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Скачать или смотреть Devnarayan Temple Chundiyan | Arti Darshan | Merta city | Rajasthan | NR GURJAR | देवनारायण के भजन

  • NR GURJAR
  • 2020-07-01
  • 451
Devnarayan Temple Chundiyan | Arti Darshan | Merta city |  Rajasthan | NR GURJAR  | देवनारायण के भजन
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Описание к видео Devnarayan Temple Chundiyan | Arti Darshan | Merta city | Rajasthan | NR GURJAR | देवनारायण के भजन

नागौर राजस्थान में मेड़ता के समीप गांव है जिसका नाम है चुन्दिया ये सारे दृश्य उसी गाँव के श्री देव नारायण मंदिर के हैं


संवत 965 के अंश जन्म लिया गुर्जर के वंश साडु सती के वचनों द्वारा कमल फूल देव लिया अवतार।

श्री देव नारायण जी का परिचय

श्री देवनारायण भगवान पराक्रमी योद्धा थे जिन्होंने अत्याचारी शासकों के विरूद्ध कई संघर्ष एवं युद्ध किये । वे शासक भी रहे । उन्होंने अनेक सिद्धियाँ प्राप्त की । चमत्कारों के आधार पर धीरे - धीरे वे गुर्जरों के देव स्वरूप बनते गये एवं अपने इष्टदेव के रूप में पूजे जाने लगे । देवनारायण को विष्णु के अवतार के रूप में गुर्जर समाज द्वारा राजस्थान व दक्षिण - पश्चिमी मध्य प्रदेश में अपने लोकदेवता के रूप में पूजा की जाती है । उन्होंने लोगों के दुःख व कष्टों का निवारण किया । देवनारायण महागाथा में बगडावतों और राण भिणाय के शासक के बीच युद्ध का रोचक वर्णन है ।

श्री देवनारायण भगवान जी का अन्तिम समय ब्यावर तहसील के मसूदा से 6 कि . मी . दूरी पर स्थित देहमाली ( देमाली ) स्थान पर गुजरा । भाद्रपद शुक्ला सप्तमी को उनका वहीं देहावसान हुआ । देवनारायण से पीपलदे द्वारा सन्तान विहीन छोड़कर न जाने के आग्रह पर बैकुण्ठ जाने पूर्व पीपलदे से एक पुत्र बीला व पुत्री बीली उत्पन्न हुई । उनका पुत्र ही उनका प्रथम पुजारी हुआ ।

श्री कृष्ण की तरह श्री देवनारायण भगवान भी गायों के रक्षक थे । उन्होंने बगड़ावतों की पांच गायें खोजी , जिनमें सामान्य गायों से अलग विशिष्ट लक्षण थे । देवनारायण प्रातःकाल उठते ही सरेमाता गाय के दर्शन करते थे । यह गाय बगड़ावतों के गुरू रूपनाथ ने सवाई भोज को दी थी । देवनारायण के पास 98000 पशु धन था । जब देवनारायण की गायें राण भिणाय का राणा घेर कर ले जाता तो देवनारायण गायों की रक्षार्थ राणा से युद्ध करते हैं और गायों को छुड़ाकर लाते थे । देवनारायण की सेना में ग्वाले अधिक थे । 1444 ग्वालों का होना बताया गया है , जिनका काम गायों को चराना और गायों की रक्षा करना था । देवनारायण ने अपने अनुयायियों को गायों की रक्षा का संदेश दिया ।

इन्होंने जीवन में बुराइयों से लड़कर अच्छाइयों को जन्म दिया । आतंकवाद से संघर्ष कर सच्चाई की रक्षा की एवं शान्ति स्थापित की । हर असहाय की सहायता की । राजस्थान में जगह - जगह इनके अनुयायियों ने देवालय अलग - अलग स्थानों पर बनवाये हैं जिनको देवरा भी कहा जाता है । ये देवरे अजमेर , चित्तौड़ , भीलवाड़ा , व टोंक में काफी संख्या में है । देवनारायण का प्रमुख मन्दिर भीलवाड़ा जिले में आसीन्द कस्बे के निकट खारी नदी के तट पर मालासेरी डूंगरी है,जो मालासेरी गांव के पास है।देवनारायण का अन्य प्रसिद्ध मंदिर गोठा दड़ावत गांव में है जो खारी नदी और नेकाडी नदी के संगम पर स्थित है। गोठा दडावट बगड़ावत राजधानी भी रही है। देवनारायण का एक प्रमुख देवालय निवाई तहसील के जोधपुरिया गाँव में वनस्थली से 9 कि . मी . दूरी पर है । सम्पूर्ण भारत में गुर्जर समाज का यह सर्वाधिक पौराणिक तीर्थ स्थल है । देवनारायण की पूजा भोपाओं द्वारा की जाती है । ये भोपा विभिन्न स्थानों पर जाकर गुर्जर समुदाय के मध्य फड़ ( लपेटे हुये कपड़े पर देवनारायण जी की चित्रित कथा ) के माध्यम से देवनारायण की गाथा गा कर सुनाते हैं ।

लोकदेवता मालदेव जी (मांगटजी) पंवार इनके समकालीन हुए है। मांगटजी के संबंध में कहा जाता है कि उनकी माता जगमलदे और देवनारायण की मां साडू माता धर्म बहिन थी। मांगटजी को देवनारायणजी की कृपा व अपने पूर्व जन्मों के पुण्यफल तथा रावत-राजपूतों के आदिगुरू थानेश्वर रावल जी के आशीर्वाद से सोलह विद्याएं प्राप्त हुई।

देवनारायण की फड़ में 335 गीत हैं । जिनका लगभग | 1200 पृष्ठों में संग्रह किया गया है एवं लगभग 15000 पंक्तियाँ हैं । ये गीत परम्परागत भोपाओं को कण्ठस्थ याद रहते हैं । देवनारायण की फड़ राजस्थान की फड़ों में सर्वाधिक लोकप्रिय एवं सबसे बड़ी है ।

देवनारायण के अन्य नाम

११वी कला का असवार

लीला घोडा का असवार

त्रिलोकी का नाथ

देवजी

देव महाराज

देव धणी

साडू माता का लाल

उदा जी

देवनारायण

नारायण

उदल

देव दरबार

ईटा का श्याम



मंदिरसंपादित करें

देवजी के चार प्रमुख देवरे चार धाम कहलाते हैं

गोठां दड़ावता ( आसीन्द, भीलवाड़ा)

देवधाम जोधपुरिया ( निवाई , टोक )

देवमाली ( अजमेर )

देवडूंगरी ( चित्तौड़गढ़ )

देव महाराज मंदिर ( पांचू डाला, जयपुर )

देवनारायण जी मंदिर ( तालुकाबास उर्फ रघुनाथपुरा, जयपुर )

देव नारायण मंदिर (भीमपुरा जयपुर)

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