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Скачать или смотреть राजपूत वीर थे तो मुगलों से संधियाॅं क्यों ?? | INDA SAHAB | The Kshatriya Legacy

  • The Kshatriya Legacy
  • 2022-11-19
  • 26626
राजपूत वीर थे तो मुगलों से संधियाॅं क्यों ?? | INDA SAHAB | The Kshatriya Legacy
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Описание к видео राजपूत वीर थे तो मुगलों से संधियाॅं क्यों ?? | INDA SAHAB | The Kshatriya Legacy

राजपूत वीर थे तो मुगलों से संधियाॅं क्यों ?


उत्तर - इसके जवाब से पहले एक सवाल अपने आप से करें कि क्या आज भारत का विदेश नीति के तहत पड़ोसी देशों या विश्व के अन्य देशों से कोई संबंध नहीं है ?
आज के हित में लिए इन फैसलों पर यदि दशकों बाद अगली पीढ़ी यही सवाल आपसे पूछे तो ?

मुगलों के आगमन से पूर्व राजस्थान में खिलजी के समय सर्वाधिक जौहर केसरिया हुए... क्या हम जानते है युद्ध में वीरगति के पश्चात क्या होता था! शायद नहीं!! शासक के वीरगति के बाद यह आक्रमणकारी राज्य की निर्दोष जनता की निर्मम हत्या करते थे। मन्दिर, सभ्यता को नष्ट करते थे।
यह राजपूत राजाओं की एक क्रांति ही थी की उन्होंने मरने से ज्यादा जीवित रहकर संघर्ष करने को अपना कर्तव्य और धर्म समझा तथा कुछ के लिए भौगौलिक स्थिति ने मजबूरी पैदा की... दुर्भाग्य से हमें किताबो में संधियां तो पढ़ाते है किंतु उन संधियों की शर्ते नही पढ़ाई जाती... अगर पढ़ाई जाए तो यह स्पष्ट हो जाए की वो संधियां कितनी सम्मानजनक थीं। भविष्य में सैन्य अभियान में सहयोग, अतिरिक्त कर, घोड़ों- हाथियों के आदान प्रदान आदि के इर्द गिर्द संधियां होती थीं ... किंतु इन शासकों ने मुगलों को राज्य के मामलों में, लोकजीवन में कभी हस्तक्षेप करने नही दिया ... हस्तक्षेप करने पर समय समय पर युद्ध और विरोध भी किया।... यही कारण है की इन मुगल अधीन राजपूतों के दुर्गों में आपको गणेश पोल, भैरव पोल, मन्दिर आदि मिलेंगे।

उदाहरण के तौर पर जोधपुर महाराजा जसवंत सिंह जी और मिर्जा राजा जयसिंह जी ने मुगलों से संधि कर रखी थी। किताबे उन्हें मुगलो के अधीन बताता है किंतु जब जोधपुर महाराजा जसवंत सिंह जी की मृत्यु हुई तब औरंगजेब से कहा - " दर्वाजए कुफ्र शिकस्त " अर्थात आज कुफ्र ( धर्मविरोध ) का दरवाज़ा टूट गया।... यह कितना बड़ा विरोधाभास है की जिस जसवंत सिंह को हम मुगलों का गुलाम कहते है उन्ही जसवंत सिंह को बादशाह धर्म रक्षक कह रहा है। ऐसी विरोधाभासी घटनाओं से भरा पड़ा है राजपूत इतिहास.

मिर्जा राजा जय सिंह जी की मृत्यु पर जोधपुर महाराजा जसवंत सिंह जी ने एक पिछोला कहा था -

घंट न वाजै देहरां, संक न मानै शाह।
एकरस्यां फिर आवज्यो, माहूरा जेसाह।।

अर्थात आज मंदिरों में घण्टे नहीं बज रहे हैं। और शहंशाह भय नहीं मानता है। (अतः) हे मिर्जा राजा जयसिंहजी ! एक बार फिर आवो।

औरंगजेब का जसवंत सिंह जी के लिए बोले शब्दो और
जसवंत सिंह जी द्वारा मिर्जा राजा जयसिंह के लिए कहे शब्दो को सुनकर आप किस निष्कर्ष पर पहुंचते है यह आपकी बुद्धिमत्ता और तर्क क्षमता पर निर्भर करता है।

जब मुगलों ने सीमा संधियों का उल्लंघन करना शुरू कर राज्य में हस्तक्षेप करना शुरू किया, जजिया कर लगाने शुरू किए, राज्य की राजनीतिक व्यवस्था में अत्याधिक घुसपैठ की तब इन्ही सामंत शासकों ने मुगल सत्ता से विद्रोह कर मुग़ल सत्ता का अंत कर दिया। इस विद्रोह को मुगल बादशाह बाबर से लेकर अकबर और शाहजहां तक सब भली भांति महसूस करते थे इसलिए उन्होंने कभी किसी राजपूत शासक को संधी का धौंस नही दिखाया, कभी राज्य, धर्म पर प्रत्यक्ष हस्तक्षेप नहीं किया। जब औरंगजेब ने अपने अहंकार में इस व्यवस्था को भंग कर राज्य, धर्म पर कुदृष्टि डाली तब मुगल सत्ता को इन्हीं राजपूत शक्तियों के विद्रोह का सामना करना पड़ा और एक शक्तिशाली मजबूत मुगल सत्ता का अंत हो गया।

जरा सोचिए क्या कोई अधीन शासक भरे दरबार में मूंछों पर ताव दे सकता है ?, क्या कोई अधीन व्यक्ति भरे मुगल दरबार में बादशाह के साले की गर्दन काट सकता है ?

संधियां उस युग की व्यवस्था का एक प्रभावशाली मांग थी।
किंतु इन किताबो मे इस तरह पढ़ाया जाने लगा की जनमानस में यह बात बैठ जाएं की हम तो युगों से अधीन रहे है।

आजकल हम इतिहास केवल किसी परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए और वो भी अंकभार के आधार पर पढ़ते है। अधिकतर युवा मध्यकालीन इतिहास को छोड़... भूगोल, विज्ञान, इकोनॉमिक्स, आदि पर विशेष ध्यान दे परीक्षा उत्तीर्ण कर देते है जो सही भी है... किंतु क्या ऐसी स्थिति में हमे यह नैतिक अधिकार है की हम इन इतिहास पात्रों पर बेवजह अंगुली उठाए, उन्हें मोहरा बना एक राजपूत जाति के विरुद्ध नेगेटिव नैरेटीव फैलाए...

राजपूतों के विरुद्ध फैलाए जाने वाली इन घटनाओं का दुष्प्रभाव यह हो रहा है की विशेषतः राजस्थान एवम् राजपूत शासित अन्य प्रदेशों का नाम भारतीय इतिहास के मानचित्र से धूमिल होता जा रहा है। उनके ऐतिहासिक महत्व पर घुसपैठ हो रही है।

लेखक:- ब्रह्मवीरसिंह भाटी कोटड़ी
Voice :- INDA SAHAB


#rajputana #mughal #history #rajasthan

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