कब से हो रहे हैं नवरात्र आरंभ ,
दुर्गा मां किस वाहन पर सवार होकर आएंगी,जानिए इस वीडियो में
30 मार्च से आरंभ हो रहे हैं वासन्तिक नवरात्र
हाथी पर सवार होकर आएंगे मां भगवती
इस बार आठ दिन का होंगे नवरात्र
शिव शंकर ज्योतिष एवं वास्तु अनुसंधान केंद्र गाजियाबाद
ज्योतिष आचार्य पंडित शिवकुमार शर्मा के अनुसार वहां शांति के नवरात्रि 30 अप्रैल दिन रविवार से आरंभ हो रहे हैं जब रविवार को भगवती माता की आवाहन होता है तो उसे दिन मां भगवती हाथी पर सवार होकर आती हैं। रविवार को ही नवरात्र का समापन होगा इसलिए भगवती मां रविवार को हाथी पर ही सवार होकर जाएंगी ।
हाथी पर आगमन और हाथी पर प्रस्थान देश के लिए अच्छा होता है देश में उसे संसार में सत्तासीन शासकों का प्रभाव बढ़ता है और सुख शांति रहती है।
इस बार से नवरात्र आठ दिन के होंगे
31 मार्च को द्वितीया प्रातः 9: 11 बजे तक है और तृतीया अगले दिन मंगलवार को सूर्य उदय से पहले समाप्त हो जाएगी अर्थात तृतीया तिथि का क्षय हो जाएगा। द्वितीया और तृतीया तिथि का व्रत व पूजा 31 मार्च को ही होगी।
शास्त्रों के अनुसार नवरात्रों में तिथि का कम होना अशुभ दर्शाता है।
अराजकता ,अकाल, प्राकृतिक घटनाएं भूकंप आदि बढ़ते हैं।
30 मार्च को घट स्थापना के शुभ मुहूर्त
प्रातः काल 8:34 बजे से 10:28 बजे तक वृषभ लग्न स्थिर लग्न।
मध्याह्न 11: 36 बजे से 12: 24बजे तक विशिष्ट अभिजीत मुहूर्त।
चौघड़िया विचार-
उपरोक्त शुभ मुहूर्तों के अलावा प्रातः 7:50 बजे 9:22 बजे तक चर के चौघड़िया ।
9:22 बजे से 10:54 बजे तक लाभ की चौघड़िया ।
10 :54 बजे से 12:26 बजे तक अमृत के चौघड़िया .
घट स्थापना के लिए अति उत्तम मुहूर्त हैं।
कलश स्थापना की विधि
उपरोक्त मुहूर्त के अनुसार अपना समय तय करके कलश स्थापना सामग्री को एकत्र करें।
मिट्टी अथवा तांबे का कलश, जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र या बड़ा गमला,
गंगाजल ,कलावा ,दीपक ,रुई, माचिस, शुद्ध जल ,गंगाजल आम के पत्ते ,नारियल लाल अंगोछा या चुन्नी दुर्गा मां की फोटो ,चौकी ,प्रसाद फल,माला, मिष्ठान आदि।
सर्वप्रथम लकड़ी की चौकी अथवा पटरे पर लाल वस्त्र बिछाकर दुर्गा मां की फोटो रखें ।चुनरी,माला आदि से ठीक प्रकार से सुसज्जित करें।
जब आप मां के चित्र के सामने बैठेंगे अपने बांयी और कलश और दाहिनी और दीपक का स्थान होना चाहिए।
जो श्रद्धालु जौ बोते हैं ,उन्हें मिट्टी के बड़े पात्र में मिट्टी अथवा रेत भरकर
उसमें जौ बोएं, थोड़ा सा जल छिडकें और उसी पात्र के ऊपर कलश की स्थापना करें। कलश पर कलावा लपेटे। जल के अंदर गंगाजल,सुपारी ,बताशा ,चावल और एक सिक्का डाल दें। तत्पश्चात कलश पर आम के पत्ते रखकर चुनरी से लिपटा हुआ नारियल रख दें और एक माला पहनाएं।
अपनी सीधे हाथ की ओर एक तांबे , पीतल या स्टील की प्लेट मे थोड़े चावल डालें, उस पर दीपक की स्थापना करें।
यदि अखंड दिया जलाना हो तो उसकी नियमित देखभाल करें व पूरे नवरात्रि में बुझने न पाए इसका विशेष ध्यान रखें।
अखंड दीपक न जला सके तो प्रातः सायं पूजा के समय ही दीपक जलाएं।#navratristatus
कलश स्थापना और गणेश आदि देवताओं का ध्यान करने के पश्चात मां दुर्गा का आह्वान करते हुए मां की प्रार्थना करें ।
जनसाधारण दुर्गा चालीसा ,दुर्गा सप्तशती के अध्याय आदि अपनी सुविधानुसार पढें। प्रातः काल#navratristatus #navratrisong और सायंकाल आरती अवश्य करें और भोग लगाएं।
दुर्गा सप्तमी व्रत- 4 अप्रैल , शुक्रवार
दुर्गा अष्टमी कंजक पूजन- 5 अप्रैल , शनिवार
श्री रामनवमी और नवरात्र विसर्जन- 6 अप्रैल, रविवार।
पंडित शिवकुमार शर्मा, ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु कंसलटेंट गाजियाबाद
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