Dargah Sharif Kichhauchha Sultan Makhdoom Ashraf Jahangir Semnani (हज़रत मखदूम अशरफ रहमतुल्लाह अलैह)

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हज़रत मखदूम अशरफ जहांगीर सिमनानी रहमतुल्लाह अलैह की विलादत मुबारक 712 हिजरी बा मुताबिक़ 1312 ईस्वी को ईरान के शहर सिमनान में हुई  उस अज़ीम शख्सित को दुनिया आज मखदूम अशरफ जहांगीर सिमनानी के नाम से जानती है हज़रत मखदूम अशरफ के वालिद और वालिदा इबादत गुज़ार थे और अल्लाह के नेक वालियों में आपका शुमार था वालिद मोहतरम का नाम  इब्राहिम नूर बख्श था और वो सिमनान के बादशाह थे अल्लाह ने आपको कोई औलाद अता नहीं किया था इसके लिए आप और आपकी अहलिया मायूस रहा करती थी एक दिन एक बुज़ुर्ग फ़क़ीर जो सिमनान में रहा करते थे वो हज़रत मखदूम अशरफ के वालिद के दरबार में तशरीफ़ लाये हज़रत इब्राहिम नूर बख्श और उनकी अहलिया ने उन्हें बहोत ही अदब और एहतेराम के साथ बैठाया और खुद अदब के साथ उस बुज़ुर्ग फ़क़ीर के सामने खड़े हो गए.

उस बुज़ुर्ग ने हज़रत इब्राहिम नूर बख्श से पुछा क्या आप अल्लाह तआला से चाहते हो की वो आपको बेटा अता करे हज़रत इब्राहिम नूर बख्श और उनकी अहलिया बहोत खुश हुई क्यों की औलाद ना होने से वो बहोत ग़मगीन रहा करते थे हज़रत इब्राहिम नूर बख्श हमेशा अल्लाह से औलाद के लिए दुआ करते थे अब उस बुज़ुर्ग की ज़ुबान से यह बात सुनकर उनके चेहरे खिल उठे हज़रत इब्राहिम नूर बख्श जोप्यारे आक़ा मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ऐ इब्राहीम तुम्हे अल्लाह तआला दो बेटे अता करेगा बड़े बेटे का नाम अशरफ और छोटे बेटे का नाम आराफ़ रखना अशरफ अल्लाह का वली होगा उसकी परवरिश और तरबियत ख़ास तरीके से करना और फिर वो वक़्त भी क़रीब आ गया पूरे सिमनान में ख़ुशी की लहर फ़ैल गयी सिमनान को अब उनका बादशाह मिल चूका था अब शहरे सिमनान में हज़रत मखदूम अशरफ जहांगीर सिमनानी रज़ियल्लाहु तआला अन्हो की आमद हो चुकी थी दोस्तों आपको बता दू की हज़रत मखदूम अशरफ जहांगीर सिमनानी रज़ियल्लाहु तआला अन्हो का मुक़म्मल नाम बहोत से लोग नहीं जानते है आपका पूरा मुक़म्मल नाम महबूबे यज़दानी हज़रत मीर सय्यद औहदुद्दीन मखदूम अशरफ जहांगीर सिमनानी है.

आपकी पैदाइश 709 हिजरी 1285 ईस्वी में हुई और आपके वालिद का नाम सुल्तान इब्राहिम नूर बख्श है और आपकी वालिदा का नाम बीबी खदीजा बेगम है आपका शजरए नसब हज़रत इमाम जाफर सादिक़ से होते हुवे हज़रत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हो से मिलता है आपका शजरए नसब ये है –

हज़रत सय्यद औहदुद्दीन मखदूम अशरफ
बिन सय्यद हज़रत इब्राहीम नूर बख्श रहमतुल्लाह अलैह
बिन सय्यद हज़रत अमादुद्दीन नूर बख्श रहमतुल्लाह अलैह
बिन सय्यद हज़रत सुलतान निज़ामुद्दीन मोहम्मद अली शेर रहमतुल्लाह अलैह
बिन सय्यद हज़रत सुलतान जहीरुद्दीन मोहम्मद रहमतुल्लाह अलैह
बिन सय्यद हज़रत अली अकबर बुलबुल रहमतुल्लाह अलैह
बिन सय्यद हज़रत मोहम्मद मेहंदी रहमतुल्लाह अलैह
बिन सय्यद हज़रत अक़मालुद्दीन रहमतुल्लाह अलैह
बिन सय्यद हज़रत जमालुद्दीन रहमतुल्लाह अलैह
बिन सय्यद हज़रत मोहम्मद अब्दुल्लाह रहमतुल्लाह अलैह
बिन सय्यद हज़रत हुसैन सैफू रहमतुल्लाह अलैह
बिन सय्यद हज़रत अबू हम्ज़ा रहमतुल्लाह अलैह
बिन सय्यद हज़रत मूसा अली रहमतुल्लाह अलैह
बिन सय्यद हज़रत इस्माईल सानी रहमतुल्लाह अलैह
बिन सय्यद हज़रत अबुल हसन रहमतुल्लाह अलैह
बिन सय्यद हज़रत इस्माईल आराज़ की सिमनान के बादशाह थे उन्होंने बहोत ही अदब से उस बुज़ुर्ग से अर्ज़ किया आप हमारे हक़ में दुआ कर दीजिये आप अल्लाह के वली हैं उस बुज़र्ग ने आपके लिए दुआ की और वहाँ से चले गए कुछ दिन के बाद सुलतान इब्राहिम नूर बख्श ने ख्वाब में दोनों जहान के मालिकों मुख्तार हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम को देखा.
रहमतुल्लाह अलैह
बिन सय्यद हज़रत इमाम जाफर सादिक़ रहमतुल्लाह अलैह
बिन सय्यद हज़रत ज़ैनुल आबदीन रज़ियल्लाहु तआला अन्हो
बिन सय्यद हज़रत इमाम हुसैन शोहदाए कर्बला रज़ियल्लाहु तआला अन्हो
बिन सय्यद हज़रत मौला अली मुश्किल कुशा रज़ियल्लाहु तआला अन्हो
इस तरह आप का शजरए नसब मौला अली से मिलता है हज़रत मखदूम अशरफ को कई और लक़ब से भी जाना जाता है आपके मशहूर लक़ब है- जहाँगीर,ग़ौसुल आलम, महबूबे यजदानी, क़ुत्बुल क़ुब्रा, और कई मशहूर लक़ब से भी आपको जाना जाता है हज़रत महबूबे यज़दानी मखदूम अशरफ सिमनानी की उम्र जब 4 साल 4 महीने की हो गई तो आपको रस्मे बिस्मिल्लाह पढ़ाया गया और महफिले शमा का आगाज़ किया गया सुल्तान सय्यद इब्राहिम ने अपने बेटे की तालीम क़ुरआने पाक हिफ़्ज़ करने से शुरू करवाई और आपकी तरबियत पर भी बहोत तवज्जोह दी और हज़रत मखदूम अशरफ ने 7 साल की उम्र में ही क़ुरआने पाक 7 क़ीरत के साथ हिफ्ज़ कर लिए.

और आप उस वक़्त के आलिमे दीन हज़रत रुकनुद्दीन से इल्मे दीन सीखने उनकी बारगाह में तशरीफ़ ले गए और जब आपकी उम्र शरीफ 15 साल की हुई तो आपके वालिद सुलतान सय्यद इब्राहीम नूर बख्श रहमतुल्लाह अलैह विशाल फरमा गए इस तरह कम उम्र मे सल्तनत सिमनान की ज़िम्मेदारी आपके ऊपर आ गई आपने 10 साल सिमनान में हुक़ूमत करने के बाद बादशाहत अपने छोटे भाई को सौंपने का इरादा कर लिया और अपनी वालिदा से अर्ज़ किया की ऐ माँ अब मै सिमनान पर तो हुकूमत कर चूका हूँ अब मै अल्लाह के लिए दीने इस्लाम की खिदमत के लिए दूसरे मुल्क़ जाना चाहता हूँ वो माँ जो खुद वलिये कामिल थी अपने बेटे को न रोक सकी माँ ने कहा ठीक है तुम इस्लाम की तरबियत के लिए जाओ माँ की बातों को मानते हुवे आपने मुल्क़ की सरहद की तरफ सफर किया.आपकी माँ ने आपके साथ बहोत से सैनिको को भेजा आप अपनी माँ की बात मानते हुवे सैनिकों के साथ सरहद तक आए और फिर आपने सैनिकों से फ़रमाया की मै किसी मुल्क़ पर क़ब्ज़ा करने नहीं जा रहा हूँ लोगों के दिलों पर राज़ करने जा रहा हूँ इसके लिए फ़ौज़ की ज़रूरत नहीं आप लोग वापस चले जाइये आपकी बात मानते हुवे बहोत से सैनिक सिमनान चले गए हज़रत मखदूम अशरफ सिमनान छोड़ने के बाद बुखारा की तरफ अपने दो सैनिको के साथ चल दिये और आप सफर करते हुवे 6 महीने के बाद बुखारा पहुँचे और समरक़ंद होते हुवे भारत की तरफ आये यहाँ उनकी मुलाक़ात मखदूम जलालुद्दीन बुखारी से हुई जो जहानिया जहान गस्त के लक़ब से मशहूर थे

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