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भारतीय मीडिया जगत में जब 'पुस्तक' चर्चाओं के लिए जगह छीजती जा रही थी, तब इंडिया टुडे समूह के साहित्य के प्रति समर्पित डिजिटल चैनल 'साहित्य तक' ने हर दिन किताबों के लिए देना शुरू किया. इसके लिए एक खास कार्यक्रम 'बुक कैफे' की शुरुआत की गई. साल 2021 से 'साहित्य तक बुक कैफे टॉप 10' की शृंखला भी शुरू हुई. उस साल केवल अनुवाद, कथेतर, कहानी, उपन्यास, कविता श्रेणी में टॉप 10 पुस्तकें चुनी गईं. इस साल 2022 में टॉप 10 की कुल 17 श्रेणियां हैं.
साहित्य तक 'बुक कैफे-टॉप 10' में 'काव्य संग्रह' की पुस्तकें ये हैं.
'ईश्वर और बाज़ार', जसिंता केरकेट्टा
अब नहीं घुसते वे
तुम्हारे समुदाय के भीतर
बर्बर तरीके से
तलवार चलाते हुए.. जसिंता अपनी इन कविताओं में आदिवासी जन-जीवन पर मंडराते सभ्यता-प्रेषित ख़तरों को पहचान कर सीधे-सरल ढंग से अंकित करती हैं. प्रकाशकः राजकमल प्रकाशन
'चुप्पी वाले दिन', मालिनी गौतम
चुप्पी के दिन, चुपचाप आते हैं
बिना किसी आहट या आवाज़ के
वे नहीं देते अपने आगमन की सूचना
अच्छे या बुरे दिनों की तरह... सुचिन्तित काव्यदृष्टि और भरपूर ताज़गी से लबरेज इस संकलन की कविताओं में न तो अनगढ़पन है, न एकरसता और न ही कमज़ोर अभिव्यंजना. प्रकाशकः भारतीय ज्ञानपीठ
'जिधर कुछ नहीं', देवी प्रसाद मिश्र
मैं बार बार सिर पकड़कर बैठता था
कि क्यों नहीं समझा जाता
कि पहिया
और मानव
ईश्वर के अविष्कार से हजारों हजार साल पुराने हैं... इस खंड-काव्य में राजकीय दमन और कविता के बीच के रिश्ते के बारे में विस्मयकारी सूझ को भी एक लंबे आलेख से स्पष्ट किया गया है. प्रकाशकः राजकमल प्रकाशन
'नदी मैं तुम्हें रुकने नहीं दूंगा', सुधीर आज़ाद
नदी तुम जिस भाषा में रोती हो
उसका व्याकरण सूख चुका है.. इस संकलन की कविताएं कवि के मौन संवाद के बीच अनुत्तरित प्रश्नों की परिणति हैं. प्रकाशकः भारतीय ज्ञानपीठ
'निमित्त नहीं!! महाभारत की स्त्रियों की गाथा', सुमन केशरी
सौ पुत्रों की माता
मैं गांधारी
संभोग के उन पलों में पृथ्वी-सी पड़ी रही
आगत की ध्वनियां सुनती
आज भयाक्रान्त करवटें बदलती.. पौराणिक काल महाभारत के स्त्रियों के मर्म को बारीक संवेदना के साथ व्यक्त करती इस संग्रह की रचनाएं बहुत कुछ सोचने के लिए बाध्य करती हैं. प्रकाशकः वाणी प्रकाशन
'चलो हवाओं का रुख मोड़ें', कैलाश सत्यार्थी
कैसे कर लेती हो तुम ये कमाल
कभी धरती, कभी खाद या फिर
पानी बनकर... सामाजिक न्याय और हाशिए के लोगों पर केंद्रित इस संकलन की कविताओं का मुख्य स्वर है संवेदना और राग. जो सामाजिक-राजनीतिक विषयों को भी छूती हैं. प्रकाशकः वाणी प्रकाशन
'कविता में बनारस', राजीव सिंह
उगते सूर्य को अर्घ्य देकर ही
विदा होती है अरुंधति
कालभैरव की आरती करती है
अनवरत जलती चिताएं... यह एक अनूठा संपादित काव्य संकलन है, जिसका संचयन बनारस से इश्क के चलते किया गया है. प्रकाशकः राजकमल प्रकाशन
'उपशीर्षक', कुमार अंबुज
जो कोई सवाल पूछता है उसे
रिवॉल्वर की पूरी छह गोली मारी जाती हैं.. इस संकलन की कविताएं अभूतपूर्व गहराई के साथ इस महाद्वीप के संकटग्रस्त, दुरभिसन्धि-युक्त जीवन और इसमें जी रहे मनुष्य की मुकम्मल अभिव्यक्तियां हैं. प्रकाशकः राधाकृष्ण प्रकाशन
'खोई चीजों का शोक', सविता सिंह
हमारी आपस की दूरियों में ही
प्रेम निवास करता है आजकल
सत्य ज्यों कविता में...यह कविता शृंखला अत्यन्त निजी होते हुए भी अपने सौन्दर्यबोध में सार्वभौमिक हैं. प्रकाशकः राजकमल का सहयोगी उपक्रम राधाकृष्ण प्रकाशन
'मछलियां गायेंगी एक दिन पंडुमगीत', पूनम वासम
हज़ारों वृक्षों की हत्या का मुक़दमा
दायर किया बची-खुची पत्तियों ने
बुलाया गया उन हत्यारों को
दी गयी हाथ में गीता... इस संकलन की कविताओं में बस्तर की जनचेतना, लोकसंस्कृति, सभ्यता, पर्यावरण और प्राकृतिक का दर्शन है. प्रकाशकः वाणी प्रकाशन
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