हम परदेसी पंछी साधो इणी देश का नाही || Hum Pardesi Panchhi re Sadhu bhai

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हम परदेसी पंछी साधो इणी देश का नाही || Hum Pardesi Panchhi re Sadhu bhai
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Credits

Main Vocal : Padmashri Prahlad Singh Tipaniya
Choras & Manjira : Ashok Tipaniya
Violin : Devnarayan Saroliya
Dholak : Ajay Tipaniya
Harmonium : Dharmandra Tipaniya
Khadtal : Himanshu Tipaniya
Sound Mixing : Peter jamra
Video Editing : Mayank Tipaniya

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lyrics
हम परदेशी पंछी रे साधु भाई

साखी- हम वासी वा देश के ,और धरण गगन दोई नाई ।
शब्द मिलावा हो रहा, और देह मिलावा नाई ।।

बिन पवन का पंत है, और बिन बस्ती का देश ।
बिना पिंड का पुरुष है , और कहै कबीर संदेश ।।

सिरगुण की सेवा करो , और निर्गुण का करो ध्यान।
अरे निर्गुण सिरगुण के परे , और तहाँ हमारा ध्यान।।

भजन - हम परदेशी पंछी रे साधु भाई , इणी देश का नाही ,
इणी देश रा लोग अचेता , पल - पल परलय में जाई।टेका ।

१ मुख बिन बोलना पग बिन चलना बिना पंखों से उड़ जाई ।
इना सूरत की लोय हमारी , अनहद माई ( ठहराई ) ओलखाई ॥

२ छाया में बैठूं तो अग्नि सी लागे , धूप बहुत शितलाई ।
छाया धूप से मोरे सतगुरू न्यारा , मै सतगुरू के माई ॥

3. आठों पहर अड़ा रहे आसन , कबहूँ न उतरेगा साँई ।
ज्ञानी रे ध्यानी पचपच मर गया , उणी देश केरा माई ॥

4. निर्गुण रूपी है मेरे दाता , सिरगुण नाम धराई ।
मन पवन दोनों नहीं पहुँचे , उणी देश केरा माई ॥

5. नख - शिख नैन शरीर हमारा , सतगुरू अमर कराई ।
कहै कबीर मिलो निर्गुण से , अजर अमर हो जाई

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