प्रेमचंद:- साहित्य का उद्देश्य

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इस वीडियो में हम हिंदी ऑनर्स के पांचवे सेमेस्टर के अंतर्गत "प्रेमचंद का निबंध 'साहित्य का उद्देश्य'" का विश्लेषण करेंगे। यह निबंध, जो कि प्रेमचंद जी का एक लिखित भाषण है, साहित्य के मूल उद्देश्य और उसकी समाज में भूमिका पर प्रकाश डालता है। प्रेमचंद, जो हिंदी साहित्य के महान कथाकार और विचारक थे, ने इस निबंध के माध्यम से साहित्य की उपयोगिता और उसके वास्तविक उद्देश्य को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया है।

इस वीडियो में, हमने प्रेमचंद जी के विचारों को विस्तार से समझाया है। उनके अनुसार, साहित्य केवल मनोरंजन का साधन नहीं है, बल्कि यह समाज को दिशा देने और उसे जागरूक करने का महत्वपूर्ण माध्यम है। उन्होंने साहित्य को समाज का दर्पण कहा है, जो समाज की सच्चाईयों, संघर्षों और समस्याओं को उजागर करता है। प्रेमचंद का मानना था कि साहित्य का उद्देश्य केवल सुंदरता की प्रशंसा करना नहीं, बल्कि समाज की कुरीतियों और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना भी है।

वीडियो में निबंध के विभिन्न पहलुओं को सप्रसंग व्याख्या के साथ प्रस्तुत किया गया है, जिससे छात्रों को यह समझने में मदद मिलेगी कि प्रेमचंद साहित्य को किस दृष्टिकोण से देखते थे और उन्होंने अपने लेखन के माध्यम से किस प्रकार समाज सुधार की दिशा में योगदान दिया।

यह वीडियो उन सभी छात्रों के लिए अत्यंत उपयोगी है, जो हिंदी साहित्य के उद्देश्य और उसकी सामाजिक प्रासंगिकता को समझना चाहते हैं। प्रेमचंद जी के विचारों को समझने के साथ-साथ, यह वीडियो आपके सेमेस्टर की तैयारी को भी मजबूत करेगा।

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