आज के बालरूप दर्शन मेहंदीपुर बालाजी मन्दिर

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Mehandipur balaji संकट वाले रोगी एक बार जरूर देखें

मेहंदीपुर बालाजी महाराज जी के पावन दर्शनों का आनंद लीजिये

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श्री बालाजी महाराज जी बड़े दयालु हैं ।
आप सभी भक्तो की मंगल कामना हम श्री बालाजी महाराज जी से निरन्तर करते हैं ।।

कुछ सिद्ध प्रयोग                    

1. हनुमान चालीसा का पाठ
    हनुमान जी के मंदिर, पीपल के वृक्ष के नीचे अथवा घर में ही स्नान आदि नित्य-क्रिया से निवृŸा हो, कुशासन यास ऊर्णासन पर पूर्वाभिमुख बैठकर धूप-दीप जलाकर हनुमानजी का मानसिक ध्यान करते हुए शीघ्र फलदायक हनुमान चालीसा के सौ पाठ करने से मुकदमे में अवश्य ही विजय प्राप्त होती है।

2. हनुमान जी को गण्डा बांधने का विधान
   अगहन मास के शुक्ल पक्ष में त्रयोदशी के दिन शुभ लगन में 13 गांठों से युक्त एक गण्डा अथवा परिवार भर के लिए अनेक गण्डा उत्तम सूत अथवा रेशम के बनाकर हल्दी में रंगकर एक कलश में रखें और उसमें हनुमानजी का आवाहन करके पीला चंदन, पीला फूल-फल, पीला मिष्ठान वस्त्र और यज्ञोपवीत आदि चढ़ाकर पूजन करें। पूजन का मंत्र एक ही होगा ''ऊँ नमो भगवते वायुनंदनाय इस दिन 13 पुआ गेहूँ के आटे से उत्तम घी में बनाकर ब्राह्मणों को दें अथवा 13 ब्राह्मणों को भोजन कराएंँ और उनको दान दक्षिणा दें। तदंतर हनुमान जी का ध्यान करते हूए उस गण्डे को उठाकर कंठ में या भुजा पर बांधे। इसे तेरह वर्ष तक लगातार करते रहें, तब सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं। 13 वर्ष में उधापन कर दें।

3. हनुमत सहस्त्रनाम-प्रदक्षिणा का विधान
     जो व्यकित श्री हनुमान जी का विधिवत पूजन करके उनकी तथा पीपल के वृक्ष की मंगलवार या शनिवार को हनुमत सहस्त्रनाम स्त्रोत का पाठ करते हुए एक सौ आठ, हजार अथवा एक लाख प्रदक्षिणा करता है, उसके समस्त कष्ट नष्ट होते हैं तथा नि:सन्देह उसे संपतितयां प्राप्त होती हैं और संग्राम में शत्रुओं का विनाश एवं ज्वरादि सभी भयंकर रोग नष्ट होते हैं। यदि सहस्त्रनाम का पाठ करने में असमर्थ हों तो हनुमान चालीसा से ही प्रदक्षिणा द्वारा ऊपर कहे हुए समस्त कार्य सिद्ध होते हैं। यह अनुभूत प्रयोग है।

4. ग्रह-शांति के लिए प्रार्थना
     ब्रप्रार्थनाहमा, विष्णु, महेश, सूर्य, शशि, मंगल, भव-बाधा हर दो। हे बुध ! गुरू, भृगु, राहु, केतु, शनि, दु:ख अनिष्ट शान्त कर दो।।

5. सूर्य को जल चढ़ाने का मंत्र
          ऊँ ऐं àीं सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशो जगत्पते।
        अनुकम्पय मां भक्तया गृहणध्र्यं दिवाकर।।

6. नव ग्रहों को नमस्कार की विधि
       तांत्रिक सूर्य का मंत्र - ऊँ घृणि सूर्याय नम: (सूर्योदय में)। तांत्रिक चंद्र का मंत्र - ऊँ सौं सौमाय नम:।
तांत्रिक मंगल का मंत्र - ऊँ अं अंगारकाय नम:।
तांत्रिक बुध का मंत्र - ऊँ बुं बुधाय नम:
तांत्रिक गुरू का मंत्र - ऊँ बृं बृहस्पतये नम:।
तांत्रिक शुक्र का मंत्र - ऊँ शुं शुक्राय नम:।
तांत्रिक शनि का मंत्र - ऊँ शं शनिश्चराय नम:।
तांत्रिक राहु का मंत्र - ऊँ रां राहुवे नम:।
तांत्रिक केतु का मंत्र - ऊँ कें केतुवे नम:।

   श्री हनुमत-गायत्री मंत्र
         ऊँ आंजनेयाय विदमहे महाबलाय धीमहि तन्नो हनुमत प्रचोदयात।
     कष्ट निवारण हेतु
श्री हनुमान जी महाराज के अकाटय मंत्र
यदि किसी पर किसी दुष्ट ने कोर्इ तांत्रिक क्रिया की हो जैसे - मारण, उच्चाटन या चौकी आदि तो निम्नलिखित मंत्रों में से किसी एक मंत्र की 11 माला प्रतिदिन करने से उस दोष का निवारण तीन मास में अवश्य हो जायेगा। यह अनुभव से सिद्ध प्रयोग है। जाप के दिनों में पूर्ण ब्रहमचर्य तथा एक समय भोजन व ज़मीन पर सोना आवश्यक है। मिथ्या विवाद से दूर रहना चाहिए। बाद में दशांश हवन करना चाहिए।
भयो दशाक्षर मंत्र:
         ऊँ नमो भगवते वायुनन्दनाय
श्री भैरव मंत्र
         ऊँ वं बटुकाख्य रूद्रात्मने नम:
श्री प्रेतराज मंत्र
         ऊँ प्रें प्रेताधिपतये नम:


नोट- ये सभी प्रयोग मंहत जी की आज्ञा अनुसार करे।

    (विनियोग, ध्यान एवं न्यासदि सहित जप-विधि)

1. श्री श्री बालाजी महाराज का अत्यंत चमत्कारी श्री रामचंद्र जी द्वारा प्रवर्तित मंत्र राज-
   (क) विनियोग-
             ओउम अस्य श्रीहनुमन्मंत्रस्य श्रीरामचंद्र: ऋषि:, गायत्री छंद:, श्रीहनुमान देवता, हं बीजं, नम: शकित: हनुमत्कीलकं, श्रीहनुमत्प्रीत्यर्थे जपेविनियोग:।
   
   (ख) मंत्र-
                    ओउम हं हनुंमते नम:।

   (ग) ध्यान-
                   द्विभुज स्वर्णवर्णानं रामसेवापरायणम।
                 मौज्जी कौपीनसहितं ध्यायेहं रामसेवकम।।

   (घ) ऋष्यादिन्यास -
           श्री रामचंद्राय ऋषये नम: शिरसि गायत्रीछंदसे नमो मुखे, श्री हनुमद देवतायै नमो हृदये, हं बीजाय नमो गुहये, नम: शक्तये नम: पादयो:, श्री हनुमत्कीलकाय नम: सर्वांगे।
   (ड.) करन्यास -

श्री बाला जी की आरती
ॐ जय हनुमत वीरा स्वामी जय हनुमत वीरा
संकट मोचन स्वामी तुम हो रणधीरा।। ॐ

पवन - पुत्र अंजनी - सुत महिमा अति भारी।
दुःख दरिद्र मिटाओ संकट सब हारी।। ॐ

बाल समय में तुमने रवि को भक्ष लियो।
देवन स्तुति किन्ही तबही छोड़ दियो।। ॐ

कपि सुग्रीव राम संग मैत्री करवाई।
बाली बली मराय कपीशाहि गद्दी दिलवाई।। ॐ

जारि लंक को ले सिय की सुधि वानर हर्षाये।
कारज कठिन सुधारे रधुवर मन भाये।। ॐ

शक्ति लगी लक्ष्मण के भारी सोच भयो।
लाय संजीवन बूटी दुःख सब दूर कियो।। ॐ

ले पाताल अहिरावण जबहि पैठि गयो।
ताहि मारि प्रभु लाये जय जयकार भयो।। ॐ

घाटे मेंहदीपुर में शोभित दर्शन अति भारी।
मंगल और शनिश्चर मेला है जारी।। ॐ

श्री बालाजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत इन्द्र हर्षित मन वांछित फल पावे।।ॐ

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