Dil Cheez Kya Hai Aap Meri Jaan Lijiye-Karaoke

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काफ़ी दिक्कतें झेल कर मुज़फ्फर अली की “उमराव जान” 1981 में रिलीज़ हुई. अवध की शानो शौक़त को परदे पर साकार करती एक और फिल्म. इस तरह का अवधि तहजीब का तवायफ़ का क़िरदार निभाना रेखा जी के लिए चुनौती थी. उन्होंने ये चैलेंज स्वीकार किया और बखूबी निभाया.. राष्ट्रीय पुरस्कार भी हासिल किया. बॉक्स ऑफिस पर फिल्म फ्लॉप रही. राष्ट्रीय पुरस्कार तो मिले पर जन मानस पर फिल्म कोई छाप नहीं छोड़ पाई.

रेखा के अलावा फिल्म को पहचान दिलाई आशा भोंसले जी की सुरीली आवाज़ में गाई ग़ज़लों और ख़य्याम के जादू भरे संगीत ने. आशा जी को सर्वश्रेष्ठ गायिका और ख़य्याम साहब को सर्वश्रेष्ठ संगीतकार के राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुए. शायरी शहरयार की थी. “दिल चीज़ क्या है..”, “इन आँखों की मस्ती के..”, “ये क्या जगह है दोस्तों..” “जुस्तजू जिस की थी उस को तो न पाया हम ने..” ..... एक से बढ़कर एक गज़लें. मगर क्या आप जानते हैं कि आशा भोंसले जी की ग़ज़ब की गायकी से सजी जिन ग़ज़लों ने आप को दीवाना बनाया वो गज़लें लता मंगेशकर जी गाने वाली थीं ?

हुआ यूँ कि फिल्म के लिए मुज़फ्फर अली ने पहले संगीतकार जयदेव जी को साइन किया था. जयदेव जी ने 5-6 गीतों की धुनें भी बना दीं. शहरयार जी ने गीत भी लिख दिए. बस इंतज़ार था कि लता जी के विदेश से लौटते ही रिकॉर्डिंग कर लेंगे. मगर किन्ही वजहों से लता जी ने अंतिम क्षणों में जयदेव जी को मना कर दिया. जयदेव जी, लता जी के अलावा वो गीत किसी और से नहीं गंवाना चाहते थे. उन्होंने ने भी बतौर संगीतकार मना कर दिया. मुज़फ्फर अली ने तब ख़य्याम साहब को अनुबंधित किया. ख़य्याम साहब ने आशा जी से वो गीत गंवाने का फैसला किया. आशा जी का तब तक ग़ज़ल गायकी से कोई सरोकार नहीं था. या ग़ज़ल गायकी में उनकी कोई पहचान नहीं थी. उस पर ख़य्याम साहब ने उनकी मुश्किलें और बढ़ा दीं. उन्होंने आशा जी से कहा की वो ये सारी गज़लें उन की नार्मल स्केल से डेढ़ (one and half) स्केल नीचे गाएं. आशा जी के लिए ये बड़ा झटका था. एक तो ग़ज़ल और उस पर डेढ़ स्केल नीचे ! उन्होंने मना कर दिया कि ये उनसे नहीं हो पाएगा और गीत खराब हो जाएंगे. ख़य्याम साहब ने एक आखिरी कोशिश करते हुए आशा जी से कहा कि एक बार गा कर रिकॉर्डिंग कर के देख लेते हैं. अगर ठीक न लगे तो फ़िर देखेंगे. आशा जी ने गाया. और जब उन्होंने सुना तो उन्हें खुद पर ही यकीन नहीं हुआ कि वो इस स्केल में भी गा सकती हैं और वो भी इतना सुंदर, सुरीला. ग़ज़ल गायकी में एक नया सितारा जगमगाया.

प्रस्तुत गीत “दिल चीज़ क्या है आप मेरी जान लिजीए....” वो गीत है जिस के लिए आशा जी को राष्ट्रीय पुरस्कार हासिल हुआ.

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