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वैभव लक्ष्मी व्रत पूजा विधि | vaibhav lakshmi vrat puja vidhi |vaibhav lakshmi vrat ke niyam |#laxmi
Mahalakshmi Ashtakam :-
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वैभव लक्ष्मी व्रत का महत्व:
वैभव लक्ष्मी देवी को धन, वैभव और समृद्धि की देवी माना जाता है। इस व्रत को करने से व्यक्ति के जीवन में धन और समृद्धि का आगमन होता है। यह व्रत विशेष रूप से शुक्रवार के दिन किया जाता है, और इसे करने से सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं।
पूजा की तैयारी:
1. सामग्री एकत्रित करें: पूजा के लिए एक चौकी, लाल रंग का कपड़ा, देवी लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र, फूल, अगरबत्ती, दीपक, मिठाई, फल और पान की पत्तियां इकट्ठा करें।
2. स्नान और शुद्धता: पूजा से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
3. मंत्र का जाप: पूजा के दौरान लक्ष्मी देवी के मंत्रों का जाप करें।
पूजा विधि:
1. चौकी स्थापित करें: सबसे पहले, पूजा की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और देवी लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें।
2. दीप जलाएं: दीपक जलाएं और उसके चारों ओर अगरबत्ती लगाएं।
3. फूल और नैवेद्य अर्पित करें: देवी को फूल अर्पित करें और मिठाई, फल आदि का नैवेद्य अर्पित करें।
4. मंत्र का जाप: "ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णुपत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्" का जाप करें। इस मंत्र का जाप 108 बार करें।
5. आरती: पूजा के अंत में देवी की आरती करें और प्रसाद बांटें।
व्रत का पालन:
इस व्रत को करने वाले व्यक्ति को पूरे दिन उपवासी रहना चाहिए। इस दिन विशेष रूप से लक्ष्मी माता की पूजा का ध्यान रखना चाहिए। व्रत के दौरान सकारात्मक सोच और अच्छे कार्यों का पालन करें।
अंत में, इस व्रत को करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का संचार होता है।
पूजा के नियम इस प्रकार हैं:
व्रत: भक्त आमतौर पर शुक्रवार को व्रत रखते हैं, जो पूजा का दिन होता है। व्रत आंशिक (फल और दूध का सेवन) या पूर्ण (भोजन और पानी से परहेज) हो सकता है।
तैयारी: पूजा शुरू करने से पहले, पूजा स्थल को साफ किया जाना चाहिए। देवी लक्ष्मी की तस्वीर या मूर्ति को एक ऊँचे मंच पर रखा जाता है।
पूजा: पूजा में प्रार्थना करना, देवी लक्ष्मी को समर्पित मंत्रों का जाप करना और आरती करना शामिल है।
वैभव लक्ष्मी व्रत कथा: वैभव लक्ष्मी व्रत कथा (कहानी) पढ़ना या सुनना पूजा का एक अनिवार्य हिस्सा है।
प्रसाद: देवी को फूल, फल, मिठाई और धूप जैसी वस्तुएं अर्पित की जाती हैं।
पूजा का समापन: पूजा के बाद, प्रसाद (पवित्र भोजन) परिवार और दोस्तों को वितरित किया जाता है।
शुक्रवारों की संख्या: व्रत आमतौर पर लगातार 11 या 21 शुक्रवार तक मनाया जाता है।
व्रत का समापन: अंतिम शुक्रवार को, व्रत का समापन एक विशेष पूजा और प्रसाद को एक बड़े समूह में वितरित करने के साथ किया जाता है।
इनसे बचें: व्रत के दौरान, मांसाहारी भोजन, शराब से परहेज करने और नकारात्मक विचारों या कार्यों में शामिल होने से बचने की सलाह दी जाती है।
इरादे: पूजा धन, समृद्धि और समग्र कल्याण के लिए आशीर्वाद पाने के इरादे से की जाती है।
धन्यवाद।
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