Prabhu Shri Ram ki sampurn Katha प्रभु श्री रामकी संपूर्ण कथा#आरकेएमr
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वेलकम फ्रेंड् यह तो वीडियो में आप सभी दोस्तों हार्दिक जी से 🌹स्वागत भगवान श्री राम पेपर वीडियो दिखने वाला फ्रेम यदि हमारा कहानी पसंद आए तो वीडियो को लाइक जरुर करना चाहिए चैनल में पहली बार आया तो हमारे चैनल को सब्सक्राइब जरूर करें
भाग 3 — राम, हनुमान और सुग्रीव की पहली मुलाकात (कहानी रूप में)
शबरी के आश्रम से आगे बढ़ते हुए श्रीराम और लक्ष्मण पम्पा सरोवर के तट पर पहुँचे। वहाँ का दृश्य अत्यंत मनोहर था — शांत जल में वृक्षों की छाया पड़ रही थी, कमल खिले थे और पक्षियों का मधुर संगीत वातावरण को भक्ति से भर रहा था। दोनों भाई कुछ समय वहीं विश्राम करने लगे।
उसी समय, पर्वत की ओर से हनुमान जी आए। उन्होंने दूर से दो तेजस्वी पुरुषों को देखा — जिनके मुख पर दिव्यता झलक रही थी। उनके मन में प्रश्न उठा — “ये कौन हो सकते हैं?”
हनुमान ने साधु का वेश धारण किया और विनम्रता से आगे बढ़े। उन्होंने हाथ जोड़कर पूछा —
“प्रभु, आप कौन हैं? आपके मुखमंडल से तो देवताओं जैसा तेज निकल रहा है।”
श्रीराम ने मुस्कराते हुए उत्तर दिया —
“हे वानरश्रेष्ठ! हम अयोध्या के राजकुमार हैं। मैं राम और यह मेरे भाई लक्ष्मण हैं। हम अपनी पत्नी सीता की खोज में निकले हैं, जिन्हें रावण हर ले गया है।”
हनुमान ने उनके शब्द सुने तो उनका हृदय प्रेम और श्रद्धा से भर गया। वे तुरंत अपने वास्तविक रूप में आ गए और चरणों में गिरकर बोले —
“प्रभु! मैं वानर हनुमान हूँ, सुग्रीव का दास। मेरे स्वामी सुग्रीव भी इसी वन में रहते हैं। कृपा करके मेरे साथ आइए, वे आपसे मिलना चाहेंगे।”
राम ने मुस्कराकर सहमति दी। हनुमान ने दोनों भाइयों को अपने कंधों पर बिठाया और तेज गति से पर्वत की ओर उछल पड़े। उनकी छलांग इतनी शक्तिशाली थी कि वृक्षों की शाखाएँ झुक गईं, और हवा में दिव्य गंध फैल गई।
कुछ ही देर में वे उस पर्वत पर पहुँचे जहाँ सुग्रीव अपने कुछ वानर साथियों के साथ रह रहे थे। सुग्रीव ने जब श्रीराम को देखा, तो वे भावविह्वल हो गए। उन्होंने तुरंत चरणों में गिरकर कहा —
“प्रभु! मैं अपने ही भाई वाली द्वारा निर्वासित कर दिया गया हूँ। कृपया मेरी सहायता करें।”
श्रीराम ने करुणा भरी दृष्टि से कहा —
“सुग्रीव, हम मित्र बनेंगे। तुम मुझे सीता की खोज में सहायता देना, और मैं तुम्हारे लिए न्याय दिलाऊँगा।”
दोनों ने पम्पा सरोवर को साक्षी मानकर मित्रता का संकल्प लिया। हनुमान आनंद से भर गए — क्योंकि उन्होंने देखा कि अब धर्म, भक्ति और साहस एक साथ जुड़ चुके हैं।
यह वही क्षण था जब रामायण का नया अध्याय शुरू हुआ — राम-सुग्रीव मित्रता और रावण के विरुद्ध धर्मयुद्ध की शुरुआत।
श्री राम की संपूर्ण कथा”
🕉️ 1. प्रारंभ (Intro) — भक्ति भाव से आरंभ
वॉइसओवर टेक्स्ट:
“जय श्री राम!
मित्रों, आज हम सुनेंगे मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की संपूर्ण कथा — वह कथा जो केवल इतिहास नहीं, बल्कि धर्म, नीति और प्रेम का अमर संदेश है।”
(पृष्ठभूमि में मंद “राम नाम” धुन या शंख ध्वनि हो)
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🌳 2. जन्म कथा — अयोध्या नगरी में अवतार
वॉइसओवर टेक्स्ट:
“त्रेता युग में अयोध्या के महाराज दशरथ को चार पुत्रों का वरदान मिला — राम, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न।
प्रभु श्री राम का जन्म स्वयं विष्णु के सातवें अवतार के रूप में हुआ, धर्म की स्थापना के लिए।”
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🎓 3. बाल्यकाल और गुरुकुल
“बालक राम ने महर्षि वशिष्ठ के आश्रम में शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने धनुर्विद्या, शास्त्र और नीति का गहन ज्ञान अर्जित किया।”
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🏹 4. सीता स्वयंवर
“जनकपुरी में जब शिवधनुष उठाना असंभव समझा गया, तब प्रभु श्री राम ने सहजता से उसे उठा तोड़ा — और माता सीता को वरण किया।”
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👑 5. वनवास — धर्म की परीक्षा
“माता कैकेयी के वरदान से श्री राम को चौदह वर्ष का वनवास मिला।
सीता और लक्ष्मण उनके साथ गए।
यह रामायण का सबसे भावनात्मक अध्याय है — जहाँ त्याग, निष्ठा और धर्म की शक्ति झलकती है।”
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🐒 6. हनुमान मिलन और सुग्रीव संधि
“वन में श्री राम का मिलन भक्तों में श्रेष्ठ हनुमान जी से हुआ।
हनुमान जी ने अपने प्रभु को पहचानकर जीवन भर उनकी सेवा का व्रत लिया।”
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