हिंदू कैलेंडर में अधिक मास - हिंदी - Hindi

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आइए समझते हैं कि इस मॉडल की मदद से हिंदू कैलेंडर के महीने कैसे तय किए जाते हैं। हालांकि हिंदू कैलेंडर चंद्रमा के परिक्रमाओं पर आधारित है, फिर भी यह अपने में सौर वर्ष को भी समायोजित करने का प्रयास करता है। और यह किया जाता है, हर 33 महीने में 'अधिक मास' या एक अतिरिक्त महीना जोड़कर|
हम ग्रेगोरियन कैलेंडर के महीनों से परिचित हैं| ग्रेगोरियन कैलेंडर सूर्य की परिक्रमाओं पर आधारित है।
पृथ्वी सूर्य के चारों ओर 365 दिनों में एक चक्कर पूरा करती है।
इन 365 दिनों को 12 भागों में बांटकर, प्रत्येक भाग को एक मास यानी महिना कहा जाता है।
कुछ महीनों में 31 दिन होते हैं, और कुछ में 30I फरवरी एक अपवाद है, इस में 28 या 29 दिन होते हैं।
पृथ्वी की घुमने की कक्षा पर उस की स्थिति भी तय की गई है, जैसे 21 मार्च, 22 जून, 22 सितंबर और 22 दिसंबर.
हिंदू कैलेंडर के महीने चंद्रमा के पृथ्वी के चारो ओर होने वाली परिक्रमाओं पर आधारित होते हैं।
हिंदू कैलेंडर में, एक अमावस्या से अगले अमावस्या तक का चक्कर पूरा करने में, चंद्रमा द्वारा लिए गये समय को एक महीना माना जाता है। इसे चंद्रमास के नाम से भी जाना जाता है।
इस डायल पर हिंदू कैलेंडर के अनुसार राशियों के नाम इस तरह रखे गए हैं - मेष, ऋषभ, मिथुन, कर्क,...
ग्रेगोरियन कैलेंडर की तरह, इस में भी 12 महीने होते हैं - चैत्र, वैशाख, जेष्ट्य, आषाढ़, श्रावण.......
आइए गुढ़ीपडवा से शुरू करते हैं – इस त्योहार को नए साल की शुरुआत माना जाता है।
समझने के लिए कैलेंडर की मदद लेते हैं।
महीना अप्रैल और साल 2021|
12 अप्रैल को अमावस्या है। चंद्रमा का स्थान अमावस्या की जगह सेट करते हैं|
जब सूर्य मीन राशि में होता है, तो पहला महीना यानी चैत्र, अमावस्या से शुरू होता है।
13 अप्रैल चैत्र महीने का पहला दिन है, जो चैत्र प्रतिपदा के नाम से भी जाना जाता है।
27 अप्रैल को पूर्णिमा है, और 11 मई को अमावस्या है, जो पहले महीने चैत्र का आखरी दिन है।
हिंदू कैलेंडर के प्रत्येक महीने में 30 दिन होते हैं। हर दिन को तिथि भी कहा जाता है।
लेकिन एक दिन की अवधि कैसे तय की जाती है?

चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर अधिक गति से परिक्रमा करता है। अमावस्या से लेकर अगले अमावस्या तक, सूर्य और चंद्रमा के बीच का कोण, 0 डिग्री से 360 डिग्री तक बढ़ता जाता है। अगर हम 360 डिग्री को 30 बराबर भागों में बांटे, तो प्रत्येक भाग 12 डिग्री का होगा।
चंद्रमा को यह 12 डिग्री चलने में लगने वाले समय को एक दिन या तिथि कहा जाता है।
जैसे, अगर यह 12 डिग्री चलता है तो प्रतिपदा - पहला दिन, 24 डिग्री के बाद - द्वितीया - दूसरा दिन, और इसी तरह आगे ...
चंद्रमा और पृथ्वी दोनों की कक्षाएं अण्डाकार होने के कारण, विभिन्न स्थानों पर घुमने की गति भिन्न होती है। 12 डिग्री चलने में कभी-कभी इसे ज्यादा समय लगता है, और कभी-कभी कम। इसी वजह से हिंदू कैलेंडर में एक दिन यानी तिथि का समय अलग-अलग होता है। यह 20 से 27 घंटे के बीच बदलता रहता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर में हर दिन के 24 घंटे तय किए गए हैं।
अमावस्या से, 180 डिग्री की यात्रा पूर्णिमा दिखाती है और 360 डिग्री की यात्रा अगली अमावस्या दिखाती है।
यह भाग चंद्रमा का वैक्सिंग फेज है, और इसे शुक्ल पक्ष भी कहा जाता है। Or इस बीच चंद्रमा का आकार बढ़ता जाता है और इसे शुक्ल पक्ष भी कहा जाता है।
यह भाग चन्द्रमा की वैनिंग फेज है जिसे कृष्ण पक्ष के नाम से भी जाना जाता है। Or इस बीच चंद्रमा का आकार घटता जाता है और इसे कृष्ण पक्ष भी कहा जाता है।
शुक्ल पक्ष की तिथि में पहले शुद्ध तथा कृष्ण पक्ष की तिथि में पहले वद्य लिखा/लगाया जाता है।
शुद्ध प्रतिपदा, शुद्ध द्वितीया, शुद्धा अष्टमी, आदि....
वद्य प्रतिपदा, वद्य द्वितीया, वद्य अष्टमी, आदि....
चलो आगे बढ़ते हैं|
अगला महीना वैशाख 12 मई से शुरू हो रहा है|
26 मई पूर्णिमा
10 जून को अमावस्या है
अगले महीने की शुरुआत, जेष्ठ
हर महीने, सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है।
जैसे चैत्र महीने में मीन से मेष राशि में, वैशाख महीने में वृषभ राशि में, और जेष्ठ में मिथुन राशि में।
यदि किसी महीने में, सूर्य का एक राशी से दुसरे राशी में प्रवेश नहीं होता, तो उस महीने को उस वर्ष का अधिक मास माना जाता है।
हिंदू कैलेंडर में, चंद्रमा की 12 परिक्रमाएं, 1 वर्ष पूरा होने का प्रतीक हैं|
अगले वर्ष के पहला महिना चैत्र, फिर से इसी स्थिति से शुरू होता है।
साल 2022 में, चैत्र महिना 2 अप्रैल को, यानी पिछले साल की तुलना में लगभग 11 दिन पहले शुरू हुआ है। ऐसा इसलिए है क्योंकि प्रत्येक महिना लगभग 29.5 दिनों का होता है।
आगे बढ़ते हुए, वर्ष 2023 में, चैत्र महिना 22 मार्च से शुरू हो रहा है, जो 2021 की तुलना में 22 दिन पहले है।
यदि इसी क्रम का पालन किया जायें, तो हमें होली बारिश में और दिवाली गर्मियों में मनानी पड़ सकती है।
यहीं काम आता है अधिक मास|
चलिए आगे बढ़ते हैं।
वैशाख, जेष्ठ, आषाढ़
17 जुलाई को अमावस्या है और सूर्य कर्क राशि में है।
17 अगस्त को चंद्रमा एक चक्कर पूरा करता है, लेकिन सूर्य अभी भी कर्क राशि में ही है।
इस दौरान सूर्य का एक राशी से दूसरी राशी में प्रवेश नहीं हुआ| इस महीने को अधिक मास माना जाता है।
अधिक श्रावण
अगले महीने को, पहले क्रम के अनुसार नियमित श्रावण माना जाता है।
अब सूर्य का कर्क राशी से सिंह राशी में प्रवेश हो गया है|
बाकि महीने हमेशा की तरह उसी क्रम में आते रहेंगे|
2024 में, गुढीपाडवा 9 अप्रैल को होगा, जो 2021 के 2 अप्रैल के थोड़ा करीब है।
अधिक मास का परिचय, सौर और चंद्र परिक्रमाओं को हिंदू कैलेंडर में इकठ्ठा लाना संभव बनाता है|
अगर कोई चैत्र महीने की शुरुआत 2000 से 2010 के बीच करता है, तो सूर्य हमेशा मीन राशि में रहेगा।
सूर्य का एक राशी से दुसरे राशी में जाना जितना दिलचस्प है, उतना ही चंद्रमा का एक नक्षत्र से दुसरे नक्षत्र में जाना भी है|
इसके बारे में हम अगले वीडियो में जानेंगे|

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