उत्तराखण्ड रावत राजपूत जातियों का इतिहास |

Описание к видео उत्तराखण्ड रावत राजपूत जातियों का इतिहास |

garhkumon entertainment: उत्तराखण्ड रावत राजपूत जातियों का इतिहास | rawat caste in uttarakhand history | रावत जातियों इतिहास


रावत
रा - राजपूताना
व - वीर
त - तलवार

रावत राजपूतों की एक प्रमुख जाति मानी जाती है जो राजा के बाद दूसरी सबसे बड़ी उपाधी थी। क्या आपको पता है इसके अतर्गत कई जातियां समाहित हैं। ये सभी रावत जातियां अलग-अलग स्थानों से आकर गढ़वाल में बसी हैं। दोस्तो आज हम बात करेगे रावत जाति की वो कहां से आये और और उनके वंशज कौन है।

स्वागत है आपका हमारे चैनल गढ़ कुमों इन्टरटेन्मेन्ट में।

इस विडियों मे आपको बताऐगें ऐसी ही रावत जातियों के बारे में।

दिकोला रावत:- दिकोला रावत की पूर्व जाति ”वंश“ मरहठा है। ये महाराष्ट्र से सन 415 में गढ़वाल में आए और दिकोली गांव को अपना बनाया।

गोर्ला रावत:- गोर्ला रावत पंवार वंश के वंशज हैं जो गुजरात से संवत 817 में गढ़वाल आए। गोर्ला रावत का प्रथम गांव गुराड़ माना जाता है।

रिगवाड़ा रावत:- इन्हें कैंत्यूरा वंश का वंशज माना जाता है। जो कुमाऊं से संवत 1411 में गढ़वाल आए। इनका प्रथम गढ़ रिगवाड़ी गांव माना जाता था।

बंगारी रावत:- बंगारी रावत बांगर से संवत 1662 में गढ़वाल आए। बांगरी का अपभ्रंश बंगारी माना जाता है।

बुटोला रावत:- ये तंअर वंश के वंशज हैं। ये दिल्ली से संवत 800 में गढ़वाल आए।

बरवाणी रावत:- ये तंअर वंश के वंशज मासीगढ़ से संवत 1479 में आए। इनका गढ़वाल में प्रथम निवास नैर्भणा क्षत्रिय था।

जयाड़ा रावत:- ये दिल्ली के समीप किसी अज्ञात स्थान से गढ़वाल में आए। गढ़वाल में इनका प्रथम गढ़ जयाड़गढ़ माना जाता था।
मन्यारी रावत:- ये लोग गढ़वाल की मन्यारस्यूं पट्टी में बसने के कारण मन्यारी रावत कहलाए।

जवाड़ी रावत:- इनका प्रथम गांव जवाड़ी गांव माना जाता है।



#कौन#हैं#रावत?#"रावत"#जाति#का#इतिहास
#उत्तराखण्ड रावत राजपूत जातियों का इतिहास
#rawat caste in uttarakhand history
#रावत जातियों इतिहास
#rajput history
#rawat rajput history in hindi
#rawat jat
#rawat
#uttarakhand rawat
#uttarakhand rajput
#rajasthan rawat
#रावत का इतिहास
#rawat rajput ka itihas
#uttarakhand
#itihas
#rajput
#'रावत' कौन हैं ?
#all rawat caste in uttarakhand
#rawat caste in india
#rawat surname
#does rawat belong to rajasthan

परसारा रावत:- ये चैहान वंश के वंशज हैं जो संवत 1102 में ज्वालापुर से आकर सर्वप्रथम गढ़वाल के परसारी गांव में आकर बसे।

फरस्वाण रावत:- मथुरा के समीप किसी स्थान से ये संवत 432 में गढ़वाल आए। इनका प्रथम गांव गढ़वाल का फरासू गांव माना जाता है।

मौंदाड़ा रावत:- ये पंवार वंश के वंशज हैं जो संवत 1405 में गढ़वाल में आकर बसे। इनका प्रथम गांव मौंदाड़ी गांव माना जाता है।

कयाड़ा रावत:- इन्हें पंवार वंश का वंशज माना जाता है। ये संवत 1453 में गढ़वाल आए।

गविणा रावत:- इन्हें भी पंवार वंश का वंशज माना जाता है। गवनीगढ़ इनका प्रथम गढ़ था।

लुतड़ा रावत:- ये चैहान वंश के वंशज हैं जो संवत 838 में लोहा चांदपुर से गढ़वाल आए। इनमें पुराने राजपूत ठाकुर आशा रावत और बाशा रावत थोकदार कहलाते थे।

कठेला रावत:- कठेला रावत राजपूत जाति के बारे में पंडित हरिकृष्ण रतूड़ी जी लिखते हैं कि “इनका मूल वंश कठौच/कटौच और गोत्र काश्यप है और ये कांगड़ा से गढ़वाल में आकर बसे हैं। ऐसा माना जाता है कि इनका गढ़वाल राजवंश से रक्त सम्बंध रहा है। इनकी थात की पट्टी गढ़वाल में कठूलस्यूं मानी जाती है। कुमाऊं के कठेला थोकदारों के गांव देवाइल में भी ‘कठेलागढ़’ था।”

तेरला रावत:- ये गुजड़ू पट्टी के थोकदार माने जाते हैं।

मवाल रावत:- गढ़वाल में इनकी थात की पट्टी मवालस्यूं मानी जाती है। इनका मूल निवास नेपाल तथा ये कुंवर वंश के माने जाते हैं।

दूधाधारी रावत:- ये बिनोली गांव, चांदपुर के निवासी माने जाते हैं।

मसोल्या रावत:- पंवार पूर्व जाति के वंशज मसोल्या रावत धार के मूल निवासी हैं जो गढ़वाल में बसे हैं।

इसके अलावा जेठा रावत, तोदड़ा रावत, कड़वाल रावत, तुलसा रावत, मौरोड़ा रावत, गुराडी रावत, कोल्ला रावत, घंडियाली रावत, फर्सुड़ा रावत, झिक्वाण रावत, मनेसा रावत, कफोला रावत जातियों है।

Комментарии

Информация по комментариям в разработке