9 दिन बाद ज्योति कलश को तालाब या नदी में विसर्जित कर देते हैं, बाद में यही कलश किनारे पर पहुंचकर लोगों के पैरों में लगता हैं। पवित्र कलश के इस अपमान को रोकने के लिए ग्रामीणों ने उसके इस्तेमाल करने का फैसला किया।
विसर्जित कलश को इकठ्ठा करके बनाया गया मंदिर
मंदिर के व्यवस्थापक तेजराम ढीमर ने बताया कि त्यौहार के बाद विसर्जित कलश के किनारे पर आ जाने के बाद उसपर पैर पड़ने से हम सबको बहुत दुख होता था, क्योंकि उसे भगवान की पूजा में इस्तेमाल किया जाता है। फिर मंदिर के पुजारी के मन में विचार आया कि विसर्जित कलश और दीप को इकट्ठा करके हनुमान मंदिर को एक बड़े कलश मंदिर का रूप देना चाहिए।
14 साल से जारी है कलश मंदिर का निर्माण
इस विचार के बाद पुजारी ने बिखरे हुए कलश और पड़े दीयों को इकट्ठा करना शुरू किया और दीप और कलश का उपयोग करके उससे मंदिर का निर्माण शुरू किया, आगे चलकर अब ग्रामीणों ने भी इसमें मदद करना शुरू कर दिया है।
तेजाराम ढीमर ने बताया कि कलश मंदिर का निर्माण 14 साल पूर्व शुरू हुआ था। इस मंदिर में आज की तारीख में लगभग एक लाख से अधिक कलश और दीप लग चुका है। मंदिर करीब 50 फीट तक बन चुका है, जिसका अब भी निर्माण जारी है।
बढ़ती जा रही है ख्याति
इस मंदिर की ख्याति दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है। दुर्ग धमधा के मुख्य मार्ग में होने के कारण लोग इसकी तरफ खींचे चले जाते हैं। धीरे-धीरे हनुमान भक्त अपनी श्रद्धा मुताबिक मंदिर निर्माण के लिए दान कर रहे हैं। हनुमान मंदिर के बगल में बने मां दंतेश्वरी, मां बमलेश्वरी, मां महामाया मंदिर में भी अब मिट्टी के कलश लगाने का काम शुरू किया जा चुका है। ग्रामीणों का दावा है कि संभवतः धमधा का यह हनुमान मंदिर देश का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जो मिट्टी के कलश से बना हुआ है।

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