Navratri Day 6 Maa Katyayani"
🌸 Navratri Day 6 – Maa Katyayani Puja, Significance, Katha & Benefits 🌸
1. नवरात्रि का महत्व और छठे दिन की पूजा
हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। यह पर्व साल में दो बार आता है – चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि। नौ दिनों तक भक्त माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना करते हैं।
नवरात्रि के छठे दिन माँ कात्यायनी की उपासना की जाती है। माँ का यह स्वरूप शक्ति, साहस और विजय का प्रतीक माना जाता है।
माना जाता है कि छठे दिन पूजा करने से जीवन में आने वाली बाधाएँ दूर होती हैं, विशेष रूप से विवाह में आ रही अड़चनें समाप्त होती हैं। माँ कात्यायनी को “महिषासुर मर्दिनी” भी कहा जाता है क्योंकि इन्होंने राक्षस महिषासुर का वध कर धर्म की रक्षा की थी।
2. माँ कात्यायनी की उत्पत्ति की कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महर्षि कात्यायन ने कठोर तपस्या कर माँ दुर्गा से पुत्री के रूप में जन्म लेने की प्रार्थना की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर देवी ने उनके घर जन्म लिया और इसीलिए इनका नाम कात्यायनी पड़ा।
माँ का यह स्वरूप अत्यंत दिव्य और तेजस्वी है।
इनका वाहन सिंह है।
इनके चार हाथ हैं।
एक हाथ में तलवार, दूसरे में कमल, तीसरे हाथ से अभय प्रदान करती हैं और चौथा हाथ वरमुद्रा में रहता है।
3. नवरात्रि के छठे दिन की पूजा विधि
माँ कात्यायनी की पूजा बहुत ही सरल और फलदायी मानी जाती है।
पूजा विधि इस प्रकार है:
1. प्रातः स्नान कर घर को शुद्ध करें।
2. पूजा स्थल पर माँ कात्यायनी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
3. गंगाजल से शुद्धिकरण करें।
4. माँ को पीले या लाल फूल अर्पित करें।
5. धूप, दीप, फल, नैवेद्य और पंचामृत चढ़ाएँ।
6. दुर्गा सप्तशती के छठे अध्याय का पाठ करें।
7. अंत में आरती करें और प्रसाद बांटें।
4. माँ कात्यायनी के पूजन का महत्व
माँ कात्यायनी को विवाह और वैवाहिक जीवन की देवी भी कहा जाता है।
जिन कन्याओं के विवाह में विलंब होता है, उन्हें विशेष रूप से माँ कात्यायनी की पूजा करनी चाहिए।
माँ की उपासना से साहस, बल, धैर्य और आत्मविश्वास बढ़ता है।
जीवन की बाधाएँ दूर होकर सफलता के नए द्वार खुलते हैं।
विद्यार्थी और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले भक्तों को भी माँ का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
5. माँ कात्यायनी से जुड़े मंत्र और स्तोत्र
भक्त माँ कात्यायनी की पूजा करते समय विशेष मंत्रों का जाप करते हैं।
👉 बीज मंत्र
“ॐ कात्यायन्यै विद्महे कन्याकुमारि धीमहि तन्नो दुर्गा प्रचोदयात्।”
👉 कात्यायनी मंत्र
“ॐ देवी कात्यायन्यै नमः।”
👉 दुर्गा सप्तशती पाठ
नवरात्रि के छठे दिन सप्तशती का छठा अध्याय पढ़ना शुभ माना जाता है।
6. माँ कात्यायनी और विवाह योग का संबंध
हिंदू धर्म में यह मान्यता है कि माँ कात्यायनी की पूजा करने से विवाह में आने वाली सभी बाधाएँ दूर होती हैं। विशेषकर अविवाहित लड़कियाँ माँ की उपासना करती हैं ताकि उन्हें योग्य वर प्राप्त हो और उनका विवाह शीघ्र हो सके।
भागवत पुराण के अनुसार, वृंदावन की गोपियाँ भी श्रीकृष्ण को पाने के लिए माँ कात्यायनी की उपासना करती थीं। इसीलिए माँ को “कन्या विवाह की देवी” भी कहा जाता है।
7. माँ कात्यायनी की कृपा से मिलने वाले लाभ
1. साहस और आत्मबल की वृद्धि
2. विवाह में आने वाली रुकावटों का निवारण
3. धन, सुख और समृद्धि की प्राप्ति
4. शत्रुओं का नाश और विजय
5. मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति
🌼 निष्कर्ष
नवरात्रि का छठा दिन भक्तों के लिए अत्यंत विशेष होता है। इस दिन माँ कात्यायनी की आराधना करने से जीवन की बड़ी से बड़ी कठिनाइयाँ सरल हो जाती हैं। जिनके विवाह में विलंब हो रहा है या जीवन में बाधाएँ आ रही हैं, वे माँ से सच्चे मन से प्रार्थना करें।
माँ कात्यायनी का आशीर्वाद मिलने पर जीवन सुख, शांति और सफलता से भर जाता है।
🙏 जय माँ कात्यायनी 🙏
/ @rameshkumar-sy1yw
• 🙏 जय माता दी 🌺 नवरात्रि कापांचवा दिन #जय🕺...
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