Sangat Ep.54 | Sushila Takbhore on Hindi-Marathi Dalit Literature, Ambedkar & Gandhi | Anjum Sharma

Описание к видео Sangat Ep.54 | Sushila Takbhore on Hindi-Marathi Dalit Literature, Ambedkar & Gandhi | Anjum Sharma

हिंदी साहित्य-संस्कृति-संसार के व्यक्तित्वों के वीडियो साक्षात्कार से जुड़ी सीरीज़ ‘संगत’ के 54वें एपिसोड में मिलिए सुपरिचित कवयित्री-कथाकार और नाटककार सुशीला टाकभौरे से। दलित-संवेदना और स्त्री-सरोकारों के लिए उल्लेखनीय सुशीला टाकभौरे का जन्म मध्य प्रदेश के होशंगाबाद ज़िले के सिवनी तहसील में 4 मार्च 1954 को एक निर्धन दलित वाल्मीकि परिवार में हुआ। पिता को मामूली अक्षर ज्ञान था, माता अशिक्षित थीं। दो बड़ी बहनों ने भी शिशु विद्यालय स्तर से अधिक की शिक्षा नहीं पाई थी। इस पारिवारिक पृष्ठभूमि में अपनी ज़िद, विश्वास, लगन और माता के सहयोग के बल पर ही उन्होंने उच्च शिक्षा ग्रहण की। आरंभ में उच्च विद्यालय में नौ वर्ष अध्यापन किया, फिर शोध कार्य पूरा कर कॉलेज में प्राध्यापिका बनीं।

लेखन के प्रति उनकी रुचि बचपन से ही रही। आठवीं कक्षा में पहली कहानी लिख ली थी। फिर कविताएँ भी लिखने लगीं और कालांतर में कहानी सहित अन्य गद्य विधाओं में अपना रचनात्मक योगदान किया। दलित-संवेदना और स्त्री-सरोकार उनकी रचनात्मकता का मूल स्वर है। इसके साथ ही उन्होंने समकालीन विमर्श के अन्य विषयों पर भी लेखन किया है।

‘स्वाति बूँद और खारे मोती’, ‘यह तुम भी जानो’, ‘तुमने उसे कब पहचाना’ और ‘हमारे हिस्से का सूरज’ उनके काव्य-संग्रह हैं। उनकी कहानियों का संकलन ‘अनुभूतियों के घेरे’, ‘टूटता वहम’, ‘संघर्ष’ और ‘ज़रा समझो’ शीर्षक से प्रकाशित हैं। ‘नीला आकाश’, ‘वह लड़की’ और ‘तुम्हें बदलना ही होगा’ उनके उपन्यास हैं। ‘नंगा सत्य’ उनकी नाट्य-कृति है जबकि अन्य नाटकों का संकलन ‘रंग और व्यंग्य’ संग्रह में हुआ है। उनकी आत्मकथा ‘शिकंजे का दर्द’ शीर्षक से प्रकाशित है। ‘हिंदी साहित्य के इतिहास में नारी’ और ‘भारतीय नारी: समाज और साहित्य के ऐतिहासिक संदर्भों में’ उनके स्त्री-विषयक निबंधों का संग्रह है। उनके दलित-विषयक वैचारिक लेखों का संग्रह ‘परिवर्तन ज़रूरी है’ में हुआ है। इसके अतिरिक्त, ‘दलित साहित्य: एक आलोचना दृष्टि’ और ‘दलित लेखन में स्त्री चेतना की दस्तक’ उनकी आलोचना-कृति है। ‘क़ैदी नं० 307’ शीर्षक पत्र-संवाद और ‘संवादों के सफ़र’ शीर्षक पत्र-संचयन भी प्रकाशित हैं।

उन्हें मध्य प्रदेश दलित साहित्य अकादेमी विशिष्ट सेवा सम्मान, रमणिका फ़ाउंडेशन के सावित्रीबाई फुले सम्मान, महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादेमी के डा. उषा मेहता हिंदी सेवा सम्मान आदि से सम्मानित किया गया है। उनकी रचनाएँ कई महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों के दलित पाठ्यक्रम में शामिल हैं। सुशीला टाकभौरे के निजी जीवन से लेकर उनके रचना-संसार और उनके संघर्ष को जानने-समझने के लिए देखिए अंजुम शर्मा के साथ संगत का यह एपिसोड।

सुशीला टाकभौरे की कविताएँ : https://www.hindwi.org/poets/sushila-...

संगत के अन्य एपिसोड्स देखने के लिए दिए गये लिंक पर जाएँ :    • संगत  

Hindwi channel is part of Hindwi.org website. The website is a initiative of Rekhta Foundation, dedicated to Hindi literature.

हिन्दवी के सोशल मीडिया चैनलों से जुड़िए :

Facebook :   / hindwiofficial  

Instagram :   / hindwi_offi.  .

Twitter :   / hindwiofficial  

Telegram : https://t.me/Hindwiofficial

#sangat #Hindwi

Комментарии

Информация по комментариям в разработке