#ध्वजा #ramnavami #रामनवमी
भवनों पर लगने वाली ध्वजा के विषय मे प्राचीन नियम...
वास्तु नियमानुसार ध्वज भवन के वायुकोण( पश्चिम उत्तर मध्य ) पर लगाना चाहिए । ध्वजा सुन्दर,सूती अथवा रेशमी वस्त्र का होना चाहिए,जिसमें रंग और आकृतियाँ अपनी परम्परा से बनायें। ।आमतौर पर भवन में हनुमद्ध्वजस्थापन ( हनुमान जी का झंडा )का चलन है,जिसका नवीनीकरण प्रायः प्रत्येक वर्ष चैत्र शुक्ल नवमी(रामनवमी)को किया जाता है।।
श्लोक हैः- कुजवारे नवम्यां वा अन्यस्यां शुभदातिथौ।श्रद्धया चोत्तरे काले ध्वजादानादिनी शुभम्।।(मंगलवार,वासंतिक नवमी,वसंत पंचमी,कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी,आदि शुभ तिथि-वारों में ध्वजस्थापन करना चाहिए) । इसका आधार-स्तम्भ हरे-ताजे बांस का ही होना चाहिए,जो सीधा,सुडौल और परिपक्व हो,सड़ा-गला न हो,और दस हाथ से अधिक लम्बाई वाला हो।
श्लोक प्रमाण :- सरलच्छिद्ररहितो निर्वर्णो मूलसंयुतः।दशहस्ताधिको ग्राह्यो वांसस्तु ध्वजहेतवे।।
ध्वजस्थापन की मजबूती का भी ध्यान रखना चाहिए,क्यों कि आंधी-पानी आदि में(भी)ध्वजा का गिरजाना,टूटजाना गृहस्वामी के अनिष्ट का संकेत है।ऐसा होने पर विघ्नशान्ति (ध्वजभग्नशान्ति) का विधान है।
अपनी श्रद्धा अनुसार अथवा पंचोपचार पूजन करके पुराने ध्वज का विसर्जन कर,नये ध्वज की स्थापना करनी चाहिए।इसके लिए योग्य पूजा पाठ करने वाले ब्राह्मण का सहयोग भी लिया जा सकता है।
अब,ध्वजस्तम्भ(वांस) को रोली,सिन्दूर,घृत आदि से लेपित कर;उसमें ध्वज को लगावें,और विधिवत पंचोपचार/षोडशोपचार पूजन करें।पूजन के पश्चातत ध्वज को स्थापित कर,पुनः पंचोपचार पूजन करें,और अन्त में प्रार्थना करेः- देवासुराणां सर्वेषां मङ्गलोऽयं महाध्वजः।गृह्यतां सुखहेतोर्भे ध्वजः श्रीपवनात्मज।।
भारत भूषण गौड़ , ज्योतिषाचार्य
सम्पर्क :- 8810639340
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