झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का इतिहास PR-3|| रानी लक्ष्मीबाई |History of Rani Laxmibai of Jhansi #2025
रानी लक्ष्मीबाई की कहानी | Rani Lakshmi Bai Story in Hindi | Rani of Jhansi
#laxmi
#2025
#history
Rani Laxmibai: सौंदर्य और साहस थी रानी की पहचान
रानी लक्ष्मीबाई का इतिहास,
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का इतिहास,
रानी लक्ष्मी बाई के बारे में,
रानी लक्ष्मी बाई का किला,
रानी लक्ष्मी बाई कौन थी,
रानी लक्ष्मीबाई का परिचय,
रानी लक्ष्मीबाई का निबंध,
history of rani laxmi bai in hindi,
रानी लक्ष्मीबाई का महल,
rani laxmi bai ka bara ma,
लक्ष्मी बाई का किला,
laxmi bai ki kahani,
झांसी की रानी का इतिहास,
jhansi ki rani lakshmi bai ki kahani,
झांसी का इतिहास,
jhansi ki rani kon thi,
rani lakshmi bai ki history,
rani laxmi bai ke bare me hindi me,
laxmi bai ka kila,
लक्ष्मी बाई के बारे में,
लक्ष्मी बाई कौन थी,
rani laxmi bai ka itihas,
rani laxmi bai ki jivani,
rani lakshmi bai ki jivani,
रानी दुर्गावती का इतिहास,
maharani laxmi bai ki kahani,
rani laxmi bai ka mahal
रानी लक्ष्मीबाई का इतिहास
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का इतिहास
rani lakshmi bai ki full story
रानी लक्ष्मीबाई का चित्र दिखाइए
rani of jhansi (laxmi bai)
रानी लक्ष्मीबाई की कहानी
rani lakshmi bai story in hindi
lakshmi bai ki kahani
रानी लक्ष्मीबाई
इतिहास रानी लक्ष्मीबाई
lakshmibai rani of jhansi
jhansi ki rani laxmibai history in hindi
laxmibai of jhansi
laxmiji ke putron ke naam
jansi laxmibai story
rani lakshmibai itihaas
rani laxmibai ka itihas
laxmi story in hindi
tara rani wikipedia in marathi
tara rani information in marathi
tara rani age
tara rani ke bete ka naam
1 रानी लक्ष्मीबाई कहाँ की रानी थी
4 lines on rani lakshmi bai in hindi
rani lakshmibai civ 6
रानी लक्ष्मीबाई (Rani Lakshmibai) की शौर्य गाथाएं किसको नहीं पता! उनका जिक्र आते ही हम अपने बचपन में लौट जाते हैं और सुभद्रा कुमारी चौहान की पंक्तियां गुनगुनाने लगते हैं. सन १८३५ में, वाराणसी ज़िले के भदैनी में, मोरोपन्त तांबे के घर में जन्मी रानी लक्ष्मीबाई का बचपन का नाम मनिकार्निका था. नाम बड़ा था, इसलिए घर वालों ने उन्हे मनु कहकर बुलाना शुरु कर दिया, जिसे बाद में दुनिया ने रानी लक्ष्मीबाई के नाम से जाना. बचपन में उनके सिर से मां भागीरथी बाई का साया हट गया. पिता मोरोपन्त तांबे ने मनु को माता और पिता, दोनों बनकर पालना था. उन्होंने मनु को कभी भी मां की कमी महसूस नहीं होने दी, और एक बेटे की तरह ही बड़ा किया. उन्होंने मनु को पढ़ाई केसाथ युद्ध कौशल भी सिखाए. धीरे-धीरे मनु घुड़सवारी, तलवारबाज़ी और तीरंदाज़ी में पारंगत होती गईं. देखते ही देखते मनु एक योद्धा की तरह, कुशल हो गईं. मनु महज़ १३-१४ साल की रही होंगी, जब उनकी शादी झांसी के राजा, गंगाधर राव से कर दी गई. उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति भी हुई थी, लेकिन चार महीने की अल्पआयु में ही, उसकी मृत्यु हो गई. अंग्रेज़ों से अपने राज्य को बचाने के लिए, राजा गंगाधर राव ने एक बच्चे को गोद लिया. लेकिन गंगाधर राव, बच्चे के नामकरण के अगले दिन ही चल बसे. अपनी खुद की संतान न होने के कारण अंग्रेजी हुकूमत ने, रानी लक्ष्मीबाई को झांसी छोड़ने का फ़रमान जारी कर दिया. अपनी स्वतंत्रता के लिए, रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों के खिलाफ़ लड़ाई लड़ी और युद्ध में वें वीरगति को प्राप्त हो गईं. आइए रानी लक्ष्मीबाई की हिम्मत, शौर्य और देशभक्ति की कहानी सुने.
Информация по комментариям в разработке