🙏कौन कहता है इनको ज्ञान नहीं?विवाह मे शिव पार्वतीकी कथा सुनें ढ़ोल सागर के ज्ञाता सुखदेवद्वारा

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🙏 ❤️मित्रों कम सें कम इतना तो पता सबको होना ही चाहिए 🙏❤️अपनी संस्कृति का प्रचार जरुरी है काम
आज के वर्तमान समय मे हम लोगों ने इस भाग दौड़ भरी जिंदगी मे शायद नाम,पैसा, आदि बहुत कुछ कमाया हो या कमा लें पर हम अपनी कुछ विरासत है जो हम धीरे धीरे खोते जा रहे हैं ध्यान रहे पेंसें हम कमा सकते हैं पर अपनी संस्कृति यदि खो गयी तो वह वापस नहीं आएगी, और यदि आएगी तो, जरूर वह विकृत रूप मे ही आएगी! और आप लोग यह जानते ही होंगे कि हमारे धर्म मे विकृति आने सें ही आज हम लोग सब छिन्न भिन्न होते जा रहे हैँ अस्तु
यहाँ अगर आप देखें या सुने यह जो ढ़ोल वादक हैँ इनका नाम शुखदेव दास हैं इनका गाँव लसेरा है हम इनको वंसानुगत रूप सें जानते है इनके पिता जिनका नाम हिम्मू दास था, ताऊ डीन्दू दास, चाचा सिकंन्तु दास, चाचा भुंदी दास,जिनका नामआज भी बड़े सम्मान के साथ आदर भाव के साथ लिया जाता है और उनके साथ उनके छोटे भाई है इनको सम्पूर्ण ढ़ोल सागर का बहुत ही अच्छा ज्ञान है शायद बहुत ही कम लोग जानते हो कि ढोल दमाउ केवल नाचने मात्र के लिए नहीं थे इनका नाम नाद ब्रह्म है जिसमे ढ़ोल को शिव स्वरुप ओर दमाउ को पार्वती रूप माना गया है जो कथा वह अभी सूना रहे हैं वह बता रहे हैँ कि पार्वती को बार बार शिव ही क्यों वर रूप प्राप्त होते हैं वह कथा सूना रहे हैं सूत रूप जिन्होंने भागवत सुनाई वही सूत रूप सुखदेव दास
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