Rabindranath Tagore का Love, भाभी 'कादम्बरी देवी का सुसाइड नोट' | Ranjan Bandyopadhyay | Sahitya Tak

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उपन्यास 'कादम्बरी देवी का सुसाइड नोट' विश्वकवि रबीन्द्रनाथ ठाकुर की भाभी के त्रासद जीवन की मार्मिक कथा है. महज़ पच्चीस वर्ष की उम्र में कादम्बरी ने आत्महत्या कर ली थी. बंगाल के विख्यात ठाकुर घराने में यह दुर्घटना तेईस वर्षीय रबीन्द्रनाथ के विवाह के मात्र चार महीने बाद घटी. क्या रबीन्द्रनाथ के विवाह ने उन दोनों के बीच के किसी सूत्र को छिन्न-भिन्न कर दिया था कि जिसके बाद कादम्बरी का जीवित रहना असम्भव हो गया? या फिर इसमें ऐसा क्या था जो ठाकुर घराने के मुखिया, महर्षि देवेन्द्रनाथ ने अपनी बहू की आत्महत्या के एक-एक साक्ष्य को नष्ट करा देना अपरिहार्य समझा? रंजन बंद्योपाध्याय की पुस्तक 'कादम्बरी देवी का सुसाइड नोट' रबीन्द्रनाथ की भाभी का काल्पनिक अंतिम पत्र है. इससे पहले इसी कार्यक्रम में 'मैं रवीन्द्रनाथ की पत्नी' उपन्यास की चर्चा कर चुका हूं. यह दोनों ही पुस्तक रंजन बंद्योपाध्याय ने बांग्ला भाषा में लिखी, जिसे बाद में शुभ्रा उपाध्याय ने हिंदी भाषा में अनूदित किया. यह उपन्यास बंगाल के भद्र लोक और तत्कालीन बंगाली समाज के सर्वाधिक प्रतिष्ठित ठाकुर परिवार के अंदरुनी राज़ को उजागर करता है. जहां स्त्री मन का अर्थ पुरुष के मान से काफी कमतर है. यह उपन्यास भारत के पहले नोबल पुरस्कार विजेता और सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण साहित्यकार के निजी संबंधों की परतों को भी खोलता है. अत्यंत विवादित और उतना ही लोकप्रिय होने वाला यह उपन्यास कादम्बरी देवी की मृत्यु के सवा सौ साल से भी अधिक समय बाद प्रकाशित हुआ. वस्तुत: यह ऐसी कृति है जो उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्ध की एक घटना के बहाने बांग्ला नवजागरण के अन्तर्विरोधों को जबरदस्त ढंग से उजागर करती है. आज साहित्य तक के बुक कैफे के 'एक दिन एक किताब' कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय ने इसी पुस्तक 'कादम्बरी देवी का सुसाइड नोट' की चर्चा की है. रंजन बंद्योपाध्याय ने यह पुस्तक मूलतः बांग्ला में लिखी है, जिसका हिंदी अनुवाद शुभ्रा उपाध्याय ने किया है. इस अविस्मरणीय कृति को राजकमल प्रकाशन ने प्रकाशित किया है. 124 पृष्ठ समेटे इस पुस्तक का मूल्य 199 रुपए है.

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