01 -Shri Rama Charitra -Swami Subodhananda

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Shri Rama Charitra Talks in Hindi by Pujya Swami Subodhananda recorded during Hanuman Mastabhishek Camp in October 2017.

🌸 About the Speaker 🌸

Swami Subodhananda’s natural and deep interest in Vedanta brought him to the portals of Sandeepany Himalayas, Sidhbari, in 1981, where he attended the first Hindi Vedanta Course under the tutelage of Pujya Guruji Swami Tejomayananda

After the Vedanta course he worked at Prayagraj as Brahmachari Vishal Chaitanya. Later on, Pujya Gurudev himself initiated him into the order of Sannyasa, bestowing on him the name Swami Subodhananda.

Swami Subodhananda had taught Hindi Vedanta Courses in Sandeepany Prayag and Sandeepany Himalayas. He remained in Sidhbari and taught and guided students of several batches. With deep and reverential devotion, Swami Subodhananda served Pujya Gurudev when he was unwell in Sidhbari.

Swami Subodhananda was known for his in-depth and scholarly knowledge of Vedanta. His talks on Bhagavad Gita, Ramayana and Bhagavata were very popular. He was fond of discussing Vedantic topics with students and would encourage reflection on such topics.

Highlights
🎶 राम का भजन सुनने का महत्व बताया गया है।
🌳 वाल्मीकि जी के आश्रम की पवित्रता और सुंदरता का वर्णन।
👣 भगवान राम का वनवास और उनके विचारों की चर्चा।
📜 श्रीरामचरितमानस के माध्यम से आध्यात्मिकता की गहराई।
💫 भक्तों के लिए भगवान के प्रति समर्पण की प्रेरणा।
🌌 पवित्रता और सौंदर्य का संबंध समझाया गया।
🕊️ संतों के संग की महत्ता और उनके आशीर्वाद का महत्व।
🎶 राम का नाम जपने से मन को शांति मिलती है।
🌳 वाल्मीकि जी का आश्रम एक आदर्श स्थान है।
📜 रामचरितमानस में भगवान श्रीराम के गुणों का वर्णन है।
🌼 पवित्रता और सौंदर्य का संबंध महत्वपूर्ण है।
🙏 संतों के संग से जीवन में सकारात्मकता आती है।
🌌 स्वप्न में भगवान का दर्शन भी महत्वपूर्ण माना जाता है।
🌺 राम का वनवास एक पुण्य का परिणाम है।

Key Insights
🎤 भक्ति संगीत: राम का भजन सुनना आध्यात्मिक अनुभव को समृद्ध करता है, जिससे मन को शांति मिलती है।
🌿 आश्रम की पवित्रता: वाल्मीकि जी का आश्रम एक आदर्श स्थान है, जहाँ से आध्यात्मिकता का संचार होता है।
🚶‍♂️ राम का वनवास: राम के वनवास के समय उनके विचार दर्शाते हैं कि कठिनाइयों में भी धैर्य और समर्पण आवश्यक है।
📖 आध्यात्मिक ग्रंथों का महत्व: श्रीरामचरितमानस जैसी रचनाएँ जीवन के गूढ़ अर्थों को उजागर करती हैं।
🌟 भक्तों के लिए प्रेरणा: राम की भक्ति और समर्पण हमें सच्चाई और भक्ति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं।
✨ पवित्रता और सौंदर्य: मन, शरीर और स्थान की पवित्रता सामंजस्य और सौंदर्य की कुंजी है।
🕊️ संतों का आशीर्वाद: संतों का संग और उनका आशीर्वाद प्राप्त करना जीवन को साधारण से दिव्य बनाता है।
🕊️ राम का नाम जपने से मन की शांति होती है, जो आध्यात्मिक विकास में सहायक है।
🌿 वाल्मीकि जी का आश्रम न केवल प्राकृतिक सौंदर्य से भरा है, बल्कि आत्मिक पवित्रता का भी प्रतीक है।
📖 रामचरितमानस में भगवान श्रीराम के चरित्र का गहरा अध्ययन हमें जीवन के मूल्य सिखाता है।
✨ पवित्रता और सौंदर्य का संबंध इस बात को दर्शाता है कि मन की स्वच्छता बाहरी सौंदर्य को भी प्रभावित करती है।
🌟 संतों का संग हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाता है, जो हमें कठिनाइयों का सामना करने में मदद करता है।
🌙 स्वप्न में भगवान का दर्शन आध्यात्मिकता का एक महत्वपूर्ण पहलू है, जो मानव मन की गहराइयों को उजागर करता है।
🌈 राम का वनवास उनके पिताजी के वचन की सिद्धि का प्रतीक है, जो हमें त्याग और समर्पण का महत्व सिखाता है।

वेदान्त में गहन रुचि और स्वभाव स्वामी सुबोधानन्द को 1981 में सन्दीपनी हिमालय, सिद्धबाड़ी के द्वार तक ले गए जहाँ उन्होंने पूज्य गुरुजी के मार्गदर्शन में हिन्दी के प्रथम वेदान्त कोर्स में भाग लिया। वेदान्त कोर्स करने के बाद उन्होंने प्रयागराज में ब्रह्मचारी विशाल चैतन्य के रूप में मिशन की सेवा की। कालान्तर में पूज्य गुरुदेव ने स्वयं उन्हें स्वामी सुबोधानन्द के रूप में संन्यास दीक्षा प्रदान की।

स्वामी सुबोधानन्द ने सन्दीपनी प्रयाग और सन्दीपनी हिमालय में हिन्दी में वेदान्त कोर्स का संचालन भी किया। बाद में वे सिद्धबाड़ी में ही रहे और वेदान्त कोर्स के कई सत्रों में उन्होंने विद्यार्थियों को शिक्षित और मार्गदर्शित किया।

जब पूज्य गुरुदेव का स्वास्थ्य ठीक नहीं था तब सिद्धबाड़ी में स्वामी सुबोधानन्द ने गहन लगन, प्रेम और सेवा भाव से उनकी सेवा सुश्रुषा की।

स्वामी सुबोधानन्द वेदान्त के विद्वत्तापूर्ण और गहन ज्ञान के लिए जाने जाते थे। उनके भगवद्गीता, भागवत तथा रामायण पर प्रवचन बहुत ही लोकप्रिय हैं। उन्हें वेदान्तिक विषयों पर चर्चा बहुत प्रिय थी और वे छात्रों को भी उन विषयों पर मनन और मन्थन करने के लिए प्रेरित किया करते थे।

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