क्या होता है पार्टी व्हिप? II What is Party Whip? II Maharashtra Political turmoil

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अभिवादन और स्वागत है आप सभी का हमारे इस खास कार्यक्रम में .... मेरा नाम है केशरी पाण्डेय और आप देख रहे हैं ध्येय टीवी। अपने आज के ‘न्यूज़ दिस आवर’ में हम जानेंगे कि व्हिप क्या होता है।

पिछले कई दिनों से महाराष्ट्र में चल रहा राजनीतिक नाटक अब विराम की स्थिति में आ गया है। हालांकि अभी भी कहानी थोड़ी बची हुई है और यह कहानी है सचेतक यानी व्हिप की। विधानसभा स्पीकर के चुनाव के लिए उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट ने अलग व्हिप जारी किया, जबकि एकनाथ शिंदे वाले गुट ने अलग व्हिप जारी किया। ऐसे में पार्टी के विधायकों के सामने बड़ी असमंजस की स्थिति हो गई। यह उसी तरह हो गया कि घर में मम्मी पापा का झगड़ा हो जाए और बच्चों के सामने यह मुश्किल खड़ी हो जाए कि वह किसकी सुने मम्मी की या फिर पापा की। खैर …. स्पीकर का चुनाव हो गया, लेकिन शिवसेना के उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले समूह ने महाराष्ट्र विधानसभा के नवनिर्वाचित अध्यक्ष की कार्रवाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। दरअसल अध्यक्ष ने एकनाथ शिंदे गुट द्वारा शिवसेना के मुख्य सचेतक के रूप में नामित व्हिप को मान्यता दी थी जिस पर उद्धव गुट को आपत्ति है।

‘सचेतक’ (व्हिप) की अवधारणा ब्रिटिश शासन से निकलकर आई है। यह किसी राजनीतिक पार्टी द्वारा जारी एक लिखित आदेश होता है जो पार्टी के सदस्यों को अनिवार्य रुप से मानना होता है। इसमें पार्टी से जुड़े विधानसभा अथवा संसद सदस्यों को यह आदेश होता है कि उन्हें अमुक मौके पर सदन में उपस्थित रहना है और किसी पक्ष विशेष में ही मतदान करना है। दसवीं अनुसूची यानी दल-बदल विरोधी कानून के अनुसार, एक राजनीतिक दल को अपने विधायकों को ‘सचेतक’ जारी करने का संवैधानिक अधिकार है। अधिकांश पार्टियां एक व्हिप नियुक्त करती हैं जिसका काम सदन के पटल पर पार्टी के सदस्यों के बीच अनुशासन सुनिश्चित करना है। हालांकि सचेतक नाम का उल्लेख संविधान में नहीं है। अगर इसे और भी आसान शब्दों समझा जाए इसका मतलब होता है कि संगठन का हर व्यक्ति को यह सुनिश्चित करना है कि पार्टी के सदस्य अपनी व्यक्तिगत विचारधारा या अपनी इच्छा की बजाय पार्टी द्वारा तय किए नियमों या फैसलों को फॉलो करें।

सचेतक तीन प्रकार के होते हैं - वन लाइन सचेतक, टू-लाइन सचेतक, थ्री-लाइन सचेतक। वन लाइन सचेतक सदस्यों को वोटिंग के बारे में जानकारी देने के लिए जारी किया जाता है। टू-लाइन सचेतक सदस्यों को मतदान के समय सदन में उपस्थित रहने का निर्देश देने के लिए जारी किया जाता है और थ्री-लाइन सचेतक सदस्यों को पार्टी लाइन के अनुसार वोट करने का निर्देश देने के लिए जारी किया जाता है।

अब सवाल उठता है कि अगर कोई सदस्य इस पार्टी व्हिप को नहीं मानता है तो क्या होगा? यदि कोई सांसद/विधायक अपनी पार्टी के सचेतक का उल्लंघन करता है, तो उसे दलबदल विरोधी कानून के तहत सदन से निकाल दिया जाता है, हालांकि अगर पार्टी के एक तिहाई सदस्य पार्टी व्हिप के खिलाफ जाकर वोटिंग करते हैं तो ऐसे में इनकी सदस्यता नहीं जाएगी। महाराष्ट्र वाले मामले में क्या निर्णय होगा यह तो न्यायपालिका के आने वाले फैसले से ही पता चलेगा।
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