पूर्णिमा व्रत कथा || puranmashi ki kahani || पूर्णिमा की कहानी || purnima ki katha || purnima 2025 || Purnima Vrat Katha
32 पूर्णिमा व्रत कथा ,बतीस पूर्णिमा व्रत की कहानी सोभाग्य, दीर्घायुपुत्र और मान-सम्मान, धन-यश मिले
आज हम #बतीस_पूर्णिमा_व्रत_की_कहानी सुनेगे सौभाग्य की प्राप्ति के लिए स्त्रियों को 32 पूर्णिमा व्रत करना चाहिए। यह व्रत अचल सौभाग्य देने वाला एवं भगवान शिव के प्रति भक्तिभाव को बढ़ाने वाला माना जाता है। स्नान, दान पुण्य का विशेष महत्व है. माना जाता है कि पूर्णिमा के दिन दान करने से व्यक्ति के पाप कटते हैं और अमोघ फल की प्राप्ति होती है. शास्त्रों में पूर्णिमा के व्रत को भी बहुत शुभ माना गया है जीवन में सुख-समृद्धि, धन-संपत्ति और शत्रुओं से सुरक्षा के लिए रविवार का व्रत सर्वश्रेष्ठ है सोभाग्य, लम्बी उम्र का पुत्र और मान-सम्मान, धन-यश तथा उत्तम स्वास्थ्य मिलता है।
पति की लंबी उम्र और परिवार की सुख-समृद्धि के लिएयह व्रत करना चाहिए पति दीर्घायु को लेकर महिलाओं को यह व्रत जरुर करना चाहिए
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माघ पूर्णिमा: प्रयाग समागम और गंगा स्नान का महत्व
चैत्र–वैशाख–फाल्गुन पूर्णिमा: विविध देव-पूजन
ज्येष्ठ (वट-सावित्री) पूर्णिमा: सावित्री- सत्यवान का वृत्तांत
गुरु पूर्णिमा (आषाढ़): गुरु-शिष्य परंपरा
सावन पूर्णिमा: रक्षा सूत्र–भाई–बहन पर्व
✅ शरद पूर्णिमा
शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी रातभर पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और जागते हुए भक्तों को धन-संपत्ति का वरदान देती हैं। इस दिन रात्रि को खीर बनाकर चंद्रमा की चांदनी में रखा जाता है और फिर उसे प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। यह दिन रासलीला के लिए भी प्रसिद्ध है, जब भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों के साथ रास रचाया था।
✅ गुरु पूर्णिमा
गुरु पूर्णिमा आषाढ़ माह की पूर्णिमा को मनाई जाती है। यह दिन गुरु को समर्पित होता है। इस दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था, जिन्होंने वेदों का संकलन किया था। यह दिन गुरु की महिमा को दर्शाने और उन्हें आदरांजलि अर्पित करने का सर्वोत्तम अवसर है।
✅ वट सावित्री पूर्णिमा
इस दिन सावित्री ने यमराज से अपने मृत पति सत्यवान को वापस प्राप्त किया था। इस व्रत को विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और स्वास्थ्य के लिए रखती हैं। वे वट वृक्ष की पूजा कर सात बार परिक्रमा करती हैं और सावित्री-सत्यवान की कथा सुनती हैं।
✅ कार्तिक पूर्णिमा
यह दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध कर धर्म की स्थापना की थी। इसे देव दिवाली भी कहा जाता है। कार्तिक स्नान का अंतिम दिन होने के कारण इसका अत्यधिक महत्व है। इस दिन दीपदान और भगवान विष्णु की पूजा करने से हजारों यज्ञों के बराबर पुण्य प्राप्त होता है।
✅ माघ पूर्णिमा
यह पूर्णिमा प्रयागराज के संगम स्नान के लिए प्रसिद्ध है। इस दिन स्नान, दान और व्रत का विशेष महत्व होता है। इसे कल्पवास का समापन भी माना जाता है।
✅ वैशाख, ज्येष्ठ, भाद्रपद पूर्णिमा
इन माहों में भी पूर्णिमा पर विशेष व्रत रखे जाते हैं, विशेष रूप से स्नान, व्रत और कथा श्रवण की परंपरा रहती है।
🔸 पूर्णिमा व्रत रखने की विधि
प्रातः काल स्नान एवं संकल्प
सुबह जल्दी उठकर गंगा या किसी पवित्र जल में स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
पूजन सामग्री संग्रह
रोली, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, फल, मिठाई, चंदन, गंगाजल, तांबे का लोटा, नारियल आदि।
व्रत कथा का पाठ
पूर्णिमा व्रत की विशिष्ट कथा का पाठ करें। उदाहरण: वट सावित्री व्रत कथा, शरद पूर्णिमा कथा आदि।
आरती और चंद्र पूजन
रात्रि को चंद्रमा को अर्घ्य देकर आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
व्रत का पारण
कार्तिक पूर्णिमा: देवदिवाली, दीपदान
शरद पूर्णिमा: लक्ष्मी प्राकट्य, खीर पूजा, रासलीला
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