Nishan Bhi Koi Na Chhoda | Ghazal | Raag Ahir Bhairav | First Prahar

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Ghazal based on Raag Ahir Bhairav
Lyrics :
निशाँ भी कोई न छोड़ा कि दिल को समझाएं
तेरी तलाश में जाएं तो हम कहाँ जाएं

ओ जाने वाले ये दिल तुझसे बदगुमाँ भी नहीं
लगी है आग नशेमन में और धुआं भी नहीं
यही नसीब में लिखा था घुट के मर जाएं

सुनाए हाल किसे जब वो राज़दाँ न मिला
ख़ुशी मिली तो बहारों का वो समाँ न मिला
यही थी एक तमन्ना के तुझ को अपनाएं

उजड़ गई हैं तमन्नाएं तेरे जाने से
गिला ख़ुदा से करें या करें ज़माने से
ग़म-ए-जुदाई बता आज किससे टकराएं

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