माँ काली जी दारागंज पक्की सड़क प्रयागराज 2019 Maa Kali Ji Daraganj Pakki Sadak Prayagraj 2019

Описание к видео माँ काली जी दारागंज पक्की सड़क प्रयागराज 2019 Maa Kali Ji Daraganj Pakki Sadak Prayagraj 2019

इलाहाबाद. आस्था एवं विश्वास की संगम नगरी में नवरात्रि पर्व के दौरान मां काली का अद्भुत प्राकट्य दर्शनीय के साथ-साथ खतरनाक एवं खून खराबा वाला भी होता है। लेकिन सुखद पहलू यह है कि मां काली के नृत्य के दौरान उनकी भुजाली अस्त्र की चपेट में आने से जख्मी होने वाले लोग खुशी-खुशी उसे प्रसाद स्वरूप मानकर स्वीकार कर लेते हैं।

 

मां काली की होती है विशेष पूजा....

 

यहां मां काली के प्रकार से पहले उनका विधि-विधान से पूजन अर्चन किया जाता है। उन्हें नर मुंडों की माला पहनाई जाती है। फिर पुजारी नर मुंडो की माला और उनके खप्पर पर उनकी भुजाली(मां काली का अस्त्र शस्त्र) से अपने हाथ की उंगली काट कर रक्त चढ़ाते हैं।
उसके बाद नींबू नारियल और जायफल से उनका विधिवत पूजन किया जाता है। लोहबान सु लगाई जाती है। उसके बाद नगड़िया की धुन पर मां काली का नृत्य शुरू होता है। जो अनवरत 18 से 20 किलोमीटर तक चलता है।
यहां मां काली का पात्र पिछले 100 साल से ज्यादा समय से पुरुष निभाते आए हैं और आज भी निभा रहे हैं। उत्तर भारत में सिर्फ प्रयाग में ही पिछले 103 साल से इतना बृहत रूप से मां काली के रौद्र रूप का प्रकाट्य होता है।


18 KM तक होती है मां काली की परिक रमा
प्रयाग के दारागंज अलोपीबाग और बैहराना से निकलने वाली मां काली की यात्रा की गाथा सैकड़ों साल पुरानी है। 18 से 20 किलो ग्राम के अस्त्र-शस्त्र मुकुट धारण करके पैदल करीब 20 किलोमीटर तक नगड़िया की धुन पर नृत्य करते है।
दारागंज रामलीला कमेटी के प्रतिनिधि तीर्थराज पांडे के मुताबिक मां काली का प्राकट्य इलाहाबाद में 1913-14 से शुरू है। मां काली के पात्रों का चयन बड़ी सावधानी पूर्वक किया जाता है क्योंकि यह बहुत कठिन तपस्या है।
जो पूरे साल भर की जाती है उसके बाद ही कोई भी व्यक्ति मां काली के स्वरूप को प्रदर्शित करने में सक्षम हो पाता है। 3 दिन तक होने वाले मां काली के प राकट delighted य के लिए कई दिन तक रिहर होता है।

 

कैसे होता है मां काली का प en राकट ् य
मां काली के पात ् रों का चयन करने की खास प ् रक ् रिया है। पात ् र का चुनाव रामलीला कमेटी करती है। जिसमें उसका चयन तमाम शर ् तों के साथ किया जाता है।
प्रयाग की अति प्राचीन दशहरा महोत्सव के अन्तर्गत दारागंज रामलीला कमेटी के तत्वाधान में निकलने वाली मां काली की सवारी की परंपरा अति प्राचीन है।
जिसके अंतर ् गत लीला के दरम ् यान प ् रसंग के अनुसार मां काली प ् रकट होती हैं। प्रकट होने पर वैदिक रीति से मां काली का पुरोहितों द्वारा पूजन, अर्चन, नारियल नीबू जायफल आदि की बलि दी जाती है।
इसके बाद पुरोहितों द ् वारा खप ् पर और भुजाली पर रक्त का टीका लगाया जाता है। लोहबान की खूश्बु से वातावरण को पवित्र किया जाता है। इसके बाद उनके सारे साक ् षत स ् वरूप का धूप दीप से परंपरागत तरीके से पूजा की जाती है।

साल भर करना पड़ता है ब्रम्हचर्य का पालन
इस बार मां काली बने रामजी मिश्र ने बताया, वह पिछले 1 साल से पूरी तरह से सात्विक भोजन कर रहे हैं। लहसुन प्याज तक भी खाने पर प्रतिबंध है।
मां काली की आराधना और ब्रह्मचर्य का पूर्णतया पालन अनिवार्य है 4-5 घंटे तक प्रतिदिन कसरत योगा और गीजा ( रबड़ी मलाई) का सेवन किया जाता है। उसके बाद ही मां काली की पात्रता निभाने की शक्ति आती है।
मां काली का पात्र करने वाले व्यक्ति का ब्राम्हण पुत्र होना अनिवार्य है। इस मां काली की भूमिका निभाने के पूर्व पात्र की, उसके वस्त्र की, उसके शस्त्र की, उसके समस्त आभूषणों की पूजन अर्चन कर उसको पवित्र किया जाता है।
इसके बाद ही पात्र में मां काली की शक्ति समाहित होती है। जिससे वह कुशलता पूर्वक निर्दोष तरीके से अपनी भूमिका निभा पाता है। मां काली जब अपने रौद्र रूप में निकलती हैं तो देखने वालों के हौसले पस्त हो जाते है। 
इसमें भक्ति रोमांच व भय तीनों अनुभवों से श्रद्धालु परिचित होते हैं। मां का रोमांचक रौद्र प्रदर्शन ही भक्तों को खींचता है। इसलिए मां का रूप धरने वाले कलाकार के लिए यह कार्य बेहद क्षमता व चुनौती भरा होता है।
हजारों की भीड़ के बीच उसी जोश व आक्रोश के साथ घंटो प्रदर्शन करते चलना होता है। इसके लिए स्टैमना का होना बहुत जरूरी होता है।


 

विश्व में अनोखा है मां काली के रौद्र रूप का दर्शन
श्री दारागंज रामलीला कमेटी की ओर से आयोजित होने वाले मां काली प्राकट्य की शुरुआत दारागंज के माधो यादव के निवास से होती है। इसके बाद मां काली का अनोखा रौद्र पैतरा दारागंज की सड़कों पर शुरू होता है।
जो जीटी रोड होते हुए निराला मार्ग से सिंगार भवन बक्सी त्रिमुहानी पर समाप्त होती है। कमेटी के तीर्थराज पाण्डेय ने बताया कि मां काली का रौद्र नृत्य पूरी दुनिया में अनूठा और पवित्र है।
नवरात्रि की चतुर्थी से शुरु होने वाला मां काली का प्राकट्य षष्ठी तक होता है।

#maakali #kalimaa #daraganj #prayagraj #mahakali #mahadev #mahakal #durga #jaimatadi #shiva #harharmahadev #bholenath #mahakaleshwar #shiv #hindu #maa #hinduism #devi #parvati #mahakaal #shivshakti #india #ujjain #mata #kali #navratri #durgamaa #maadurga #vaishnodevi #har #durgapuja #bhole #adishakti #love

Комментарии

Информация по комментариям в разработке