ये देश मेरा घर है किराये का नहीं है..हाशिम फिरोज़बादी

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आॅल इण्डिया मुशायरे में शायरों ने देश की एकता व अखण्डता को समर्पित कलाम पेश किये
अमरोहा। बीती रात नगर के मधुरम वैंकट हाल में आल इण्डिया मुशायरे का आयोजन किया गया। मुशायरे की अध्यक्षता बसपा के अमरोहा लोकसभा प्रभारी हाजी जियाउददीन अंसारी व संचालन शायर मोईन शादाब ने संयुक्त रुप से किया। जबकि बसपा के पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रभारी शमशुददीन राईन, गिरीश चन्द्र, जिलाध्यक्ष राम औतार सिंह, ई. नौशाद अली, नौगांवा सादात विधानसभा प्रभारी चैधरी जयदेव सिंह आदि मौजूद रहे।

सीनियर शायर कुंवर जावेद ने कहा: सूरज हूं मुझको डर किसी साये का नहीं है, ये देश मेरा घर है किराये का नहीं है।
मोईन शादाब ने कहा: हमारी आंख की दहलीज पर ठहरा हुआ आंसू, किसी ने धागे से जैसे समन्दर बांध रखा हो।
नदीम शाद ने पढ़ा: बुलंदियों पे यकीनन यकीन रखता हूं, मगर मैं पांव के नीचे जमीन रखता हंू।

हाशिम फिरोजाबादी ने कहा: उम्र भर हमने ताल्लुकात का भरम रखा है, तुमसे रिश्ते भी नहीं यार निभाने आये।
शरफ नानपारवी ने कहा: जिनके होंठों पर हर लम्हा जिक्र हमारा रहता था, हैरानी की बात है वो भी नाम हमारा भूल गये।
शायरा सबा बलरामपुरी ने कहा: दुनिया हमारे नाम को पहचानती नहीं, हम तो तुम्हारे नाम से मशहूर हो गये।
दानिश अयूबी ने कहा: फूल से नाजुक कहा जाता है बेटी को मगर, हम गरीबों के लिए पत्थर से भी भारी हुई।
शहजादा कलीम प्रतापगढ़ी ने कहा: इज्जते लुट रहीं हैं यहां रोज अब, नींद किस रोज टूटेगी सरकार की।
वारिस वारसी: परिंदों घर से निकलना इस एहतियात के साथ, तुम्हारे वास्ते सोने का जाल रखा है।
अली बाराबंकी ने कहा: वो ही अल्लाह की रहमत से बस महरुम होते हैं, वो जिनकों अपने घर में बेटियां अच्छी नहीं लगतीं।
अरकम हसनपुरी ने पढ़ा: उसके दिल में चाहत का दर्द हो रहा होगा , मुझको याद कर कर के वो भी रो रहा होगा।
इसके अलावा असलम बकाई, सज्जाद झंझट, वकार फराजी, जैद सरधनवी, आरिफ फरीदी, ने भी अपना कलाम पेश किया। इससे पहले मुशायरे की शमा शमीम अहमद अकाटेंट ने रौशन की। कन्वीनर मुजम्मिल सिद्दीकी, नईम अंसारी ने सभी का आभार व्यक्त किया। कौसर अली अब्बासी, हाजी महबूब हुसैन जैदी, आसिफ कुरैशी, इकबाल खां, खालिद सिददीकी, अकरम सिददीकी, शादाब खां, नईम मंसूरी अमीन सिददीकी, इजहार जाफरी, अब्दुल वहाब सैफी व इरफान सैफी आदि मौजूद रहे।
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