स्वामी ब्रह्मदेव जी महाराज जगदंबा अंधविद्यालय गंगानगर : प्रवचन हरप्रभ आसरा आश्रम 41 आर बी

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Swami Brahm Dev Ji visit Har Prabh Aasra Ashram 41 RB
ऋषि वेद व्यास जी ने 18 पुराणों की रचना की और उसके बाद एक श्लोक लिखा जिसमें सभी 18 पुराणों का सार था कि संसार में किसी को भी सुख देना सबसे बड़ा यज्ञ है और इसके विपरीत किसी को दुःख देना संसार का सबसे बड़ा पाप है
और इसकी शुरुआत हमेशा अपने घर से होती है सबसे पहले अपने जन्मदाता मां-बाप की सेवा करनी चाहिए जिस घर में अपने मां-बाप की सेवा नहीं होती उस घर में कभी भी बरकत नहीं आती परमहंस स्वामी ब्रह्म देव जी महाराज अंध विद्यालय श्री गंगानगर वालों ने यह प्रवचन रविवार को श्री हर प्रब आसरा आश्रम 41 आर बी में एक धार्मिक समागम में कहीं उन्होंने कहा कि आजकल हर इंसान में इच्छाएं इतनी बढ़ती जा रही हैं वह हमेशा आगे की तरफ देखता है अपने से बड़े को देखता है बल्कि छोटे को देख कर जीना चाहिए उन्होंने जोर देकर यह बात कही कि अगर किसी इंसान को भगवान ने संपनता दी है उसे सेवा करने की क्षमता दी है ऊं चा पद या रसूख दिया हो तो उसे इसे सेवा कार्यों में इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि नर की सेवा ही नारायण की सेवा है उन्होंने हर प्रब आसरा आश्रम के सेवादार श्री हरि सिंह जी खालसा को इस सेवा कार्यों को साधुवाद दिया जिनके प्रयासों से आज लगभग 600 बेघर लावारिस लाचार बीमार प्राणियों को जीने का सहारा मिला हुआ है यहां ना सिर्फ उनका इलाज किया जाता है बल्कि उन बिछड़े हुए लोगों को वापिस उनके घर तक पहुंचाने के लिए सार्थक प्रयास किए जाते हैं संस्था के सभी सहयोगियों की ओर से स्वामी जी का शाल पहनाकर स्वागत किया गया

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