TASBIH WA DUA ME JISNE LAJJAT PAYI...{TASBIH KI FAZILAT} |||

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तशबीह व दुआ में जिसने लज्जत पाई,दोनो जहा की न्यामत उसने पाई सुना है हमने जब कयामत होंगी तो आलम यह होंगा की परबत अपनी जगह से उखड़ जायेंगे और कापुस का छोटा सा टुकड़ा ज्यों हवा में बेबस सा उड़ता है वैसा ही हाल परबत का होंगा। कोई ताकतवर आदमी जब दवाखाने में खटिया पर पड़ा बेबसी में रोता है और कहेता है की ये मेरे फौलादी हाथो से में लोगो को बड़ी बे रहेमी से पीटा करता था उन्हीं हाथो से आज खाना नही खा सकता,कोई मुझे तशबी लाकर दो अब मुझे मेरा रब याद आ रहा है। क्योंकि सच्चाई यही होती है की इंसान खुदा की रहमत का मोहताज होता है और जब संसार उसे घुटनो पर ला देता है तब उसे अपने परवरदिगार का नाम ही एक सहारे के रूप में दिखता है।इन्ही बातो के ताने बाने बुनती तश्बी की वाइज है। शरुआत थोड़ी धीमी फिर गती।

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