भगवान जगन्नाथ बीमार क्यों होते हैं?

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प्रति वर्ष ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा से भगवान श्री जगन्नाथ मंदिर के पट 15 दिनों के लिए बंद कर दिए जाते हैं ऐसा माना जाता है कि भगवान जगन्नाथ इन 15 दिनों बीमार रहते हैं। भगवान् जगन्नाथ के बीमाऱ होने से जुडी एक प्राचीन कथा है
उड़ीसा प्रान्त में जगन्नाथ पूरी में एक भक्त माधव दास जी रहते थे जो भगवान जगन्नाथ के भक्ति भजन में डूबे रहते पूजा करते भोग लगाते तब स्वयं खाते थे। माधव दास भगवान को अपना सखा, सम्बन्धी, संसार अपना सबकुछ मानते थे।
एक बार माधव दास जी को अतिसार(उलटी –दस्त ) का रोग हो गया। वह इतने दुर्बल हो गए कि उठ-बैठ नहीं सकते थे, सब सुध खो बैठे। ऐसे में श्री जगन्नाथजी स्वयं सेवक बनकर इनके घर पहुचे और मल मूत्र से सने उनके वस्त्रो को भगवान अपने हाथो से साफ करते थे, उनके पुरे शरीर को साफ करते थे, उनको स्वच्छ रखते थे।
जब माधवदासजी को होश आया अपने भगवान को फ़ौरन पहचान लिया और हाथ जोड़ कर बोले - प्रभु आप तो त्रिभुवन के मालिक हो, स्वामी हो, आप मेरी सेवा कर रहे हो आप चाहते तो मेरा ये रोग भी तो दूर कर सकते थे।
भगवान ने कहा - माधव प्रारब्द्ध होता है उसे तो भोगना ही पड़ता है। लेकिन मुझसे भक्तों का कष्ट नहीं सहा जाता अगर इस जन्म में नही तो तुम्हे अगला जन्म लेना पड़ेगा और मै नही चाहता की मेरे भक्त को ज़रा से प्रारब्द्ध के कारण अगला जन्म फिर लेना पड़े, इसी कारण तुम्हारी सेवा मैंने स्वयं की।
अब तुम्हारे प्रारब्द्ध में ये 15 दिन का रोग और बचा है, इसे मुझे दे दे और 15 दिन का वो रोग जगन्नाथ प्रभु ने माधवदास जी से ले लिया
तब से भगवान जगन्नाथ 15 दिन के लिए बीमार होते हैं इन्हीं भक्त वत्सल का स्नान यात्रा के बाद मंदिर का पट बंद कर दिया जाता है इन दिनों भगवान को वैद्य जांच करके प्रतिदिन जड़ी बूटीयों का काढ़ा दिया जाता है। फलों का रस और शीतल मीठा दूध दिया जाता है। 15 दिन बाद भगवान जगन्नाथ ठीक होते है उस दिन जगन्नाथ की यात्रा निकलती है, जिसके दर्शन हेतु असंख्य भक्त उमड़ते है।
ऐसे भक्त वत्सल भगवान को कोटि कोटि प्रणाम
और 15 दिन का वो रोग प्रभु जगन्नाथ ने माधवदास जी से ले लिया तब से भगवान जगन्नाथ 15 दिन के लिए बीमार होते हैं इसलिए मंदिर का पट बंद कर दिया जाता है इन दिनों भगवान को वैद्य जांच करके प्रतिदिन आयुर्वेद बूटियों का काढ़ा दिया जाता है फलों का रस और शीतल मीठा दूध दिया जाता है 15 दिन बाद भगवान जगन्नाथ ठीक होते है उस दिन जगन्नाथ की यात्रा निकलती है जिसके दर्शन हेतु असंख्य भक्त उमड़ते है ऐसे भक्त वत्सल भगवान को कोटि कोटि प्रणाम।
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